नारायण अस्पताल ने किया आर्थराइटिस एवं जोड़ प्रत्यारोपण पर बीट द पेन 10जी एडिशन्स
शंकाओं के समाधान के लिए सीधा संवाद
शर्मा ने बताया कि आर्थराइटिस बहुत ही पीड़ादायक बीमारी होती है, जिसका अगर समय पर उचित ईलाज नहीं कराने पर स्थायी विकलांगता की स्थिति में बदल सकती है।
जयपुर। नारायणा हॉस्पिटल जयपुर ने आर्थराइटिस एवं जोड़ प्रत्यारोपण पर बीट द पेन नामक एक जागरूकता सेमिनार के 10जी एडिशन्स का आयोजन किया। हॉस्पिटल के सीनियर ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. विजय कुमार शर्मा ने आर्थराइटिस एवं जोड़ प्रत्यारोपण से जुड़े अपने अनुभव सांझा किए और आर्थराइटिस (घुटने के दर्द) से बचाव व उसकी रोकथाम की चर्चा, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में व्यायाम के प्रभाव एवं शंकाओं के समाधान के लिए सीधा संवाद किया। सेमिनार की मुख्य बात यह रही कि 100 से भी ज्यादा आर्थराटिस पीड़ित लोगों ने भाग लिया। इसमें उनकी शंकाओं और प्रश्नों के जवाब पहले जोड़ प्रत्यारोपण करवा चुके मरीजों ने दिए।
शर्मा ने बताया कि आर्थराइटिस बहुत ही पीड़ादायक बीमारी होती है, जिसका अगर समय पर उचित ईलाज नहीं कराने पर स्थायी विकलांगता की स्थिति में बदल सकती है। जोड़ प्रत्यारोपण पिछले 50 सालों की सबसे सफल सर्जरी में से एक मानी जाती है। अब तक जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी में बहुत से विकास हुए हैं चाहे वो मैटल की इंजीनियरिंग में हो, मैटल के प्रकार में हो, डिजाइन में हो या सर्जरी की तकनीक में हो। वह जोड़ प्रत्यारोपण सबवॉस्टस तकनीक से करते है। इस तकनीक में जोड़ प्रत्यारोपण करते समय घुटने की मांसपेशियों को काटा नहीं जाता है बल्कि घुटने की मांसपेशियों को एक तरफ कर दिया जाता है जिससे मांसपेशियों नहीं कटती है और न ही खून बहता है और दर्द भी बहुत कम होता है। इस तकनीक से मरीज की मांसपेशियों की ताकत भी बराबर रहती है, जिससे वह सर्जरी के बाद से ही बिना सहारे के चलने में सक्षम रहता है।
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