महंगी बिजली के विरोध में लामबंद हुए प्रदेश के उद्यमी, बड़े आंदोलन की चेतावनी
उद्यमियों की चेतावनी : मांगें नहीं मानी तो उतरेंगे सड़कों पर
राजस्थान के औद्योगिक संगठनों ने बिजली दरों में वृद्धि और रीको नीतियों के विरोध में 'संयुक्त उद्यमी संघर्ष समिति' का गठन किया। बढ़ती लागत से उद्योग बंद हो रहे हैं और स्टील-प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों में परिचालन खर्च बढ़ा है। संगठनों ने चेताया कि मांगें पूरी न होने पर प्रदेशभर के उद्यमी आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरेंगे।
जयपुर। राजस्थान के प्रमुख औद्योगिक संगठनों ने राज्य सरकार द्वारा बिजली दरों में की गई भारी वृद्धि और औद्योगिक क्षेत्र की अनदेखी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विश्वकर्मा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (VKIA) भवन में आयोजित प्रदेश स्तरीय बैठक में विभिन्न संगठनों ने 'संयुक्त उद्यमी संघर्ष समिति' का गठन कर सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है।
लागत में भारी इजाफा, बंद हो रही हैं इकाइयाँ :
उद्यमियों का कहना है कि सरकार नए निवेश को आकर्षित करने के लिए 'राइजिंग राजस्थान' और 'प्रवासी सम्मेलन' जैसे आयोजन कर रही है, लेकिन वर्तमान में स्थापित उद्योगों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सितंबर माह में बिजली बिलों पर नए शुल्क और सरचार्ज लगाए जाने से बिजली करीब 2.5 से 3 रुपये प्रति यूनिट महंगी हो गई है।
इससे उद्योगों की मासिक लागत में 25 हजार से 10 लाख रुपये तक की वृद्धि हुई है।
स्टील और प्लास्टिक जैसे उद्योगों में परिचालन खर्च का 25 से 40 प्रतिशत हिस्सा केवल बिजली पर व्यय हो रहा है।
बढ़ती लागत के कारण पिछले दो वर्षों में प्रदेश में 6,000 से अधिक MSME इकाइयाँ बंद हो चुकी हैं।
रीको की नीतियों और बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
बिजली के साथ-साथ रीको (RIICO) की नीतियों को लेकर भी भारी रोष है।
रीको द्वारा 'प्रीवेलिंग रेट्स' (Prevailing Rates) में 80% की वृद्धि करने से न केवल जमीन महंगी हुई है, बल्कि इससे जुड़े अन्य शुल्कों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
वीकेआई सहित प्रदेश के अधिकांश औद्योगिक क्षेत्र अतिक्रमण, खराब ड्रेनेज सिस्टम और सड़कों के अभाव जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं।
नए औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क जैसी बुनियादी सुविधा न होने के कारण निर्माण सामग्री की आवाजाही भी संभव नहीं हो पा रही है।
उद्यमियों की चेतावनी : मांगें नहीं मानी तो उतरेंगे सड़कों पर :
बैठक में शामिल राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स, फोर्ट (FORTI), लघु उद्योग भारती और प्रदेश के अन्य शीर्ष संगठनों ने संयुक्त रूप से कहा कि मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री और ऊर्जा मंत्री को बार-बार अवगत कराने के बाद भी उनकी समस्याओं पर विचार नहीं किया गया।
संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने बिजली शुल्क वृद्धि और रीको की बढ़ी हुई दरें वापस नहीं लीं, तो प्रदेशभर के उद्यमी एकजुट होकर सड़कों पर उतरने और आंदोलन करने को मजबूर होंगे। जगदीश सोमानी (अध्यक्ष) एवं पुष्प कुमार स्वामी (महासचिव)
संयुक्त उद्यमी संघर्ष समिति। उद्यमी सीताराम अग्रवाल, विनोद गुप्ता, नितिन अग्रवाल, जितेंद्र गोयल, आर एस जैमिनी, निलेश अग्रवाल, अरुण अग्रवाल और सुनील अग्रवाल सहित अनेक औद्योगिक संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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