प्रदेश में 54 साल बाद सबसे बड़ी मॉक ड्रिल, युद्ध जैसे हालातों से निपटने की तैयारी
मॉक ड्रिल को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी की
राजस्थान में 54 वर्षों बाद एक बड़ी मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य हमले की स्थिति में नागरिकों और प्रशासन की तैयारियों को परखना है
जयपुर। राजस्थान में 54 वर्षों बाद एक बड़ी मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य हमले की स्थिति में नागरिकों और प्रशासन की तैयारियों को परखना है। यह अभ्यास बुधवार को प्रदेश के 28 प्रमुख शहरों में अलग-अलग समय पर किया जाएगा। जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर समेत अन्य शहरों में इस मॉक ड्रिल को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई है। राज्य सरकार ने मॉक ड्रिल को लेकर सभी जिलों को अलर्ट मोड में डाल दिया है। मंगलवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें ड्रिल की रूपरेखा तैयार की गई। सभी कलेक्टर और एसपी को दिशा-निर्देश भेज दिए गए हैं। बीकानेर कलेक्टर नम्रता वर्षणी ने बताया कि जिले में 10 स्थानों पर सायरन लगाए गए हैं और सभी अधिकारी पूरी तरह अलर्ट हैं।
ड्रिल के दौरान सिटी कंट्रोल से हूटर बजेगा, जिसके बाद सभी नागरिकों को अपने घरों की लाइट, मोबाइल टॉर्च, सड़क की लाइटें, हाईमास्ट लाइटें, टोल बूथ और वाहनों की लाइट बंद करनी होंगी। इसका उद्देश्य ब्लैकआउट की स्थिति को तैयार करना है ताकि दुश्मन हवाई हमले के दौरान रोशनी के आधार पर लोकेशन ट्रेस न कर सके।
शहरों में आम नागरिकों, खासकर छात्रों को यह सिखाया जाएगा कि हमले के समय एक-दूसरे की सहायता कैसे की जा सकती है। घायल व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार देने, सुरक्षित स्थान पर ले जाने और प्रशासन को सूचना देने की प्रक्रिया समझाई जाएगी। यह मॉक ड्रिल आमजन में जागरूकता फैलाने और आत्मरक्षा की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए की जा रही है।
संवेदनशील शहरों जैसे एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, अस्पताल, बस स्टैंड आदि पर विशेष सुरक्षा टीमें तैनात रहेंगी। इन स्थानों पर सभी इलेक्ट्रिक स्रोत तुरंत बंद कर दिए जाएंगे ताकि दुश्मन को लोकेशन की जानकारी न मिल सके। 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद यह पहली बार है जब देश में इस स्तर की मॉक ड्रिल की जा रही है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह का युद्ध स्तर का अभ्यास देश में अंतिम बार 1971 में हुआ था।

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