राजस्थान पर्यटन भवन : पारंपरिक कला का नया आयाम, प्रख्यात दुर्गों के साथ ही वन्यजीव पर्यटन की भी मिलेगी झलक
प्रख्यात दुर्गों के साथ ही वन्यजीव पर्यटन की भी मिलेगी झलक
राजस्थान पर्यटन विभाग का मुख्यालय इन दिनों एक नए रूप में तैयार हो रहा है
जयपुर। राजस्थान पर्यटन विभाग का मुख्यालय इन दिनों एक नए रूप में तैयार हो रहा है। पर्यटन भवन की दीवारों को पारंपरिक राजस्थानी कला से सजाया जा रहा है, जिसमें विशेष रूप से ठीकरी वर्क के माध्यम से विध्नहर्ता श्री गणेश, रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ के चित्र उकेरे गए हैं। इसके साथ ही, दीवारों पर राजस्थान के पर्यटन से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण तत्वों को भी चित्रित किया जा रहा है, जो आने वाले पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगा।
राजस्थान पर्यटन भवन: संस्कृति और विरासत का संगम
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी की मंशानुसार पर्यटन भवन का यह नया स्वरूप राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। यह भवन न केवल प्रशासनिक कार्यों का केंद्र है, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बनेगा। पारंपरिक भित्ति चित्रों और कलात्मक सजावट से सुसज्जित यह भवन, राजस्थान की अनूठी संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
प्रख्यात दुर्गों के साथ ही वन्यजीव पर्यटन की भी मिलेगी झलक
पर्यटन भवन की दूसरी दीवारों पर राजस्थान के समृद्ध इतिहास और प्राकृतिक धरोहर को उकेरा जा रहा है। यहां राज्य के प्रख्यात दुर्गों जैसे आमेर किला, डीग पैलेस, मेहरानगढ़ और चित्तौड़गढ़ स्थित विजय स्तंभ के चित्रों को प्रदर्शित किया जाएगा, जो उनकी स्थापत्य कला और गौरवशाली अतीत को दर्शाएंगे। साथ ही, राजस्थान के समृद्ध वन्यजीव पर्यटन को भी चित्रित किया जाएगा। यह प्रस्तुति पर्यटकों को राज्य के ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से अवगत कराएगी, जिससे राजस्थान की पर्यटन संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
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