Youth को लुभाता है वेस्टर्न संगीत

क्लासिकल की तुलना में गिटार जैसे वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट सीखना आसान : एक्सपर्ट

Youth को लुभाता है वेस्टर्न संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत में सितार, तबला, सरोद, बांसुरी और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्र हैं।  इनमें से प्रत्येक का रागों और तालों के विस्तृत पैटर्न बनाने में समय लगता है। वहीं पश्चिमी संगीत में पियानो, वायलिन, सेलो, तुरही, सैक्सोफोन और अन्य जैसे वाद्य यंत्रों का एक पूरा मिश्रण है।

जयपुर। बच्चों का रुझान वेस्टर्न म्यूजिक की ओर ज्यादा दिखाई देता है। एक्सपर्ट का मानना है क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट की तुलना में गिटार जैसे वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट सीखना आसान भी है। बच्चे गिटार पर भी क्लासिकल राग बजा सकते हैं। ऐसे प्रयोग एक सुंदर म्यूजिक कम्पोजिशन को हमारे सामने लाते हैं। देखा गया है कि बच्चों के पैरेंट्स भी वेस्टर्न म्यूजिक की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। 

एक्सपर्ट का मानना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत, वेस्टर्न संगीत की तुलना में ज्यादा जटिल धुनों वाला होता है। वेस्टर्न संगीत का क्रेज यूथ में ज्यादा देखने को मिलता है। शास्त्रीय संगीत जटिल धुनों (रागों) और जटिल लय (तालों) को बेहतरीन रचनात्मकता और तात्कालिकता को जगाता है। शास्त्रीय संगीत को सीखने के लिए धैर्य रखना पड़ता है। इसको सीखने के लिए वेस्टर्न संगीत की तुलना में ज्यादा समय लगता है।

शास्त्रीय संगीत सुनने-सीखने के लिए रखना पड़ता है धैर्य
शास्त्रीय संगीत के लिए इंसान को धैर्य की बहुत आवश्यकता होती है। इसके लिए समय भी ज्यादा लगता है। आजकल के यूथ हर क्षेत्र में सरल चीजों की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में सितार, तबला, सरोद, बांसुरी और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्र हैं।  इनमें से प्रत्येक का रागों और तालों के विस्तृत पैटर्न बनाने में समय लगता है। वहीं पश्चिमी संगीत में पियानो, वायलिन, सेलो, तुरही, सैक्सोफोन और अन्य जैसे वाद्य यंत्रों का एक पूरा मिश्रण है।

गिटार वादक-संगीतकार, गौरव भट्ट ने कहा कि आजकल के बच्चे जल्दी सीखने की वजह से गिटार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वहीं क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट्स या संगीत को सीखने के लिए समय के साथ बहुत ज्यादा मेहनत और धैर्य रखना पड़ता है। परिवार कामाहौल भी वेस्टर्न म्यूजिक के प्रति ज्यादा देखा जाता है। 

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बॉलीवुड गायक रवीन्द्र उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रीय संगीत के प्रति हमेशा से ही युवाओं में कम रहती आई है। इसमें शास्त्रीय कलाकार और श्रोताओं दोनों को धैर्य की बहुत आवश्यकता होती है। सीखने के लिए भी समय व रूचि जाग्रत करने की आवश्यकता होती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास इसे सुनने के लिए समय भी नहीं है। 

ध्रुवपद गायक मधु भट्ट ने कहा कि पहले की तुलना में शास्त्रीय संगीत का रूझान बच्चों में बढ़ा है। शास्त्रीय संगीत रिसर्च पर आधारित है। इसके लिए बहुत ज्यादा समय-धैर्य रखना पड़ता है। शास्त्रीय संगीत की मूलभूत या आधारभूत तालीम को साधने के लिए बहुत ज्यादा समय की जरूरत पड़ती है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में युवा वर्ग के पास करियर की चुनौती की वजह से इतना समय ये वर्ग लगाना नहीं चाहता है।

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