जयपुर नाट्य समारोह : बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा से जोड़ आत्मनिर्भर बनाने का दिया संदेश
महज एक छलावा है, जिसे उसे दूर भगाना होगा
मंचन में दिखाया गया कि कैसे गार्गी समाज की रूढ़ियों को चुनौती देकर शास्त्रार्थ में भाग लेती और अपनी विद्वता से सभी को प्रभावित करती है।
जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से जयपुर नाट्य समारोह के तहत नाटक गार्गी का प्रभावशाली मंचन हुआ, इसमें नाटक के माध्यम से बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का संदेश दिया गया। कन्हैया लाल कलावत द्वारा लिखित व निर्देशित इस नाटक ने दर्शकों को ज्ञान, आत्मविश्वास और विद्वता की प्रेरणा दी। मंच पर सफेद रोशनी पड़ती है और नजर आती है गार्गी जो दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखकर खुद से बातें कर रही है। वह आत्ममंथन कर पूछती है कि क्यों वह खुद को कमजोर और ज्ञानहीन समझ रही है, उसकी निर्बलता सत्य नहीं है, बल्कि महज एक छलावा है, जिसे उसे दूर भगाना होगा।
असल में तो वह सशक्त और दृढ़निश्चयी है। तभी उसे मालूम पड़ता है कि राजा जनक अपने नगर में एक शास्त्रार्थ आयोजित करते हैं, जिसमें देशभर के विद्वानों, ऋषियों और लेखकों को आमंत्रित किया जाता है। जब प्रतियोगिता शुरु होती है, तो कोई भी विद्वान आगे नहीं आता। तभी गार्गी ऋषि याज्ञवल्क्य को चुनौती देती है और उनसे गहरे प्रश्न पूछने लगती है। इनमें आग, पानी, भावनाएं, समाज, स्वर्ग, पृथ्वी, मृत्यु और ब्रह्मचारी जीवन से जुड़े कई जटिल सवाल मौजूद हैं। याज्ञवल्कय गार्गी के तर्कों से कई बार चौंक जाते हैं, लेकिन अंत में वे उसकी विद्वता को स्वीकार करते हैं। मंचन में दिखाया गया कि कैसे गार्गी समाज की रूढ़ियों को चुनौती देकर शास्त्रार्थ में भाग लेती और अपनी विद्वता से सभी को प्रभावित करती है।
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