खाक में बदल रही लाखों की कार के साथ अनमोल जिंदगी, आगजनी की घटनाओं के पीछे ये 4 वजह जिम्मेदार
वाहन अपग्रेड हुए, मैकेनिक नहीं
छोटी-छोटी गलतियां नजरअंदाज करने से झेल रहे बड़ा नुकसान।
कोटा। चंद रुपए बचाने की खातिर लोग लाखों की कार के साथ अनमोल जिंदगी को भी दांव पर लगाने से नहीं चूक रहे। शहर में दो दिन में दो वाहन जलकर खाक हो गए। सड़कों पर दौड़ते वाहन अचानक आग के गोले में तब्दील हो रहे, जिससे न केवल कार सवार बल्कि राहगीरों की जान भी संकट में पड़ रही है। आगजनी की दोनों घटनाओं की वजह शोर्ट सर्किट होना बताया जा रहा है। जबकि, ऑटोमोबाइल से जुड़े विशेषज्ञ छोटी-छोटी गलतियों को नजर अंदाज करने की आदत को आगजनी की मुख्य वजह मान रहे हैं। दरअसल, लोग कार निर्माता कम्पनियों के तय मापदंड के साथ छेड़ाछाड़ कर रहे हैं और जाने-अनजाने में वही गलतियां दोहरा रहे, जिसकी मोटर व्हीकल एक्ट गाइड लाइन में सख्त मनाही है। यही नतीजा है कि आए दिन वाहनों में आगजनी की घटनाएं सामने आने लगी है। पेश है रिपोर्ट के प्रमुख अंश...
आगजनी की घटनाओं के पीछे ये 4 वजह जिम्मेदार
एक्सपर्ट बताते हैं, चलती कार में आग लगने के 4 मुख्य कारण हैं। जिसमें पहला- पेट्रोल, डीजल व गैस लीकेज, दूसरा-वायरिंग से अनावश्यक छेड़छाड़ से स्पार्किंग, तीसरा-धूम्रपान, फ्रेशनर-परफ्यूम जैसे स्प्रे ज्वलनशील पद्धार्थ की मौजूदगी और चौथा- क्षमता से अधिक एसेसरीज लगवाना शामिल हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण रोल वायरिंग का है। हर कम्पनी की गाड़ियों की डिजाइन अलग-अलग होती है, जिनमें वायरिंग उसी मापदंड के अनुरूप की जाती है। जब वायरिंग से छेड़छाड़ होती है, तो कार में आग की संभावनाएं प्रबल हो जाती है। क्योंकि, एडिशनल एसेसरीज लगाने के लिए बिछाई गई वायरिंग से लोड सेटिंग गड़बड़ा जाती है, जिससे तार गर्म होकर आपस में चिपकने लगते हैं, जो शोर्ट सर्किट के लिए जिम्मेदार होता है।
चलती कार बनी आग की गोला
किशोर सागर तलाब के पास शनिवार को एक चलती कार आग का गोला बन गई और कार देखते-देखते ही खाक हो गई। सूचना पर मौके पर पहुंची अग्निशम की दो गाड़ियों ने आग पर काबू पाया है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी राकेश व्यास ने बताया कि सुबह करीब साढ़े दस बजे वकील समीर अहमद निवासी वक्फ बोर्ड कोटा कार से कोर्ट जा रहे थे। रास्ते में अचानक उनकी कार के बोनट से धुर्आ उठने पर उन्होंने कार को किशोर सागर की पाल के पास रोक दिया और स्वयं कार से उतर गए। इसके बाद कार देखते-देखते जलने लगी और आग की लपटे तेज हो गई। आग पूरी तरह से आग का गोला बन गई। सूचना मिली और दमकल के साथ मौके पर पहुंचे तब तक कार खाक हो गई। आग को बुझाया गया। आग लगने का कारण हीटवेव के साथ शॉर्ट सर्किट हो सकता है। सही कारण का पता नहीं चला है।
वाहन अपग्रेड हुए, मैकेनिक नहीं
मारुति कार शोरूम में जनरल मैनेजर मनोज शर्मा बताते हैं, आॅटोमोबाइल इंडस्ट्रीज में प्रतिस्पर्द्धा चरम पर है। हर कम्पनी की गाड़ियां लेटेस्ट तकनीक व फीचर्स से लैस होती है। जिसका प्रशिक्षण कम्पनियां अपने आॅथराइज वर्कशॉप एम्पलॉइज को देती है। जिससे वह नई तकनीक प्रशिक्षित होते हैं, जबकि बाहर मार्केट में काम करने वाले मैकेनिक पुरानी टेक्निक से ही वाकिफ होते हैं। ऐसे में जब नई गाड़ियां बाहर खुलती है तो वायरिंग छिड़ जाती है। जिसका इम्पैक्ट आगे जाकर आगजनी घटनाओं के रूप में देखने को मिलता है। यह भी एक बड़ा कारण माना जाता है।
