गर्भावस्था के दौरान बच्चे और मां दोनों के लिए बेहद जरूरी है टीके और जांच, प्रसव के रिस्क को भी करते हैं कम
हर महिला के जीवन का एक खास समय
समय से टीकाकरण और जांचें करवाने से मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी आती है कमी, मां और शिशु दोनों के लिए तय है गाइडलाइन
जयपुर। गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक खास समय होता है। इस समय मां और बच्चे दोनों की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। गर्भवती महिला की सही देखभाल के लिए समय-समय पर जरूरी टीके लगवाना और जांच करवाना आवश्यक होता है। इससे गर्भवती महिला और बच्चे दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है, साथ ही मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी इससे कमी लाई जा सकती है। चिकित्सा विभाग की ओर से सभी मां और शिशु दोनों के लिए गर्भावस्था और उसके बाद के टीकाकरण और जांचों के लिए गाइडलाइन तय है। जिसका अनुसरण करने से काफी हद तक गर्भावस्था और उसके बाद की जटिलताओं से बचा जा सकता है। हर तिमाही के हिसाब से तय होते हैं टीके और जांच: सीनियर कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डॉ. अनुपमा गंगवाल ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान कुछ महत्वपूर्ण टीके लगवाना बेहद जरूरी है ताकि मां और बच्चे दोनों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। सबसे पहले टीटी यानी टेटनस टॉक्सॉइड का टीका दिया जाता है। इसका पहला डोज गर्भावस्था की दूसरी तिमाही यानी चौथे-पांचवें महीने में लगाया जाता है और दूसरा डोज 4-6 हफ्ते बाद या सातवें महीने में दिया जाता है। अगर पहले यह टीका लग चुका है तो डॉक्टर बूस्टर डोज लगाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा फ्लू का टीका भी दिया जाता है, जो गर्भावस्था के किसी भी समय लगाया जा सकता है।
यह टीका फ्लू और अन्य वायरल संक्रमण से बचाव करता है जो गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है। 26 हफ्ते के बाद फ्लू का टीका लगवाएं वहीं तीसरी तिमाही में यानी 27वें से 36वें हफ्ते के बीच डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस का टीका लगाया जाता है। यह नवजात शिशु को जन्म के बाद गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा अगर मां का हैपेटाइटिस बी टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर हैपेटाइटिस बी का टीका लगाने की सलाह भी देते हैं ताकि यह संक्रमण मां से बच्चे में न जाए। हर टीके का समय और महत्व अलग होता है इसलिए इन्हें सही समय पर लगवाना बेहद जरूरी है।
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