ट्रंप का टैरिफ वॉर, कम हुई खाद्य तेलों की धार
प्रभावित होने से कीमतों में आई कमी
व्यापारियों के अनुसार वैश्विक बाजार में बदलाव के चलते अप्रैल-जून तिमाही में खाद्य तेल की कीमतों में और कमी आने की उम्मीद है।
कोटा। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर का असर यहां के खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है। पिछले कुछ माह से शहर के किराना बाजार में खाद्य तेलों के दामों में तेजी का रूख बना हुआ था। इस कारण आमजन की रसोई का बजट गड़बड़ा रहा था। अमेरिका की ओर से हाल ही में भारत पर उच्च टैरिफ लगाया गया है। इससे कृषि उत्पादों के व्यापार में रुकावट आ गई है और सोयाबीन सहित अन्य खाद्य पदार्थों का निर्यात ठप हो गया है। इस कारण घरेलू बाजार में रिफाइंड सहित अन्य तेलों के दामों में गिरावट आ गई है। किराना व्यापारियों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में ही खाद्य तेलों की कीमतों में 40 से 50 रुपए प्रति टीन की कमी आई है। इससे फिलहाल आमजन को राहत मिली है।
टैरिफ वॉर से ऐसे मिली राहत
जानकारी के अनुसार अभी अमेरिका से भारत आने वाली वस्तुओं पर औसतन 7.7 प्रतिशत शुल्क लगता है, जबकि भारत से अमेरिका जाने वाली वस्तुओं पर केवल 2.8 प्रतिशत यानी दोनों के बीच 4.9 प्रतिशत का अंतर है। यही वजह है कि इन दिनों सोयाबीन सहित अन्य खाद्य पदार्थो का निर्यात प्रभावित हो गया है। इसके अलावा चीन द्वारा अमेरिकी सोयाबीन आयात पर टैरिफ बढ़ाए जाने के कारण भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आ गई। इसका असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है और यहां पर भावों में कमी हुई है। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने तेल कंपनियों से पत्र लिखकर कहा था कि वो खाने के तेल के दाम इंटरनेशनल रेट के हिसाब से घटाएं। इसके बाद विभिन्न तेल ब्रांडो की कंपनियों ने भी कीमतों में कमी कर दी है। व्यापारियों के अनुसार वैश्विक बाजार में बदलाव के चलते अप्रैल-जून तिमाही में खाद्य तेल की कीमतों में और कमी आने की उम्मीद है।
खाद्य तेल
फॉर्च्यून 2310
चंबल 2280
सदाबहार 2180
एलेक्सा 2070
दीपज्योति 2200
सरसों स्वास्तिक 2380
तेल अलसी 2270
मूंगफली ट्रक 2820
स्वास्तिक निवाई 2440
कोटा स्वास्तिक 2420
सोना सिक्का 2710
(भाव 15 किलो प्रति टिन)
एक साल से लगातार बढ़ रहे थे दाम
किराना व्यापारी गौरव अग्रवाल ने बताया कि पिछले एक साल से खाद्य तेलों के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी। इस साल जिले में भले ही सरसों का बंपर उत्पादन हुआ हो, लेकिन सरसों के तेल के दाम फिर भी कम नहीं हो रहे थे। पिछले एक साल से तो सरसों तेल के दाम थमने का नाम नहीं ले रहे थें। एक साल पहले सरसों के तेल की कीमत 100 से 110 रुपए प्रति लीटर थी, जो इस साल 150 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए थे। अब ट्रंप टैरिफ वॉर के चलते अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल मची हुई है। अमेरिका में निर्यात प्रभावित होने से अब खाद्य तेलों की खपत घरेलू बाजार में होने लगी है। इस कारण खाद्य तेलों के भावों में गिरावट आई है। पिछले कुछ माह से खाद्य तेलों के दामों में तेजी होने के कारण रसोई का बजट बिगाड़ रखा था। सरसों की फसल बाजार में आने के बाद भी तेलों के दाम कम होने के बजाय बढ़ रहे थे। अब कीमत कम होने से राहत मिली है।
- सावित्री शर्मा, गृहिणी
पिछले काफी समय से सरसों व रिफाइंड तेलों के दाम बढ़ने से सब्जियों में तड़का लगाना मुश्किल होता जा रहा था। तेलों के अन्य खाद्य पदार्थ के दाम भी तेज हो रहे थे। अब कीमत होने से सब्जियों का स्वाद बढ़ जाएगा।
- रोशनी सिंह, गृहिणी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आ गई। इसका असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है और यहां पर भावों में कमी हुई है। केंद्र सरकार ने भी तेल कंपनियों को दाम घटाने के लिए कहा था।
- दीपक दलाल, खाद्य तेलों के थोक विक्रेता
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