सहकारी समितियों के माध्यम से तेंदू पत्ता उद्योग को बढ़ावा देने का होगा प्रयास, लघु वन उपज संग्राहकों व उत्पादकों को होगी बेहतर आय : दक
राज्य में इसे लागू करने का प्रयास किया जाएगा
समितियों के माध्यम से तेंदू पत्ता उद्योग को बढ़ावा दिए जाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के लघु वन उपज संग्राहकों व उत्पादकों को बेहतर आय हो सकेगी।
जयपुर। सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के निवासियों के आर्थिक उन्नयन के लिए वन विभाग से समन्वय कर राज्य में संबंधित क्षेत्रों की सहकारी समितियों के माध्यम से तेंदू पत्ता उद्योग को बढ़ावा दिए जाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के लघु वन उपज संग्राहकों व उत्पादकों को बेहतर आय हो सकेगी।
दक ने बताया कि इस संबंध में अध्ययन के लिए सहकारिता विभाग के अधिकारियों का एक दल मध्य प्रदेश भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट सोमवार को प्राप्त हो चुकी है। दल ने अपनी रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों द्वारा इस संबंध में किए जा रहे कार्यों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए राजस्थान में इस संबंध में कार्य की संभाव्यता का आकलन किया है। रिपोर्ट का शीघ्र ही अध्ययन करवाकर राज्य में इसे लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
सहकारिता मंत्री ने बताया कि राजस्थान के वन क्षेत्रों में लघु वन उपज के रूप में तेंदू पत्ता एक प्रमुख उत्पाद है। राज्य में अधिकतर तेंदू वृक्ष झालावाड़, बारां, कोटा, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर एवं प्रतापगढ़ जिलों में पाए जाते हैं। वर्तमान में प्रदेश में तेंदू पत्ता व्यवसाय वन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष प्रत्येक संभाग हेतु अलग-अलग गठित समितियों के माध्यम से किया जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य में सहकारिता एवं वन विभाग के सामंजस्य से मध्य प्रदेश का मॉडल लागू किया जा सकता है। इससे प्रदेश के तेंदू पत्ता संग्राहकों को उनके द्वारा संग्रहित उत्पाद का बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
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