जेकेके में आयोजित तीन दिवसीय मल्हार महोत्सव का समापन : भस्मासुर मोहिनी में जीवंत हुए पौराणिक प्रसंग, कचहरी में ताल वाद्यों की गूंज
दो विशेष प्रस्तुतियां रंगायन के मंच पर देखने को मिली
सबसे पहले 8 वर्षीय प्रिंस कथक और शौर्य बेनीवाल ने अपनी नन्ही अंगुलियों का जादू तबले पर दिखाया।
जयपुर। सुहाना मौसम, चारों ओर हरियाली और शास्त्रीय विद्याओं की प्रस्तुतियां। जवाहर कला केन्द्र में शुक्रवार शाम यह नजारा देखने को मिला। यहां ताल वाद्य कचहरी और कथक की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। परमेश्वर लाल कथक व समूह के कलाकारों ने ताल वाद्य कचहरी में अपना हुनर दिखाया। दिनेश परिहार ने कथक संरचना 'भस्मासुर मोहिनी' और पारंपरिक शुद्ध कथक पेश कर दर्शकों का मन मोहा। इसी के साथ वर्षा ऋतु के सौंदर्य से रूबरू करवाने वाले तीन दिवसीय मल्हार महोत्सव का समापन हुआ।
सबसे पहले 8 वर्षीय प्रिंस कथक और शौर्य बेनीवाल ने अपनी नन्ही अंगुलियों का जादू तबले पर दिखाया। दोनों की जुगलबंदी के साथ कार्यक्रम की बेहतरीन शुरुआत हुई। इसके बाद ताल वाद्य कचहरी में विभिन्न ताल वाद्यों तबला, नगाड़ा, घटम, ढोलक, पखावज, जेम्बे की संयुक्त प्रस्तुति हुई। इसके बाद शास्त्रीय नृत्य कथक की दो विशेष प्रस्तुतियां रंगायन के मंच पर देखने को मिली।
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