वर्ल्ड अस्थमा डे : प्रदूषण और बदलती जीवनशैली ने बढ़ाया अस्थमा रोगियों का मर्ज 

हर साल करीब चार लाख मरीज गंवा रहे अस्थमा के कारण जान

वर्ल्ड अस्थमा डे : प्रदूषण और बदलती जीवनशैली ने बढ़ाया अस्थमा रोगियों का मर्ज 

राजधानी जयपुर सहित प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण और अन्य कारकों की वजह से अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।

जयपुर। बदलती जीवनशैली और बढ़ते प्रदूषण से अस्थमा व एलर्जी जैसी श्वांस संबंधी बीमारियों का प्रकोप काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा जाने-अनजाने में हम कई ऐसी गतिविधियां रोजमर्रा के कामों में कर बैठते हैं, जिससे हम अस्थमा को बुलावा दे बैठते हैं। आंकड़ों की बात करें तो दुनियाभर में कुल अस्थमा मरीजों में से करीब 13 प्रतिशत मरीज भारत से हैं। यहां करीब तीन करोड़ से ज्यादा लोग अस्थमा से प्रभावित हैं। बीमारी के बारे में सही जानकारी न होने और इलाज में देरी करने से हर साल करीब चार लाख मरीज अस्थमा के कारण अपनी जान गवां बैठते हैं और इनमें से करीब दो लाख मरीज भारत से ही होते हैं। राजधानी जयपुर सहित प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण और अन्य कारकों की वजह से अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।

कैसे पहचानें कि आपको अस्थमा है

छाती में जकड़न। 
सांस लेने में तकलीफ  होना।
लगातार खांसी रहना। 
बार-बार जुकाम होना।

क्यों बढ़ रहा अस्थमा
श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभ्रांशु ने बताया कि वर्तमान में अस्थमा के बढ़ते मरीजों के पीछे बदलती जीवनशैली और बढ़ता प्रदूषण मुख्य कारण हैं। आजकल लोगों का अधिकांश समय इनडोर ही बीतता है। घर में लोग मल्टीफ्लोर अपार्टमेंट्स में रह रहे हैं, जहा पर्याप्त धूप नहीं आती है। वैसे ही ऑफिस में भी धूप का एक्सपोजर न के बराबर होता है। दरअसल सूरज की धूप एक प्राकृतिक एंटी एलर्जिक की तरह काम करती है जो कई एलर्जेंस को खत्म करती है। धूप में पर्याप्त समय न बिताने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमें एलर्जी और अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा घर में पौधे लगाने का शौक भी लोगों में बढ़ रहा है। गौरतलब है कि फूलों वाले पौधे लगाने से घर में पोलन ग्रेन्स की मात्रा बढ़ जाती है जो एलर्जी और अस्थमा का मुख्य कारण है। 

Read More कमिश्नर की जनसुनवाई में परिवादियों को मिली राहत, कई समस्याओं का मौके पर ही किया गया समाधान 

सही समय पर पहचान जरूरी, दवा से ज्यादा इन्हेलर कारगर
नारायणा हॉस्पिटल जयपुर के श्वसन एवं फेफड़ों के रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभम शर्मा ने बताया कि समय पर जांच न करवाना या दवाओं को लेकर लापरवाही के कारण अस्थमा बढ़ता है। अगर पहचान और इलाज सही समय पर हो जाए तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। अस्थमा की जांच कोई महंगी या जटिल प्रक्रिया नहीं है। पीएफटी एक सामान्य, किफायती और बिना दर्द की जांच है जो अब ज्यादातर अस्पतालों और ओपीडी में ही हो रही है। यह जांच बताती है कि आपके फेफड़े कितनी ऑक्सीजन ले और छोड़ रहे हैं। इससे न केवल अस्थमा की पुष्टि होती है बल्कि उसकी गंभीरता का भी अंदाजा लगता है। समाज में इन्हेलर को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जैसे इन्हेलर की आदत लग जाती है। ये अंतिम स्टेज पर इस्तेमाल होते हैं। इससे कमजोरी आती है इत्यादि। डॉ. शर्मा ने बताया कि इन्हेलर जीवन बचाते हैं। इनसे दवा सीधे फेफड़ों तक जाती है, जो टैबलेट या सिरप से कहीं ज्यादा असरदार है। 

Read More डोनाल्ड ट्रम्प की एप्पल को फिर धमकी : भारत या अन्य देश में आईफोन बनाने पर लगेगा 25% टैरिफ

Post Comment

Comment List

Latest News

आपसी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी : आपसी विवाद में 2 सगे भाई समेत 4 लोगों की गोली मारकर हत्या, एक घायल आपसी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी : आपसी विवाद में 2 सगे भाई समेत 4 लोगों की गोली मारकर हत्या, एक घायल
बिहार में बक्सर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र में शनिवार की सुबह आपसी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी में मृतकों...
कार एवं ट्रक में टकराने के बाद लगी आग, 3 लोग झुलसे
अमेरिका ने की यूरोपीय संघ आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा, कहा- बेनतीजा रही बातचीत
फ्रांस के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय के 4 छात्र हुए चयन 
वायदा बाजार की तेजी का असर, चांदी 900 रुपए और सोना 300 रुपए महंगा 
राजधानी में नीति आयोग की संचालन परिषद की 10वीं बैठक : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की अद्यक्षता, कहा- विकसित भारत के लिए हमें विकास की गति बढ़ानी होगी
प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी : राहत के आसार नहीं, हीटवेव का रेड अलर्ट