पीजी कोर्स के बाद डॉक्टर सेवा नहीं दें तो दस लाख रुपए करें अदा
राशि का भुगतान राज्य सरकार के पक्ष में किया जाए
याचिका में अधिवक्ता कुशाग्र शर्मा और पूर्व माथुर ने बताया कि पीजी कोर्स में प्रवेश के समय दस लाख रुपए का बॉन्ड लिया जाता है कि यदि वे कोर्स के बाद दो साल तक राज्य सरकार को सेवा नहीं दें तो इस राशि का भुगतान राज्य सरकार के पक्ष में किया जाए।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज व अन्य मेडिकल कॉलेजों से पीजी कोर्स करने के बाद सीनियर रेजिडेंटशिप नहीं करने से जुडे मामले में राज्य सरकार को उनके मूल दस्तावेज लौटाने को कहा है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार को यह अंडरटेकिंग दे कि यदि वे एसआरशिप ज्वाइन नहीं करेंगे तो दस लाख रुपए की बॉन्ड राशि का भुगतान करेंगे। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. सैयद शाबाज सहित करीब दो सौ से अधिक याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने राज्य सरकार की पुनर्विचार अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मुद्दा खंडपीठ में लंबित चल रहा है। एकलपीठ इसमें आदेश पारित नहीं कर सकता।
याचिका में अधिवक्ता कुशाग्र शर्मा और पूर्व माथुर ने बताया कि पीजी कोर्स में प्रवेश के समय दस लाख रुपए का बॉन्ड लिया जाता है कि यदि वे कोर्स के बाद दो साल तक राज्य सरकार को सेवा नहीं दें तो इस राशि का भुगतान राज्य सरकार के पक्ष में किया जाए। साथ ही उनके मूल दस्तावेज भी जमा करा लिए जाते हैं। जबकि मूल दस्तावेज रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। एकलपीठ पूर्व में भी दस्तावेज जारी करने के निर्देश दे चुका है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अर्चित बोहरा ने कहा कि सरकार बहुत कम फीस पर पीजी कराती है और एसआरशिप के दौरान चिकित्सकों को भुगतान भी करती है। इसके बावजूद कोर्स करने के बाद वे दो साल की सेवा नहीं देते। इसलिए उनके बॉन्ड के साथ ही मूल दस्तावेज लिए जाते हैं।

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