तीन माह में एक दर्जन से अधिक वाहन हुए खाक
मुख्य अग्निशमन अधिकारी राकेश व्यास बताते हैं, वर्ष 2025 के शुरुआती तीन महीनों में अब तक एक दर्जन से अधिक वाहनों जलकर खाक हो चुके हैं। आगजनी की घटनाओं में मुख्य वजह लंबे समय से सर्विस न होना, कूलेंट न बदलवाना, पुरानी गाड़ियों को मोर्डिफाइड कर लग्जरी बनाने के लिए अनावश्यक ऐसेसीरिज लगवाना है। सभी कार्यों में वायरिंग से छेड़छाड़ होती है तो आगजनी का मुख्य कारण है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
तय मानकों से छेड़छाड़ आगजनी का मुख्य कारण
कार में मानक से अधिक एसेसीरीज न लगवाएं। कंपनी तय मानकों के अनुसार उसमें लाइट, साउंड फिटिंग, एसी, ब्लोअर यानी हीटर, सीएनजी किट और अन्य एसेसीरीज लगा कर देती है। जब हम बाहर से उसमें अधिक एसेसीरीज जैसे हैड लाइट, हूटर और हार्न लगवाते हैं तो वायरिंग पर ज्यादा जोर पड़ता है, जिससे शार्ट सर्किट होता है, जो आगजनी का मुख्य कारण बनता है।
- जहिर अहमद, एक्सपर्ट, आॅटो मोबाइल इंडस्ट्रीज
आॅथराइज सेंटर पर ही करवाएं सर्विस
वर्तमान में कारें सेंसर बेस्ड तकनीक से लैस होती है। जिसका मैकेनिज्म अत्याधुनिक होता है। जिनमें वायरिंग का महत्वपूर्ण रोल होता है। ऐसी कार की लॉचिंग से पहले कम्पनी अपने आॅथराइज्य वर्कशॉप सेंटर के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देती है। जबकि, बाहर काम कर रहे मैकेनिक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से अपग्रेड नहीं होते हैं। ऐसे में जब ऐसे वाहन बाहर खुलते हैं तो कई समस्याएं पैदा होती है। वहीं, वर्ष 2025 से आने वाली गाड़ियों में चूहों से बचाव का प्रोटेक्शन दिया गया है। साथ ही एंटी रेस्ट पेंट आता है, जिससे कार की खुली जगहों पर कोडिंग की जाने से चूहे नहीं आते। इसका असर करीब तीन से चार माह रहता है।
- मनोज शर्मा, जनरल मैनेजर, मारुति भाटिया एंड भाटिया कम्पनी
रुटीन चेकअप जरूर करवाएं
कार में आग लगने के कई कारण होते हैं। अधिकतर मामलों में मुख्य कारण वायरिंग से छेड़छाड़ के कारण शोर्ट सर्किट रहता है। जिन गाड़ियों में कम्पनियां गैस किट नहीं देती लोग उन गाड़ियों में बाहर से किट लगवाते है। ऐसे में मैकेनिक द्वारा वायरिंग को बाइपास किया जाता है। चूहें वायरिंग काट देते हैं तो गाड़ी का इंजन चैक लाइट शो करता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। चूहों से बचाव के लिए आॅथराइज सेंटर पर एंटी रेस्ट पेंट की कोडिंग करवाई जानी चाहिए। सफर पर जाने से पहले गाड़ी का रुटीन चैकअप जरूर करवाएं। समय समय पर सर्विस हो तो कई तरह की समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
- सुशील कुमार सिंह, जनरल मैनेजर सर्विस टोयटा
कार में आग लगने का सबसे बड़ा कारण वायरिंग में कट लगना या कोडिंग का पिघलना से शोर्ट सर्किट का होना है। चूहों से कार को बचाने का स्थाई उपाए नहीं है। पेंट हो या स्प्रे का असर तीन से चार माह में खत्म हो जाता है। जालियां भी चूहें कतर जाते हैं। ऐसे में गाड़ियों को साफ जगहों पर पार्क करना, वाहन में खाद्यय पदार्थ न हो, समय समय पर आॅथराइज सर्विस सेंटर पर सर्विस करवाकर बचा जा सकता है।
- सुनील ठाकुर, मैनेजर वर्कशॉप टाटा मोटर्स
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