मटका गरीबों का धन्वन्तरि : बाजारों में विभिन्न तरह के मटकें-सुराही लोगों को कर रहे आकर्षित
कीमत 80 से 200 तक रुपए तक है
इसके अलावा मिट्टी से बनीं पानी की बोटल भी आकर्षण का केन्द्र है, जिनकी कीमत 80 से 200 तक रुपए तक है और धड़ल्ले से बिक रही है।
जयपुर। ऐसा कहना मुश्किल है कि मटके बनना पूरी तरह बंद हो जाएंगे। मटके यानी मिट्टी के घड़े जयपुर में सदियों से उपयोग होते आए हैं। इन मटकों का उपयोग लोग खासकर पानी को ठंडा रखने और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में करते आए हैं। हालांकि लेटेस्ट तकनीक और प्लास्टिक के बर्तनों की बढ़ती लोकप्रियता ने मटकों की डिमांड को कुछ हद तक कम किया है। आजकल बाजारों में विभिन्न तरह के मटकें-सुराही लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। मटके की रेट 50 से लेकर 150 रुपए तक है। वहीं सुराई 80 से लेकर 200 रुपए तक मार्केंट में बिक रही है। गौरतलब है कि अधिकतर लोग सुराई का उपयोग मकान की सजावट करने के लिए उपयोग करते हैं। इसके अलावा मिट्टी से बनीं पानी की बोटल भी आकर्षण का केन्द्र है, जिनकी कीमत 80 से 200 तक रुपए तक है और धड़ल्ले से बिक रही है।
इनका कहना है...
अधिकतर लोग टोटी वाला मटका खरीद रहे हैं। इनकी डिमांड ज्यादा है। वहीं सुराई को कम लोग खरीद रहे है। आजकल मिट्टी से बनी बोतल का ट्रेंड भी चल रहा है। इनमें पानी भरकर घूमने वाले लोग ज्यादा उपयोग कर रहे हैं। इसमें पानी ठंडा रहता है।
-रमेश कुमार प्रजापत
(मटका बनाने वाला कारीगर)
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