कोई निकला करोड़पति तो कोई मिला कारों का शौकीन : काली कमाई के आकाओं में एसीबी के ऑपरेशन बेखौफ से बढ़ा ‘खौफ’
घूसखोरों को वर्षों लग गए पाई-पाई धन इकट्ठा करने में
एसीबी ने आय से अधिक अकूत सम्पत्ति इकट्ठी करने वालों पर कसा शिकंजा, वर्ष 2025 में ट्रैप और आय से अधिक सम्पत्ति के बढ़े मामले, एसीबी ने चलाए ऑपरेशन 40 प्लस, बेखौफ, बेफिक्र और ऑडी
जयपुर। भ्रष्ट और लालची आदतों से सरकारी सिस्टम को खोखला कर आय से अधिक सम्पत्ति इकट्ठी करने वालों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही हैं। प्रदेश एसीबी की ओर से पिछले तीन माह में काली कमाई इकट्ठी करने वालों के खिलाफ तेज हुई कार्रवाई के बाद भ्रष्ट अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। पिछले तीन माह में एसीबी ने कई बड़े अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में नकदी, सोना और अवैध संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए हैं। इनके यहां हुई सर्च में एसीबी के अनुमान से भी ज्यादा सम्पत्ति मिली हो टीमें भी एक बार के लिए सोच में पड़ गईं।
एसीबी के चार बड़े ऑपरेशन
रिश्वतखोरी से 40 से अधिक सम्पत्ति इकट्ठे करने वाले जेडीए के अधीक्षण अभियन्ता अविनाश शर्मा के खिलाफ एसीबी ने 11 मार्च को जयपुर स्थित 7 ठिकानों पर सर्च चलाने के लिए ऑपरेशन 40 प्लस चलाया था। इसके तहत करीब 13 लाख रुपए की नकदी, 100 से अधिक सम्पत्तियों के दस्तावेज, 1.34 करोड़ रुपए के म्यूचुअल फण्ड में निवेश के दस्तावेज बरामद किए गए।
ऑपरेशन ‘ऑडी’
घूसखोरी की कमाई से लग्जरी गाड़ियां खरीदने के शौकीन पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता हरिप्रसाद मीणा के खिलाफ एसीबी ने 10 अप्रैल को जयपुर स्थित पांच ठिकानों पर सर्च किया गया। सर्च में करीब दो करोड़ की महंगी लग्जरी गाड़ियां, लाखों रुपए की विदेशी मुद्रा, करोड़ों रुपए के तीन लग्जरी अपार्टमेंट, विला से संबंधित दस्तावेज एवं दो बैंक लॉकर मिले हैं।
ऑपरेशन ‘बेफिक्र’
सरकार और सिस्टम से बेफिक्र होकर घूसखोरी करने वाले पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियन्ता विद्युत खण्ड (द्वितीय) जोधपुर के दीपक कुमार मित्तल के खिलाफ एसीबी ने जयपुर, उदयपुर, जोधपुर एवं फरीदाबाद हरियाणा स्थित छह ठिकानों पर सर्च किया। सर्च में करीब 50 लाख रुपए की नकदी, करीब आधा किलो सोने के और 1.5 किलो चांदी के जेवर बरामद किए।
17ए की आवश्यकता नहीं
वर्ष 2018 में एसीबी एक्ट में संशोधन हुआ था। इस संशोधन में ट्रेप करने और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में रेड करने के लिए 17ए की आवश्यकता नहीं होती है। 17ए की आवश्यकता पद के दुरुपयोग करने पर पड़ती है। एसीबी यदि किसी अधिकारी के यहां पद के दुरुपयोग की कार्रवाई करती है तो उस अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ पहले उसके संबंधित विभागाध्यक्ष की परमीशन लेनी जरूरी होती है। जबकि ट्रेप और आय से अधिक सम्पत्ति में यह जरूरी नहीं होता है। इसलिए आय से अधिक सम्पत्ति के मामले बढ़े हैं।
ऑपरेशन ‘बेखौफ’
बेखौफ होकर घूसखोरी करने वाले पीएचईडी के अधीक्षण अभियन्ता वृत प्रोजेक्ट बांसवाड़ा अशोक कुमार जांगिड़ के खिलाफ एसीबी ने 20 अप्रैल को ऑपरेशन बेखौफ चलाया। जांगिड़ के जयपुर, पावटा, उदयपुर, अजमेर, मालपुरा एवं बांसवाड़ा स्थित 13 ठिकानों पर सर्च किया, जहां से करीब चार करोड़ रुपए की माइनिंग मशीनरी, करोड़ों रुपए की 55 आवासीय भूखण्ड, माइनिंग लीज, कृषि भूमि, दुकानें व फार्म हाउस वगैरा सम्पत्तियां, पावटा में निर्माणाधीन शॉपिंग मॉल एवं तीन मंजिला व्यवसायिक परिसर, जयपुर में दो व्यवसायिक परिसर, पावटा में 40 बीघा में दो फार्म हाउस मिले। करीब 35 लाख रुपए के सोने-चांदी के जेवर, दो लाख रुपए की नकदी मिली।
क्या होती है आय से अधिक सम्पत्ति
कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी अपने व्यक्तिगत लाभ या स्वार्थ के लिए अपनी तय आय से अधिक सम्पत्ति इकट्ठी करता है तो इसके लिए वह अपने पद का गलत फायदा उठाकर अवैध सम्पत्ति बना लेता है। बेइमानी, लाइजनिंग और पद के दुरुपयोग कर इकट्ठी की हुई सम्पत्ति को आय से अधिक सम्पत्ति माना जाता है।
ये तरीके अपनाते हैं घूसखोर
घूसखोर अपने पद का उपयोग कर रिश्वत लेते हैं और इसके बदले अनुचित लाभ देते हैं।
रुपयों के लिए घूसखोर अपने पद का दुरुपयोग कर अनुचित निर्णय लेते हैं, जिससे उनको रिश्वत मिलती है।
घूसखोर अपने पद का दुरुपयोग कर अपने संपर्कों के माध्यम से अनुचित लाभ उठाते हैं।
घूसखोर गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करते हैं और इसके माध्यम से अनुचित लाभ उठाते हैं।
आय से अधिक सम्पत्ति इकट्ठी करने के लिए अधिकारी पद का दुरुपयोग करते हैं, जिससे सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों की विश्वसनीयत कम होती है।
आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों में कार्रवाई होने से आमजन में संदेश जाता है कि कभी ना कभी गलत कामोें का परिणाम तो मिलता ही है। कई सालों से घूसखोरी कर काला धन इकट्ठा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती है तो सिस्टम में विश्वास बढ़ता है। आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों में रेड करने के बहुत मेहनत लगती है और जांच में भी समय ज्यादा लगता है, लेकिन कार्रवाई प्रभावी होती है। ऐसी कार्रवाई लगातार जारी रहेंगी।
-डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा, डीजी एसीबी राजस्थान

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