बार-बार मौसम में बदलाव से बिगड़ रहा सेहत का मिजाज दिल, सांस, अस्थमा और एलर्जी से सैकड़ों मरीज परेशान
एसएमएस, जेकेलोन सहित अन्य अस्पतालों में मरीजों की भीड़
बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए वे जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
जयपुर। इन दिनों बार बार मौसम बदल रहा है। कभी बारिश हो रही है तो कभी शीतलहर और कभी मौसम में अचानक बदलाव के कारण दिन में तेज धूप से तपन बढ़ जाती है। ऐसे में बार-बार बदलते इस मौसम से सेहत का मिजाज बिगड़ रहा है। वैसे तो सर्दियों का मौसम आते ही कई प्रकार की मौसमी बीमारियां आमजन को जकड़ लेती हैं, लेकिन विशेष तौर पर दिल की बीमारियों, अस्थमा और एलर्जी के मरीज ठंड के मौसम में ज्यादा परेशान होते हैं। ठंड में सांस लेना मुश्किल हो सकता है और अस्थमा के अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। वहीं धमनियां सिकुड़ने के कारण हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। इसके चलते इन दिनों तेज ठंड में सवाईमानसिंह सहित अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों में भी इन दिनों मरीजों की अच्छी खासी तादाद देखने को मिल रही है। ओपीडी में सामान्य से 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
फेफेड़ों से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की वजह
सर्दियों के मौसम में ठंडी-सूखी हवा और प्रदूषण फेफड़ों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकती है। जब अस्थमा से प्रभावित व्यक्ति ठंडी हवा में सांस लेते हैं तो उनके वायुमार्ग सिकुड़ जाते हैं और यह अस्थमा के अटैक को ट्रिगर कर सकता है। बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए वे जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
ऐसे करें बचाव जब भी आप घर से बाहर जाएं अच्छी क्वालिटी का मास्क पहनें।
ठंडी हवा से बचने के लिए हमेशा गर्म कपड़े पहनें।
ठंड के मौसम में जब जरूरी हो तो ही बाहर निकलें।
ठंड के दौरान गुनगुना पानी पीने से गले और श्वसन तंत्र को राहत मिलती है।
इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए ताजे फल, सब्जियां और विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं।
अगर अस्थमा या अन्य बीमारियों के लक्षण बढ़ें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इन्हेलर और दवाइयां हमेशा अपने पास रखें।
इनका कहना है
सर्दियों के मौसम में धमनियां सिकुड़ जाती हैं और खून गाढ़ा हो जाता है जो कि हार्ट अटैक या दिल की बीमारियों के बढ़ने का कारण बन सकता है। इसलिए इस मौसम में बचाव ही बीमारी से बचने का उचित उपाय है। इसके साथ ही रूटीन दवाइयां नियमित रूप से लेते रहना बेहद जरूरी है।
-डॉ. दीपक माहेश्वरी, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट और प्राचार्य एसएमएस मेडिकल कॉलेज
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