अंगदान समाज की आवश्यकता, यह कार्य समाज की प्रतिभा को देता है बल : धनखड़
हमारी सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत में बलिदानों का उल्लेख है
एक शरीर से आठ अंगों का दान किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अंगदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य की प्रक्रिया से जुड़े और आवश्यकता होने पर अंगदान अवश्य करें।
जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अंगदान समाज की आवश्यकता है। यह कार्य समाज की प्रतिभा को बल देने वाला है। हमारी सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत में बलिदानों का उल्लेख है। देहदानी अपनी आने वाली पीढ़ियों का सिर ऊंचा रखने वाला कार्य कर जाता है। उन्होंने कहा कि अंगदान में भारत विश्व के लिए एक मिसाल बनना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि अंगदान जीवन दान है। यह गौरवमयी और अद्भुत समारोह भारत की प्राचीन संस्कृति, आदर्श और मूल्यों से जुड़ा हुआ है। पहले लोगों में अंगदान के प्रति भ्रांति थी, लेकिन अब लोग अंगदान के महत्व को समझ रहे हैं और उसके लिए प्रेरित हो रहे हैं। एक शरीर से आठ अंगों का दान किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अंगदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य की प्रक्रिया से जुड़े और आवश्यकता होने पर अंगदान अवश्य करें।
अंगदान के प्रति जागरूकता का समाज में प्रसार करने की जरूरत है। यह मानवता के लिए प्रेरणादायी कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति दृढ़ निश्चय के साथ अंगदान करके और देहदान का प्रण लेकर समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है। धनखड और देवनानी ने बिरला सभागार में देहदानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने स्मृति शर्मा भाटिया की नव प्रकाशित पुस्तक ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन का विमोचन भी किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद थे।
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