सर्दी-खांसी-जुकाम से लेकर बीपी-शुगर और हॉर्ट तक की दवा मिल रही घटिया
मरीज को राहत की जगह आहत कर रही दवाइयां
राजस्थान में बीते सालों में अत्यंत घटिया श्रेणी की दवाइयां बनाने वाले निर्माता कंपनियों, विक्रेताओं, स्टॉक होल्डर्स पर करीब 1 हजार मामले कोर्ट में विचाराधीन चल रहे हैं जिनमें कोर्ट के फैसले के अनुसार सजा होगी।
जयपुर। राजस्थान में घटिया और नकली दवाइयों की तेजी से आपूर्ति हो रही है। इसके चलते मरीजों को राहत देने की जगह दवाइयां आहत कर रही है। प्रदेश में बीते पांच माह में ही चिकित्सा विभाग के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय ने 94 घटिया दवाइयां पकड़ी है। चौंकाने वाली बात यह है कि सप्लाई हो रही घटिया दवाइयाें में खांसी, जुकाम, बुखार ही नहीं बीपी, शुगर, हॉर्ट के मरीजों को दी जाने वाली खून पतला करने की दवाइयां और ढेरो एंटीबॉयोटिक्स शामिल है जिनमें दवा या साल्ट की मात्रा तय मापदंड से कम है। जिसके चलते मरीज को का मर्ज को समाप्त होने की जगह बढ़ रहा है।
पकड़ी गई घटिया दवाओं में ये शामिल
सामान्य बुखार और दर्द की पैरासिटामोल, न्यूमेसिलाइड्स, दिल के मरीज को दी जाने वाली खून पतला रखने, ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने, पाचन तंत्र को संतुलित रखने, डायबिटीज की दवा व इंसुलिन, घाव को भरने, सुखाव, संक्रमण को रोकने सहित कई अन्य एंटी बायोटिक्स, घाव पर लगाने वाले आयोडीन टींचर यानी लाल दवा तक घटिया मिली है। आयुक्तालय ने जांच में मिले बैच के बेचान पर प्रतिबंध लगाया है।
हर माह 600 दवाओं की जांच
राजस्थान में हर ड्रग अधिकारी को हर माह छह दवाओं के जांच सैंपल रेंडम रूप से लेने होते हैं। प्रदेश में 100 ड्रग अधिकारी यानी डीसीए हैं। इनमें घटिया या नकली दवा मिलने पर एक्ट के तहत कार्रवाई होती है।
करीब 1 हजार घटिया दवा मामलों में कोर्ट केस चल रहे
राजस्थान में बीते सालों में अत्यंत घटिया श्रेणी की दवाइयां बनाने वाले निर्माता कंपनियों, विक्रेताओं, स्टॉक होल्डर्स पर करीब 1 हजार मामले कोर्ट में विचाराधीन चल रहे हैं जिनमें कोर्ट के फैसले के अनुसार सजा होगी।
3-10 साल की सजा का प्रावधान
घटिया और नकली दवा निर्माताओं, बेचान करने वालों पर ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत 3-10 साल तक और गंभीर मामलों में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। प्रदेश में कई मामलों में कोर्ट से सजा भी हुई है।
ये होता है कार्रवाई का तरीका
जांच में जो दवाइयां घटिया या नकली मिलती है, उसमें घटिया दवाइयों के स्तर के आधार पर कार्रवाई होती है। तय मात्रा से कम दवा होने पर बैच पर प्रतिबंध लगाया जाता है। अधिक मात्रा में दवा कम मिलती है तो कंपनी, विक्रेता और स्टॉक होल्डर्स के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई अमल में आती है। सभी घटिया दवाइयां जिस राज्य से बन कर आ रही है उस राज्य के मुख्य औषधि नियंत्रक अधिकारी को इसकी सूचना दी जाती है ताकि वे निर्माता पर कार्रवाई करें। एक्ट के तहत निर्माता का लाइसेंस निरस्त या निलंबित करने की कार्रवाई गंभीरता के आधार पर होती है।
हर महीने छह सौ दवाइयों के सैंपल लिए जाते हैं। एक्ट के तहत जो दवाइयां अत्यंत निम्न स्तर की पाई जाती है तो कानूनी कार्रवाई अमल में लाते हैं। तय मापदंड से कम दवा मिलने पर उसके बेचान पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाता है।
-अजय फाटक, मुख्य औषधि नियंत्रक, राजस्थान।

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