महिलाओं के हितों को लेकर समझ और आधुनिक सोच रखने वाली इंदिरा कहती हैं कि नारी के सम्मान से ही घर, समाज, देश और दुनिया  के विकास का रास्ता निकलता है

सफर पुरुषों के समानान्तर हुआ रफ्तार अभी बाकी

महिलाओं के हितों को लेकर समझ और आधुनिक सोच रखने वाली इंदिरा कहती हैं कि नारी के सम्मान से ही घर, समाज, देश और दुनिया  के विकास का रास्ता निकलता है

गांवों में बच्चियां पढ़ लिखकर आगे बढ़ रही हैं लेकिन अभी भी घूंघट से पूरी तरह उन्हें निकालने की जरूरत दिखती है।

जयपुर। राजस्थान की सियासत की धुरी विधानसभा में वासुदेव देवनानी भले की उच्चस्थ आसन पर विराजमान हों, सदन में सुप्रीमो हों लेकिन उनके घर में उनकी धर्मपत्नी इंदिरा देवनानी की ही व्यवस्थाएं और नियम-परम्पराएं चलती हैं। वे शादी होकर आई तब ही से देवनानी राजनीति में सक्रिय हैं। वे राजनीति पर अपडेट रहती हैं, लेकिन देवनानी के राजनीतिक फैसलों से दूर रहती हैं। महिलाओं के हितों को लेकर समझ और आधुनिक सोच रखने वाली इंदिरा कहती हैं कि नारी के सम्मान से ही घर, समाज, देश और दुनिया के विकास का रास्ता निकलता है। इसे महिलाएं साबित भी कर रही हैं। शिक्षिका रहीं इंदिरा महिलाओं कीआत्मनिर्भरता की बहुत पक्षधर और रूढ़िवाद व अंधविश्वास की धुर विरोधी हैं। उनका कहना है कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों के समानान्तर खड़ी हो चुकी हैं। अब उन्हें रफ्तार पकड़नी है। उनसे आगे निकलना है। महिला दिवस पर उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश: 

सवाल: देवनानी विधानसभा अध्यक्ष हैं, राजनीति में कितनी रुचि रखती हैं? 
जवाब: राजनीतिक खबरों से अपडेट रहती हूं लेकिन उनकी राजनीति से दूर रहती हूं। विधानसभा कार्यवाही यू-ट्यूब पर देखती हूं। 
सवाल: राजनीतिक फैसलों में क्या वे आपकी राय को अहमियत देते हैं? 
जवाब: उनके साथ 1974 में शादी हुई। तब वे उदयपुर में एबीवीपी में पदाधिकारी थे। चर्चा होती है लेकिन खुद के फैसले वे खुद करें, ऐसी मेरी सोच रही है। उनके काम में दखलदांजी नहीं करती। सोचती हूं आगे भी जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं भी अपने हिस्से के फैसले खुद ही करती हूं। 
सवाल: आप शिक्षिका रहीं। काम और परिवार में कैसे सामंजस्य बिठाती रहीं? अब दिनचर्या क्या रहती हैं?
जवाब: देवनानी राजनीतिक कार्यों से व्यस्त रहते थे। स्कूल समय में शिक्षिका और इसके बाद घर में पत्नी-मां होने का जिम्मा निभाया। उनके पास हमारे लिए कम समय रहता था, लेकिन सामंजस्य टूटने नहीं दिया। आपसी समझ और समझौतों से जीवन चलता रहा। अब रिटायर हूं, पूरा समय घर रहती हूं। महिलाओं से जुड़ी मैंगजीन पढ़ना, टीवी, न्यूज चैनल और अखबार मेरे अच्छे दोस्त हैं। घर के फैसले मिलकर करते हैं। मुझे अकेले कहीं फैसले की जरूरत होती है तो खुद सक्षम हूं, उन्हें भी मेरे फैसलें सही होते हैं, इसका पूरा विश्वास रहता है।

महिलाओं के किन मुद्दों पर बात रखना चाहेंगी?
महिलाएं त्याग-समर्पण की पहचान रही हैं। शहरों में रूढ़ीवाद, अंधविश्वास और शोषण की स्थितियां कम ही रह गई हैं। गांवों में अभी इनसे उबरने की गुंजाइश है। गांवों में बच्चियां पढ़ लिखकर आगे बढ़ रही हैं लेकिन अभी भी घूंघट से पूरी तरह उन्हें निकालने की जरूरत दिखती है। यहां भी पुरूषों से कदम ताल मिलानी ही होगी। 

सवाल: महिलाओं के बारे में क्या कहेंगी?
शास्त्रों में लिखा है कि जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवों का निवास होता है। महिलाएं, पुरूषों से कहीं भी कमतर नहीं हैं। राष्टÑपति महिला हैं। प्रदेश की वित्त मंत्री महिला हैं। महिलाएं अंतरिक्ष तक पहुंच रही हैं। आधी दुनिया उनसे ही है। देश-दुनिया के विकास में उनकी भागीदार लगातार बढ़ रही है। आत्मनिर्भरता लगातार आ रही है। सफर पुरूषों के समानान्तर हो चला है, लेकिन रफ्तार अभी बाकी है।  

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