BJP के हाथ से निकला जाट और एससी वोट बैंक

BJP के हाथ से निकला जाट और एससी वोट बैंक

चार एससी और तीन एसटी सीटों में से भाजपा के खाते में सिर्फ दो सीटें आई हैं।

जयपुर। लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बार राजस्थान में जाट और अनुसूचित जाति (एससी) वोट बैंक भाजपा के हाथ से निकल गया है। लोकसभा के पिछले दो चुनावों में इस वोट बैंक ने भाजपा पर भरोसा जताया था। इसी वजह से दोनों बार पूरी 25 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी, लेकिन इस पर इन वर्गों के वोट बैंक ने कांग्रेस पर भरोसा जताया है, जिसका असर सबके सामने है। इसी वजह से कांग्रेस दस साल बाद खाता खोलने में सफल हो गई। इसके साथ ही पूर्वी राजस्थान के साथ शेखावाटी और नहरी क्षेत्रों में भाजपा का जनाधार कम हुआ है। केन्द्रीय मंत्रियों अर्जुन मेघवाल और गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष अध्यक्ष ओम बिरला के क्षेत्रों में भी भाजपा के वोट बैंक में कमी आई है। इसके चलते वहां जीत का मार्जिन कम रहा है। 

चुनावी नतीजों अनुसार राजस्थान में जाट और एसटी बेल्ट में भाजपा बुरी तरह हार गई। जाट सीटों में सीकर, चूरू, झुंझुनूं, नागौर और बाड़मेर में कांग्रेस और इसके सहयोगी जीत गए। वहीं, तीन एसटी सीटों में से भाजपा दो दौसा और बांसवाड़ा में भी हार गई। पांच साल पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने चूरू तीन लाख 34 हजार, झुंझुनूं तीन लाख 25 हजार, सीकर दो लाख 97 हजार, बाड़मेर तीन लाख 23 हजार और नागौर एक लाख 81 हजार के बड़े अंतर से जीती थीं। इसी प्रकार एसटी सीट दौसा 78 हजार और बांसवाड़ा करीब तीन लाख  से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थी।चुनावों के नतीजों से एक बात और साफ  नजर आ रही है कि कांग्रेस ने सीकर, बांसवाड़ा और नागौर के लिए जो गठबंधन किया था, वो पूरी तरह से सफल रहा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का दावा है कि इसे कांग्रेस की सबसे बड़ी सफलता कह सकते हैं कि एलायंस सीट पर कांग्रेस का वोट एलायंस पार्टनर को पूरी तरह से हुआ है। वहीं, भाजपा इस मामले में फेल साबित हुई। भाजपा ने बांसवाड़ा में कांग्रेस के महेंद्रजीत मालवीय को तोड़कर अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन वे हार गए। इसी तरह नागौर में भी ज्योति मिर्धा को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से तोड़कर भाजपा में शामिल किया गया। वे विधानसभा चुनाव भी हारीं और अब लोकसभा चुनाव में भी पिछड़ गई।

आरक्षण का मुद रहा फायदेमंद
राजस्थान के सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों के नतीजों यह साफ हो गया कि आरक्षण से छेड़छाड़ का मुद्दा कांग्रेस के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है। यहां चार एससी और तीन एसटी सीटों में से भाजपा के खाते में सिर्फ दो सीटें आई हैं।

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