राजनीतिक समीकरण बदले : बगरू नगर पालिका में हलचलनगर पालिका परिसीमन अधिसूचना जारी, चेयरमैन व पार्षदों की लॉटरी पर निगाहें
सबसे कम आबादी वाला वार्ड 34
नगर पालिका चुनाव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। 35 वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना जारी होते ही कस्बे की सियासत गरमा गई है
बगरू। नगर पालिका चुनाव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। 35 वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना जारी होते ही कस्बे की सियासत गरमा गई है। इस बार केवल चेयरमैन ही नहीं, बल्कि पार्षदों की लॉटरी भी बड़ा मुद्दा बनी हुई है। वार्डों की नई संरचना और आरक्षण की स्थिति ने कई पुराने नेताओं के समीकरण बिगाड़ दिए हैं, तो कई नए चेहरों और युवाओं के लिए मौके भी पैदा कर दिए हैं। सबसे कम आबादी वाला वार्ड 34 है, जहां 759 लोग रहते हैं, जबकि वार्ड 12 सबसे बड़ा है, जिसकी आबादी 1,022 दर्ज की गई है।
बीते दो दशकों तक बगरू नगर पालिका में भाजपा का दबदबा रहा। वर्ष 2000 से 2020 तक लगातार भाजपा का बोर्ड बना, लेकिन 2020 के चुनाव में तस्वीर पलट गई। उस बार कांग्रेस को 16, भाजपा को 11 और निर्दलयों को 8 सीटें मिलीं। इसके बावजूद कांग्रेस का रास्ता आसान नहीं रहा। कांग्रेस के बागी रहे निर्दलय पार्षद मालुराम मीणा 14 मत लेकर चेयरमैन बन बैठे। कांग्रेस के संदीप पाटनी को 10 और भाजपा के मुकेश मेहता को 11 वोट मिले थे। कांग्रेस के बहुमत के बावजूद मीणा ने महज 3 वोटों से जीत दर्ज कर कस्बे की राजनीति में हलचल मचा दी थी।
अब 2025 में परिसीमन, आरक्षण और चेयरमैन-पार्षदों की लॉटरी के साथ ही युवाओं की बढ़ती सक्रियता ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक युवा न केवल मतदाता बल्कि उम्मीदवार और चुनावी रणनीतिकार के रूप में भी अपनी भूमिका निभाने को तैयार हैं। बदलते समीकरण और नई बिसात ने सभी की नजरें इस पर टिका दी हैं कि आखिर बगरू नगर पालिका की गद्दी किसके हिस्से में जाएगी और कौन बनेगा बगरू नगरी का असली सरताज।
राज्य सरकार ने जारी की अधिसूचना, अब लॉटरी पर टिकी निगाहें
राज्य सरकार ने नगर पालिका के 35 वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना जारी कर दी है। यानी शहर की सरकार की नई तस्वीर अब तय है। लेकिन असली दिलचस्पी अब अध्यक्ष की लॉटरी पर टिक गई है। किस वर्ग से अध्यक्ष बनेगा, यह लॉटरी ही तय करेगी। दोनों बड़े राजनीतिक दलों के रणनीतिकार मानो सांस रोके बैठे हैं, क्योंकि लॉटरी की एक पर्ची कई नेताओं की जमीन खिसका सकती है और किसी नए चेहरे को बड़ा मौका दे सकती है। दिसंबर में मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल खत्म होते ही शहर पर प्रशासक की नियुक्ति होना तय माना जा रहा है। उसके बाद नगर पालिका चुनाव का बिगुल बजना लगभग निश्चित है।
बदले हैं राजनीतिक समीकरण
नगर पालिका में 35 वार्ड होंगे। सियासी गलियारों में चर्चा है कि अध्यक्ष की लॉटरी निकलते ही दोनों दल अपने-अपने पार्षद उम्मीदवारों की चालें चलना शुरू कर देंगे। फिलहाल, बगरू की राजनीति में हर कोई यही पूछ रहा है कि 35 वार्डों वाली नगर पालिका किसके हाथ आएगी? वर्तमान में बगरू नगर पालिका की सामान्य सीट पर एसटी वर्ग के मालुराम मीणा अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 2020 में सभी समीकरणों को पलटकर कुर्सी अपने नाम की थी।

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