इंसान में जीव के मोह जागृत रहेंगे, उन्हें सत्य-असत्य नजर आता रहेगा- मुनि प्रणम्य सागर
मानसरोवर ने पार्श्वनाथ कथा चल रही है
बारह भावनाओं के मर्म को समझाते हुए मुनि ने कहा कि इंसान में जब तक जीव के मोह जागृत रहेंगे, उन्हे सत्य-असत्य नजर आता रहेगा, दुख देने वाले सुख देने वाले लगते है, अहितकारी-हितकारी नजर आने लगते है।
जयपुर। राजधानी में पहली बार चातुर्मास कर रहे आचार्य विद्या सागर महाराज के शिष्य अर्हध्यान योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज महाराज ससंघ के सानिध्य में मानसरोवर के मीरा मार्ग स्थित आदिनाथ भवन में पार्श्वनाथ कथा चल रही है।
मुनिश्री ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि व्रत और शील से जो युक्त होता है वो ही सम्मान पाने के लायक होते हैं। बारह भावनाओं के मर्म को समझाते हुए मुनि ने कहा कि इंसान में जब तक जीव के मोह जागृत रहेंगे, उन्हे सत्य-असत्य नजर आता रहेगा, दुख देने वाले सुख देने वाले लगते है, अहितकारी-हितकारी नजर आने लगते है। सिर्फ निर्गथ गुरु और जिनवाणी सत्य सुना सकती है। बारह भावनाओं में आज छः भावनाएं अनित्य-अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व और अशुचि भावनाओं पर आशीर्वचन दिए।
राजेंद्र कुमार सेठी ने जानकारी देते हुए बताया की पार्श्वनाथ कथा का शुभारंभ जिन धर्म सेविका और व्रत श्रेष्ठी सुशीला पाटनी द्वारा चित्र अनावरण, दीप प्रवज्जलन, पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट कर किया गया। इस दौरान महिला जागृति परिषद की अध्यक्षा सुशीला रावंका और मंत्री रश्मि सांगनेरिया सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा मुनि प्रणम्य सागर महाराज का आशीर्वाद प्राप्त कर जिन धर्म सेविका सुशीला पाटनी का दुप्पटा पहनाकर स्वागत सम्मान किया।
इस अवसर पर संरक्षक निशा पहाड़िया द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया और पंडित शीतल प्रसाद द्वारा व्रत गुण शीला की उपाधि का प्रशस्ति चिन्ह भेंट किया गया। कोषाध्यक्ष लोकेंद्र जैन ने बताया कि जैन धर्म में दसलक्षण पर्व अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दसलक्षण पर्व 8 सितंबर से शुरू होगा, जो 17 सितंबर को संपन्न होगा। अध्यक्ष सुशील पहाड़िया ने बताया कि जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में 2 अक्तूबर को एक दिवसीय अर्हध्यान योग शिविर का आयोजन किया जाएगा।

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