पैरोल पर बाहर आकर नहीं लौटा जेल : सीरियल किलर ‘डॉक्टर डेथ’ साधु वेश में दौसा जिले के आश्रम से गिरफ्तार

यूं बिछाया दिल्ली पुलिस ने जाल 

पैरोल पर बाहर आकर नहीं लौटा जेल : सीरियल किलर ‘डॉक्टर डेथ’ साधु वेश में दौसा जिले के आश्रम से गिरफ्तार

आरोपी रामेश्वरम धाम मंदिर में संत दयादास महाराज के नाम से मशहूर हो गया और लग्जरी लाइफ जीने लगा।

बांदीकुई। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रविवार को दौसा जिले के गुढ़ाकटला के एक मंदिर में साधु वेश में रह रहे सौ से अधिक हत्याएं करने वाले सीरियल किलर डॉ. डेथ को गिरफ्तार किया है। आरोपी आजीवन कारावास की सजा काटने के दौरान दो माह की पैरोल पर जेल से बाहर आया और उसके बाद फरार हो गया। आरोपी देवेन्द्र शर्मा उर्फ डॉक्टर डेथ किडनी रैकेट और हत्या जैसे कई जघन्य अपराधों में शामिल रहा है। उसने 1984 में बडियाल रोड बांदीकुई में जनता क्लिनिक के नाम से क्लिनिक भी खोला था। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के छर्रा निवासी आरोपी दो साल से वेश बदलकर कठूमर-दौसा इाईवे पर गुढ़ाकटला गांव की सीमा में रामेश्वरम धाम मंदिर में पुजारी के रूप में रह रहा था। उसे इलाके में संत दयादास महाराज के नाम जाना जाता है। स्थानीय लोगों कहना था कि वह मंदिर में सुबह 4 बजे उठकर  पूजा अर्चना करता था फि र दूर दराज से आने वाले लोगों के उपचार में जुट जाता। आरोपी सभी बीमारियों का इलाज करने दावा कर रोगियों से मोटी फीस भी वसूलता। मंदिर के समीप आरोपी का सुविधाओं लैस कमरा है। आरोपी रामेश्वरम धाम मंदिर में संत दयादास महाराज के नाम से मशहूर हो गया और लग्जरी लाइफ जीने लगा। वह कुर्ता और नेकर पहनकर रहता था।

यूं बिछाया दिल्ली पुलिस ने जाल 
आरोपी को दिल्ली पुलिस लंबे समय से तलाश कर रही थी। दिल्ली पुलिस का जवान आरोपी के पास पेट गैस बनने की बीमारी से पीड़ित बनकर पहुंचा था और तीन दिन तक रैकी की। जवान की पुख्ता सूचना पर 19 मई को दिल्ली पुलिस उसे पकड़ कर साथ ले गई। 67 वर्षीय आरोपी  9 जून 2023 में तिहाड़ जेल से दो माह की पैरोल पर रिहा हुआ लेकिन पैरोल अवधि खत्म होने के बाद जेल नहीं पहुचा। पैरोल जब्त होने के बाद से पुसिल आरोपी की तलाश में लगी।  इससे पूर्व दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने छह माह तक लगातार अलीगढ़, जयपुर,दिल्ली, आगरा,प्रयागराज और दौसा में सर्च ऑपरेशन चलाया।

125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कराए
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 1998 से 2004 के बीच आरोप ने एक अन्य डॉक्टर अमित के साथ मिलकर अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चलाया। उस समय उसने स्वीकार किया था कि उसने 125 से  ज्यादा ट्रांसप्लांट में मध्यस्थ की भूमिका निभाई और हर केस में उसे 5 से 7 लाख रुपए मिले। 1995 में वृंदावन व 2002 में राजस्थान के हिंडौन मेंं भी आरोपी हत्या कर चुका है।

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