निकाय-पंचायत चुनावों से पहले संगठन की सर्जरी वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद दूर करने की तैयारी

गुजरात के बाद राजस्थान में लागू होगा मॉडल

निकाय-पंचायत चुनावों से पहले संगठन की सर्जरी वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद दूर करने की तैयारी

राजस्थान कांग्रेस संगठन में चली आ रही गुटबाजी को समाप्त करने के लिए सभी गुटों के नेताओं से सहमति ली जाएगी।

जयपुर। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के संगठन पर फोकस बढ़ाने की दिशा में राजस्थान कांग्रेस संगठन में भी सर्जरी की तैयारी तेज कर दी गई है। 
आगामी निकाय-पंचायत चुनावों की तैयारी से पहले प्रदेश कांग्रेस का फोकस संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने, बड़े नेताओं के आंतरिक मतभेदों को दूर करने और युवा ऊर्जा को पार्टी से जोड़ने पर बना हुआ है। राहुल गांधी के नए फॉर्मूले के तहत संगठन में जिला, ब्लॉक, बूथ और मंडल स्तर के पदाधिकारियों को निर्णय लेने की शक्तियां दी जाएंगी। इससे सत्ता का विकेन्द्रीकरण होगा और स्थानीय नेताओं की भूमिका बढ़ेगी। यह मॉडल पूर्व पीएम राजीव गांधी के पंचायती राज को मजबूत करने के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जहां जमीनी स्तर पर फैसले लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया गया था। संगठन में आगे बढ़ने का सबसे बड़ा मापदंड नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता होगा। मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि हवाबाज नेताओं को हाशिए पर किया जाएगा।

बड़े नेताओं की आंतरिक गुटबाजी को खत्म करने की रणनीति
राजस्थान कांग्रेस संगठन में चली आ रही गुटबाजी को समाप्त करने के लिए सभी गुटों के नेताओं से सहमति ली जाएगी। नए नियम और प्रक्रियाएं सभी पर समान रूप से लागू होंगी। गुजरात में इस मॉडल के तहत जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए ऑब्जर्वर्स नियुक्त किए गए हैं, जो ब्लॉक स्तर तक जाकर फीडबैक लेंगे और आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे। राजस्थान में भी ऐसी प्रक्रिया पर जोर दिया जा रहा है। पार्टी ऊर्जावान युवा कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ने पर ध्यान दे रही है। गुजरात मॉडल को जल्दी ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में लागू करने का प्लान है।  

गुजरात के बाद राजस्थान में लागू होगा मॉडल
गुजरात में शुरू किए गए संगठन सृजन अभियान के तहत इस मॉडल को पहले लागू किया जा रहा है, जहां जिला अध्यक्षों को उम्मीदवार चयन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाएगी। लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े परंपरागत कांग्रेसी नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। दूसरी पार्टियों से आए नेताओं की तुलना में उनकी भूमिका को अधिक वजन दिया जाएगा। पार्टी छोड़कर गए नेताओं की वापसी के लिए निचले स्तर के पदाधिकारियों की राय को महत्वपूर्ण माना जाएगा।

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले धरातल पर जड़ें जमाने की कोशिश
संगठन में विकेन्द्रीकरण और जमीनी स्तर के नेताओं को सशक्त बनाने की यह रणनीति पार्टी को पहले की तरह जन संगठन के रूप में स्थापित करने की कोशिश है, जैसा कि महात्मा गांधी ने 1920 के दशक में किया था। कांग्रेस का यह कदम आगामी निकाय और पंचायत चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए संगठन को मजबूत करने की दिशा में है। इसके बाद आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन को देखते हुए यह फैसले बहुत अहम माने जा रहे हैं। 

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