स्थापना दिवस पर विशेष: आरयू की बढ़ी उम्र कम हुई पहचान, हर क्षेत्र में दिए काबिल
विश्वविद्यालय ने देश को दिए आईएएस, राजनेता और डॉक्टर
यूजीसी की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (एनएएसी) ने 2016 में आरयू को ए ग्रेड प्रदान की है। इससे पहले 3 मई, 2004 में ‘ए प्लस’ ग्रेड दी थी, जो कि 2009 तक मान्य थी।
ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय आठ जनवरी, 2023 को 77वें साल में प्रवेश करेगा, लेकिन उम्र के साथ इसकी शिक्षा में निखरने की जगह साख लगातार गिरती जा रही हैं। राजपूताना के नाम से विश्वभर में एक बार तो आरयू ने विदेशियों को भी पढ़ाई के लिए अपनी ओर खीचा था, लेकिन अब हालात विपरित हैं। विदेशी छात्र के नाम पर आरयू में नाम मात्र के छात्र अध्ययन कर रहे हैं। कई कोर्स मरणासन्न स्थिति में हैं तो कई अब बंद होकर इतिहास बन गए हैं। शिक्षकों की कमी, संविदा पर काम चलाऊ नीति व पढ़ाई का गिरता माहौल के कारण विद्यार्थियों का मोहभंग हो रहा है। यहां से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी बेरोजगार की श्रेणी में पहुंच रहे हैं, उन्हें आरयू प्रशासन की ओर से रोजगार मुहआ भी नहीं करवा जा रहा है। विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल तो है, लेकिन यह प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर रही है। इस विवि ने देश को आईएएस से लेकर कई बड़े अफसर, वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर राजनेता व नामचीन हस्तियां दी है।
यह है नामचीन हस्तियां
पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ , पूर्व उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी, पूर्व ग्रामीण एवं पंचायतीराज मंत्री डॉ. राजेन्द्र राठौड़, देश के नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष प्रो. अरविन्द पानगड़िया, पद्मश्री डॉ. अशोक पानगड़िया, प्रो. केएल कमल, जलदाय मंत्री महेश जोशी, पूर्व विधायक डॉ. कैलाश वर्मा, सांसद हनुमान बेनीवाल, मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, पूर्व मंत्री रघु शर्मा, विधायक रामलाल शर्मा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, रामनिवास मिर्धा, पूर्व राज्यपाल नवल किशोर शर्मा सहित अन्य लोग विश्वविद्यालय से ही पढ़े हुए हैं। देश-विदेश के ख्याति प्राप्त विद्वान प्रो. राजा चेलैया, प्रो. राजकृण, प्रो. एलएस स्वामी, प्रो. सीवी सुब्रह्मण्यम, प्रो. आरसी मेहरोत्रा, प्रो. आर. रंगराजन, प्रो. बीएल सराफ, प्रो.वीआर मेहता, प्रो. दयाकृष्ण सहित अन्य लोगों का भी जुड़ाव रहा है।
कम हुए विद्यार्थी
आरयू में 38 विभाग, 15 शोध केन्द्र, छह संघटक महाविद्यालय चल रहे हैं। इनमें 37 पीएचडी कोर्सेज, 28 एमफिल पाठ्यक्रम, 50 स्नातकोत्तर, 15 स्नातक पाठ्यक्रम, 21 पीजी डिप्लोमा, 12 डिप्लोमा व सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम संचालित हैं, जिनमें 27 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। 2016 में दस लाख आवेदन थे। 2015 में 6,90,690 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। इस बार का आंकड़ा छह लाख के करीब है।
नैक ने दिया ‘ए’ ग्रेड
यूजीसी की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (एनएएसी) ने 2016 में आरयू को ए ग्रेड प्रदान की है। इससे पहले 3 मई, 2004 में ‘ए प्लस’ ग्रेड दी थी, जो कि 2009 तक मान्य थी।
ऐसे हुई थी स्थापना
आरयू की स्थापना आठ जनवरी, 1947 में हुई थी। उस समय इसका नाम राजपूताना विश्वविद्यालय था। इसकी स्थापना में तत्कालीन राजा सवाई मानसिंह द्वितीय के प्रयास से हुई। राजा ने विश्वविद्यालय का प्रथम एजुकेशन आॅफिसर जेसी रोलो को बनाया। इनके अंडर में सहायक आॅफिसर वीटी कृष्णामाचारी को बनाया। इस समय देश में 20 विश्वविद्यालय थे और यह 21वां बना। इसका पहला आॅफिस केसरगढ़ में बनाया था। इसके बाद यूनिवर्सिटी वर्तमान महाराजा कॉलेज में शुरू हुई।

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