क्या हैं राजस्थान में निर्दलीय सांसदों का इतिहास, अंतिम बार कौन जीता

राजस्थान में अब तक चुने गए हैं 11 निर्दलीय सांसद 

क्या हैं राजस्थान में निर्दलीय सांसदों का इतिहास, अंतिम बार कौन जीता

अंतिम बार डॉ. किरोड़ीलाल मीणा जीते

जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में निर्दलीय सांसदों के जीतने का भी रोचक इतिहास रहा है। राजस्थान में आजादी के बाद से 2019 तक तक 11 निर्दलीय सांसदों ने चुनाव जीता है। लोकसभा चुनाव में राजस्थान में हमेशा कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला बना रहता है। यहां निर्दलीय प्रत्याशियों की राह आसान नहीं हैं, लेकिन फिर भी निर्दलीय प्रत्याशी हर बार चुनाव में किस्मत आजमाते हैं। राजस्थान में 1952 से लेकर 2019 तक कई मौकों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी चुनाव जीता। इन बड़ी पार्टियों के साथ गठबंधन या समर्थन में जीत के मामले भी राजस्थान में सामने आए हैं। वर्ष 2019 में भाजपा के समर्थन से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा सांसद का चुनाव जीता था। 

पहले आम चुनाव में पांच निर्दलीय सांसद बने
प्रदेश में 1952 से 2019 तक लोकसभा चुनाव में केवल 11 निर्दलीय प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव जीता है। इनमें बीकानेर, जयपुर, दौसा, नागौर, जोधपुर, अलवर, भरतपुर, पाली और जालौर सीटें शामिल हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत का अंतिम उदाहरण देखें तो वर्ष 2009 में डॉ. किरोड़ीलाल मीणा दौसा से जीतकर आए थे, जो अभी भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री हैं। वहीं रोचक तथ्य यह भी है कि 1952 में हुए पहले आम चुनाव में करणी सिंह पांच बार बीकानेर से निर्दलीय सांसद बने। वे 1952 से लेकर 1971 तक लगातार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे बूटा सिंह भी 1998 में टिकट कटने पर बागी होकर जालौर से निर्दलीय चुनाव जीते। 

कई बार निर्दलीय बनते हैं किंगमेकर 
भले ही 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कोई निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता, लेकिन ये निर्दलीय प्रत्याशी कई बार सीटों पर किंगमेकर की भूमिका में होते हैं। इसलिए राजनीतिक पार्टियां इन निर्दलीयों के राजनीतिक प्रभाव से आशंकित रहती हैं। इस बार भी राजस्थान की कई हॉट सीटों पर दर्जनों निर्दलीयों ने पर्चे भरे हैं। कई नेता टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बागी होकर निर्दलीय पर्चा दाखिल करते हैं और अपनी ही पार्टी के नेता के वोटों में सेंधमारी कर देते हैं, जिसका सीधा फायदा विपक्षी दल के प्रत्याशी को मिलता है। राजनीतिक पंडित कई बार नफा-नुकसान को भांपते हुए अपनी जीत के लिए कई बार दूसरी पार्टी के नाराज नेताओं को अपने पाले में लेकर निर्दलीय मैदान में उतार देते हैं। कुछ मजबूत क्षेत्रों में अपनी पकड़ से निर्दलीयों के वोट ले जाने से राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के हारने की आंशका बढ़ जाती है। 

अब तक ये निर्दलीय चुने गए सांसद
   नाम              वर्ष                 लोकसभा सीट
करणी सिंह    1952 से 1971    बीकानेर
जसवंतराज मेहता    1952    जोधपुर
गिरिराज सिंह    1952    भरतपुर
जनरल अजीत सिंह    1952    पाली
भवानी सिंह    1952    जालोर
हरिश्चन्द्र शर्मा    1957    जयपुर
जीडी सोमानी    1957    नागौर
कृष्णा कुमारी    1971    जोधपुर
काशीराम गुप्ता    1962    अलवर
बूटा सिंह    1998    जालोर
किरोड़ीलाल मीणा    2009    दौसा

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