पांच साल में 3 गुणा बढ़ा ई-वेस्ट, जयपुर में 700 टन कचरे से बन रही बिजली
भविष्य के लिए ई-वेस्ट बनता जा रहा चुनौती
ज्यादातर वेस्ट से एनर्जी उत्पादित की जा रही है, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे शहरों में हमसे कई गुणा अधिक कचरे से हर रोज बिजली का उत्पादन किया जा रहा हैं।
जयपुर। हर रोज घरों, औद्योगिक संस्थानों और संस्थानिक परिसरों के निकलने वाले हजारों टन कचरे में अब ई-वेस्ट की मात्रा अधिक होने लगी है। प्रदेश में पिछले पांच साल में ई-वेस्ट का ग्राफ तीन गुणा तक बढ़ गया हैं। वर्ष 2018-19 में 8478.26 एमटी सालाना ई-वेस्ट निकल रहा था, वह 2023-24 तक बढ़ कर 25702.46 एमटी प्रति वर्ष तक पहुंच गया हैं। वहीं दूसरी ओर जयपुर से हर रोज कुल निकलने वाले 2100 टन कचरे में से महज 700 टन कचरे से बिजली उत्पादन किया जा रहा है, जबकि देश के दूसरे बडेÞ महानगरों में हर रोज निकलने वाले हर तरह के वेस्ट का शत-प्रतिशत निस्तारण किया जा रहा है, जिसमें ज्यादातर वेस्ट से एनर्जी उत्पादित की जा रही है, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे शहरों में हमसे कई गुणा अधिक कचरे से हर रोज बिजली का उत्पादन किया जा रहा हैं।
7 रुपए प्रति यूनिट बेच रही बिजली
जयपुर के लांगडियावास में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से रोज उत्पादित होने वाली 12 मेगावाट बिजली को कंपनी सात रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेच रही हैं। इसके पेटे जिंदल गु्रप की ओर से निगम को 66 रुपए प्रति टन रुपए दिए जा रहे हैं। अर्थात मौटे तौर पर निगम को हर माह करीब 20 लाख रुपए का राजस्व मिल रहा हैं। हालांकि इस पावर प्लांट का अभी विधिवत उद्घाटन होना शेष हैं। कंपनी के प्रतिनिधियों की ओर से आरआईसी में लगाई गई प्रदर्शनी में पावर प्लांट के मॉडल को डिस्प्ले किया गया है। इस दौरान कंपनी प्रतिनिधियों का कहना है कि प्लांट वैसे तो शुरू कर दिया गया है, लेकिन अभी विधिवत उद्घाटन होना शेष हैं।
ई-वेस्ट के निस्तारण की क्या योजना
ई-वेस्ट के निस्तारण को लेकर सरकार की ओर से राजस्था ई-वेस्ट मैनेजमेंट नीति 2023 विश्व पर्यावरण दिवस पांच जून 2023 को जारी की गई। रीको की ओर से राजस्थान के वार्षिक बजट में ई-वेस्ट रिसाइकिल संबंधी इकाइयों को सम्मिलित करने के लिए इंटीग्रेटेड रिसोर्स रिकवर पार्क की स्थापना की हैं। इसमें ई-वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, लीथियम आयन बैट्री रिसाइक्लिंग संबंधित उद्योगों को भूखण्डों का आवंटन किया जा रहा हैं।
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