करौली-धौलपुर में पांचवां बाघ अभ्यारण शीघ्र लेगा आकार, प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा

धौलपुर के 60 और करौली के 48 गांव होंगे विस्थापित 

करौली-धौलपुर में पांचवां बाघ अभ्यारण शीघ्र लेगा आकार, प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा

धौलपुर जिले में केसरबाग, वन विहार, रामसागर, चंबल अभयारण्य और धौलपुर सेंचुरी पहले से, अब करौली को मिला विशाल टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने की कयावद 

सैंपऊ। धौलपुर-करौली में पांचवा टाइगर रिजर्व बनाने पर सरकार के निर्णय के बाद क्षेत्रीय लोगों में खलबली मच गई है। राज्य सरकार ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भिजवा दिया है। वर्तमान में धौलपुर जिले में केसरबाग, वन विहार, रामसागर, चंबल अभयारण्य एवं धौलपुर सेंचुरी शामिल हैं। इन सब के साथ करौली को मिलाकर विशाल टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने की कयावद राज्य सरकार ने शुरू कर दी है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने 22 अगस्त 2023 को राजस्थान के करौली एवं धौलपुर जिला में बाघ अभ्यारण बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने प्रस्ताव केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भिजवा दिया है। जिस पर शीघ्र ही काम शुरू किया जाएगा। टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 599 वर्ग किलोमीटर घोषित किया गया है तथा बफर एरिया 457 वर्ग किलोमीटर है।

जिसमें धौलपुर के 60 एवं करौली के 48 गांव शामिल हैं। जिसमें कुल 31 ग्राम पंचायत को इसमें शामिल किया गया है। शीघ्र ही अनुमति के बाद इन्हें विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 1075 किलोमीटर कोर एरिया है तथा 457 स्क्वायर किलोमीटर बफर एरिया है। इस टाइगर रिजर्व के बनाने से यह देश का 54 वां अभ्यारण बनेगा। राजस्थान में  रणथंभोर, सरिस्का, मुकुंदा हिल्स, रामगढ़-विषधारी के बाद यह पांचवां अभ्यारण होगा। भूमि को चिन्हित करने का काम शीघ्र शुरू किया जाएगा। विस्थापितों को राज्य सरकार की ओर से निर्धारित 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को 15 लाख रुपए दिए जाएंगे।

लोगों को सता रहा विस्थापन का डर
सरकार जहां एक ओर धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व से धौलपुर को विशेष फायदे का दावा कर रही है। वहीं क्षेत्रीय नागरिकों में विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं तथा लोगों को विस्थापन का भय सताने लगा है। इसी क्रम में हाल ही में बड़ी संख्या में लोगों ने इकट्ठे होकर मथारा गांव में टाइगर रिजर्व को लेकर बैठक का आयोजन किया। जिसमें क्राइटेरिया का विरोध किया गया तथा जल, जंगल, जमीन बचाने के लिए हर समय तैयार रहने का संकल्प लिया गया। लोगों का कहना था कि सरकार सैकड़ों वर्षों से आम आदमी की बसी हुई चमन बस्तियों को उजाडकर जंगली जानवरों को बसाना चाहती है जो कहां की मानवता है। इससे अच्छा तो क्षेत्र में उद्योग धंधे लगाकर रोजगार बढ़ाए जा सकते थे।

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