आनुवांशिक कारणों और कमजोर इम्यूनिटी से बच्चों में बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले, लक्षणों की पहचान जरूरी
बच्चों में बड़ों की तुलना में कैंसर का इलाज है चुनौतीपूर्ण
बच्चों में होने वाले कैंसर का कोई एक स्पष्ट कारक नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों पर शोध किया गया है।
जयपुर। भूख ना लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना, वजन कम होना जैसे लक्षण बच्चों में कई बार देखे जाते हैं। यह लक्षण बच्चों में होने वाले संभावित कैंसर की वजह हो सकते हैं। बच्चों में होने वाले कैंसर का कोई एक स्पष्ट कारक नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों पर शोध किया गया है। इनमें आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारणों से रेडिएशन, प्रदूषण और जहरीले रसायनों के संपर्क में आने एवं कमजोर इम्यून सिस्टम एक बड़ी वजह हैं। ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी-2022 के अनुसार भारत में 26016 कैंसर रोगियों की पहचान प्रतिवर्ष हो रही है। राजस्थान में भी हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में नए कैंसर रोगियों की पहचान हो रही है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि समय पर जांच और उपचार की शुरुआत से बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा सकता है।
बच्चों में बड़ों की तुलना में कैंसर का इलाज है चुनौतीपूर्ण :
भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं। ये आमतौर पर तेजी से विकसित होते हैं और इनके इलाज के लिए विशेष प्रकार की चिकित्सा की जरूरत होती है। बच्चों में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया यानी रक्त कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, लिंफोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर यानी किडनी कैंसर, रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा यानी हड्डियों का कैंसर प्रमुख है। इन बच्चों में सर्जरी भी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है। हालांकि समय पर उपचार की शुरुआत से 80 फीसदी से अधिक बाल कैंसर रोगी कैंसर को हराकर सामान्य जीवन यापन करते हैं।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में कैंसर के कई लक्षण हैं, जिनमें अत्यधिक थकान और कमजोरी, बुखार रहना, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, शरीर पर असामान्य सूजन या गांठ, रोशनी में गिरावट या सफेद चमक दिखना। लक्षण लंबे समय तक रहते हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
Comment List