पंचायती राज विभाग एलडीसी भर्ती स्कैम : फर्जी प्रमाण-पत्रों से नियमतिकरण पर हड़कंप, दोषियों पर कार्रवाई की मांग तेज
स्कैम पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 2013 और 2022 में हुई भर्तियों से जुड़ा
पंचायती राज विभाग में एलडीसी की सीधी भर्ती प्रक्रिया में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने पर विभाग में हड़कम्प हो गया है।
जयपुर। पंचायती राज विभाग में एलडीसी की सीधी भर्ती प्रक्रिया में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने पर विभाग में हड़कम्प हो गया है। स्कैम दोबारा उजागर होने पर दोषियों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। यह स्कैम पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 2013 और 2022 में हुई भर्तियों से जुड़ा है, जिसमें करीब 15 हजार संविदा कर्मचारियों को बिना टाइप टेस्ट और फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर नियमित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार यह स्कैम उस समय उजागर हुआ, जब विभाग ने 277 कर्मचारियों के फर्जी अहर्ता और अनुभव प्रमाण पत्रों का खुलासा किया, लेकिन इसके बाद अन्य मामलों को रफा-दफा कर दिया गया। उस समय भर्तियों के लिए कंप्यूटर डिप्लोमा अनिवार्य था, लेकिन बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने राज्य से बाहर की यूनिवर्सिटी के फर्जी ऑफ-कैंपस डिप्लोमा पेश कर दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रो. यशपाल बनाम छत्तीसगढ़ राज्य (2005) के ऐतिहासिक निर्णय में स्पष्ट किया था कि किसी भी विश्वविद्यालय को राज्य की सीमा से बाहर ऑफ-कैंपस स्टडी सेंटर चलाने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद ऐसे फर्जी प्रमाण-पत्र मान्य किए गए। वर्ष 2013 में किए गए आवेदन 2022 की भर्ती में भी शामिल किए गए, जिनमें कई उम्मीदवारों ने पहले अनुभव शून्य बताया था, लेकिन 2022 में उन्हीं आवेदनों में अनुभव प्रमाण पत्र जोड़ दिए गए। यह खुलासा तब हुआ, जब एसओजी ने अलवर जिला परिषद में एक एफआईआर दर्ज की। पंचायती राज विभाग के तत्कालीन सचिवों ने सभी जिला परिषद सीईओ को लिखित आदेश दिए गए थे कि फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नियुक्त कर्मचारियों को हटाया जाए, लेकिन ये आदेश केवल औपचारिकता बनकर रह गए।

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