खाकी फिर हुई दागदार, 8 हजार की रिश्वत लेते ट्रेप

मारपीट के मामले में बचाने की एवज में एएसआई ने मांगी 10 हजार की घूस, 8 हजार रुपए लेते रंगे हाथों ट्रेप

खाकी फिर हुई दागदार, 8 हजार की रिश्वत लेते ट्रेप

जिला पूर्व में 38 दिन बाद एक बार फिर से खाकी दागदार हो गई। अड़तीस दिन पहले सदर बाजार थानाधिकारी को रिश्वत लेने का आरोप में पकड़ा गया था। शुक्रवार को फिर एसीबी ने कार्रवाई कर रातानाडा थाने के एएसआई को रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप किया।

जोधपुर। जिला पूर्व में 38 दिन बाद एक बार फिर से खाकी दागदार हो गई। अड़तीस दिन पहले सदर बाजार थानाधिकारी को रिश्वत लेने का आरोप में पकड़ा गया था। शुक्रवार को फिर एसीबी ने कार्रवाई कर रातानाडा थाने के एएसआई को रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप किया। घूसखोर एएसआई ने घूस की रकम उसी फाइल में ली, जिसमें परिवादी को आरोपी बता बार-बार गिरफ्तार करने की धमकी दे रहा था। परिवादी के खिलाफ 15 दिन पहले रातनाडा थाने में मामला दर्ज हुआ था। एसीबी घूस लेते पकड़े गए आरोपी एएसआई के घर और अन्य ठिकानों पर तलाश कर रही है।
एडिशनल एसपी (एसीबी) दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने बताया कि परिवादी के खिलाफ मारपीट का मामला 15 दिन पहले रातानाडा थाने में दर्ज करवाया था। परिवादी जिस महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा है, उसके ससुर ने यह मामला दर्ज करवाया था। मामले की जांच रातानाडा थाने के एएसआई जैसलमेर के पोकरण स्थित खटीकों का बास निवासी एएसआई जगदीश प्रसाद के पास थी। इसके बाद एएसआई ने परिवादी को गिरफ्तार करने के लिए बार बार दबाव बनाने लगा। इसके बाद परिवादी ने एसीबी में शिकायत दी। तब शुक्रवार को सुबह एसीबी ने मामले का सत्यापन करवाया। जिसमें एएसआई ने परिवादी को मामले से बाहर करने की एवज में 10 हजार की डिमांड की। लेकिन सौदा 8 हजार रुपए में तय हुआ। इसमें एएसआई ने परिवादी को कहा कि इस राशि में मुचलका भी भर देंगे। शाम को ड्यूटी से फ्री होकर एएसआई थाने पहुंचा। जहां परिवादी डिमांड की हुई राशि लेकर थाने पहुंचा। तब एएसआई ने थाने में फाइल में परिवादी से रुपए लिए। तभी महानिरीक्षक एसीबी सवाई सिंह गोदारा के सुपरविजन में टीम के एडिशनल एसपी (एसीबी) दुर्ग सिंह राजपुरोहित और पुलिस निरीक्षक राजेंद्र सिंह व उनकी टीम ने एएसआई को घूस की राशि के साथ रंगे हाथों पकड़ा।
राहत कैंप में ड्यूटी पर था एएसआई:
एडिशनल एसपी (एसीबी) राजपुरोहित ने बताया कि परिवादी की शिकायत के बाद उसका सत्यापन करवाना था। जब परिवादी ने एएसआई को फोन किया। तब वह पास ही में चल रहे राहत कैंप में ड्यूटी कर रहा था। परिवादी ने वहां पर जाकर एएसआई से मामले के निपटारे को लेकर बात की। लेन-देन का सौदा वहीं पर तय हुआ।

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