2300 साल पुराने सिक्कों पर शिव और नन्दी के चित्र
सिक्कों का संग्रह पुरातत्व विभाग के पास देखने को मिलता है
सावन का महीना चल रहा है। ऐसे में वर्षों पुराने सिक्कों की जानकारी दे रहे है, जिनमें शिव और उनके वाहन नन्दी के चित्र है।
जयपुर। सिक्का शास्त्रियों की मान्यता है कि प्राचीन काल में कारीगर गोल धातु पिण्डों को हाथ से ठोक पीट कर चौकोर या चपटे सिक्के का स्वरूप दिया करते देते थे। निर्माण के प्रारंभिक काल में भी सिक्कों पर विभिन्न चिन्ह बनाए गए। 2300 साल पुराने सिक्कों में स्वास्तिक, शंख, सूर्य, चन्द्रमा, चक्र, ध्वज, नारियल, वृक्ष, कमल सहित मांगलिक प्रतीक चिन्ह है। इस तरह के सिक्कों का संग्रह पुरातत्व विभाग के पास देखने को मिलता है। सावन का महीना चल रहा है। ऐसे में वर्षों पुराने सिक्कों की जानकारी दे रहे है, जिनमें शिव और उनके वाहन नन्दी के चित्र है।
पहली बार शिव और नन्दी अंकित
300 वर्ष ईसा पूर्व यूनानी सम्राट सिकन्दर एवं उसके उत्तराधिकारी शासकों ने भारतीय सिक्कों पर पहली बार शिव, नन्दी एवं हाथी सहित अन्य चित्र अंकित करवाए थे। इसी तरह 150 वर्ष ईसा के चांदी एवं तांबे के सिक्के भी हैं। इनके अग्रभाग में दक्षिण मुखी नन्दी खड़ा है। साथ ही खरोष्ठी भाषा में ‘महाराजसा अपालादातासा मातारास’ अंकित है। पुरातत्व विभाग के पास शासक मित्र द्वारा प्रचलित तांबे के गोलाकार सिक्कों पर वाममुखी नन्दी, ध्वज एवं अन्य चिन्ह तथा दूसरी ओर वृक्ष, स्वास्तिक, चक्र, पर्वत आदि अंकित हैं।
हाथ में त्रिशूल लिए शिव
पुरातत्व विभाग के मुद्रा विशेषज्ञ प्रिंस कुमार उप्पल का कहना है कि विभाग के पास कुछ ऐसे सिक्के भी संग्रहित हैं, जिनके अग्रभाग में नंदी के सामने हाथ में त्रिशूल लिए शिव हैं। इनमें शिव का मुंह सामने तथा नंदी का मुंह दाहिनी तरफ है। सिक्के के पृष्ठ भाग में वाममुखी राजा हाथ में त्रिशूल लिए खड़े हैं। इस सिक्के पर ग्रीक भाषा में लेख है। शासक शिवाजी राव होल्कर के जारी किए तांबे के आधा पैसा, एक पैसा, दो पैसा आदि मूल्य वर्ग के सिक्कों में वाममुखी नंदी का चित्र एवं अन्य विवरण देवनागरी लिपि में अंकित है।

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