राजस्थान हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी : प्रवासी राजस्थानी समारोह और शहर की सजावट के लिए पैसा, लेकिन जर्जर स्कूलों के लिए नहीं
सरकारी स्कूल की छत गिरने से बच्चों की मौत
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के जर्जर स्कूलों की मरम्मत नहीं करने पर रोडमैप पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने दो दिन में रोडमैप पेश नहीं करने पर 5 दिसंबर को शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत या वीसी के जरिए पेश होने को कहा है। सरकार प्रवासी राजस्थानी समारोह के लिए शहर की साज सज्जा के लिए पैसा खर्च कर रही है, लेकिन स्कूलों पर पैसा खर्च नहीं किया जा रहा।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के जर्जर स्कूलों की मरम्मत नहीं करने पर रोडमैप पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने दो दिन में रोडमैप पेश नहीं करने पर 5 दिसंबर को शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत या वीसी के जरिए पेश होने को कहा है। अदालत ने मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार प्रवासी राजस्थानी समारोह के लिए शहर की साज सज्जा के लिए पैसा खर्च कर रही है, लेकिन स्कूलों पर पैसा खर्च नहीं किया जा रहा। अदालत ने मौखिक रूप से चेतावनी दी की यदि स्कूलों के लिए पैसा नहीं दिया तो सरकार के बाकी खर्च रोक दिए जाएंगे। जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस अशोक कुमार जैन की खंडपीठ ने यह आदेश झालावाड़ में सरकारी स्कूल की छत गिरने से बच्चों की मौत के बाद लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद अदालत में पेश हुए। उनकी ओर से रोडमैप पेश करने के लिए अदालत से समय मांगा। इस पर अदालत ने कहा कि कई बार अवसर दिए जाने के बाद राज्य सरकार की ओर से अभी तक रोडमैप पेश नहीं किया गया है। ऐसे में आगामी सुनवाई तक रोडमैप पेश नहीं करने की सूरत में शिक्षा सचिव पेश होकर अपना जवाब दें। अदालत ने 6 नवंबर को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार साल 2047 के विजन की बात करती है, लेकिन स्कूलों को लेकर कल की प्लानिंग भी नहीं है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को जानकारी दी गई थी कि प्रदेश में करीब 86 हजार स्कूली कमरे क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन राज्य सरकार ने यह नहीं बताया था कि इन सभी कमरों को ठीक कैसे किया जा सकता है।

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