बायोमैट्रिक मशीनें धूल खा रही, सरकारी कर्मचारियों की लेट लतीफी जारी
कोरोना काल में किया था उपयोग बंद, नहीं हुई दोबारा शुरू
कलक्ट्रेट से लेकर हाउसिंग बोर्ड तक, नगर विकास न्यास से लेकर अन्य सरकारी विभागों तक में अब बायोमैट्रिक मशीनें कहीं भी नजर नहीं आ रही हैं।
कोटा । सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों व कर्मचारियों के समय पर कार्यालय पहुंचने की पाबंदी लगवाने वाली लाखों की बायो मेट्रिक मशीनें बंद हो गई है। कहीं ये मशीनें धूल खा रही हैं तो कहीं गायब हो गई। कोरोना काल में तीन साल पहले बंद हुई इन मशीनों को दोबारा से चालू नहीं किया गया है। सरकारी कार्यालयों में अक् सर अधिकतर अधिकारियों व कर्मचारियों के समय पर नहीं पहुंचने की शिकायत रहती है। इस समस्या को देखते हुए सभी सरकारी कार्यालयों में बायो मेट्रिक मशीनों को लागू कर दिया गया था। जिससे सभी को समय पर कार्यालय पहुंचने और उस मशीन में अंगूठे के निशान से ही उपस्थिति दर्ज करनी होती थी। यह व्यवस्था भी कुछ समय तक तो सही चली। सभी कार्यालयों में हर अनुभाग में मशीनें लगाने पर सरकार का लाखों रुपए खर्च हुआ। इससे अधिकतर कर्मचारी सुबह समय पर कार्यालय आने लगे और समय के बाद ही कार्यालय से निकलने लगे थे।
अस्पताल में हो रहा उपयोग
एक ओर जहां शहर के अधिकतर कार्यालयों में बायो मेट्रिक बंद हो गई है। वहीं दूसरी तरफ एमबीएस अस्पताल में इन मशीनों का उपयोग अभी भी हो रहा है। वह भी अपडेट के साथ। यहां आने वाले डॉक्टरों व स्टाफ की हाजरी बायो मेट्रिक मशीन से लग रही है। वह मशीन सभी के आधार कार्ड से भी लिंक है। जिससे हाजरी लगते ही मोबाइल पर मैसेज आता है।
नगर निगम में मशीनें खा रही धूल
शहर के अधिकतर कार्यालयों में तो बायो मेट्रिक मशीनें गायब ही हो गई है। उन्हें हटा कर रख दिया गया है। कलक्ट्रेट से लेकर हाउसिंग बोर्ड तक, नगर विकास न्यास से लेकर अन्य सरकारी विभागों तक में अब ये मशीनें कहीं भी नजर नहीं आ रही हैं। जबकि नगर निगम के प्रशासनिक भवन में हर मंजिल पर ये मशीनें तो लगी हुई है। लेकिन सभी बंद होने से उनका उपयोग नहीं हो रहा है। जिससे ये दीवारों पर लगे हुए ही धूल खा रही हैं।
कोरोना काल में हुई मशीनें बंद
वर्ष 2020 के मार्च में जब पूरे देश में कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराया। उस समय कई तरह की सावधानियां रखी जाने लगी। लेकिन हाजरी बायो मेट्रिक मशीनों से होने पर कई अधिकारियों व कर्मचारियों ने इसका विरोध किया। उनका तर्क था कि एक मशीन पर कई अधिकारी व कर्मचारियों के अंगूठे लग रहे हैं। ऐसे में यदि किसी संक्रमित व्यक्ति ने उस मशीन को छुआ तो उसके सम्पर्क में आने से अन्य सभी अधिकारी व कर्मचारी भी संक्रमित हो सकते हैं। इसका विरोध होने पर सरकार व प्रशासन के आदेश से बायो मेट्रिक मशीन पर हाजरी लगाना बंद हो गया था। उस व्यवस्था को तीन साल से अधिक का समय हो गया। लेकिन अभी तक भी दोबारा से शुरू नहीं हो सकी है। बायो मेट्रिक मशीनें बंद होने से कौन कब आ रहा है किसी को पता नहीं है।
इनका कहना है
बायो मेट्रिक मशीनें काफी कारगर थी। इससे समय की पाबंदी तो हुई थी। कोरोना काल में इन मशीनों का उपयोग बंद हुआ था। उसके बाद दोबारा चालू हुई या नहीं इसकी जानकारी करवाएंगे। हालांकि अभी तो मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। हड़ताल खत्म होने के बाद इन मशीनों के दोबारा उपयोग के बारे में चर्चा की जाएगी।
- ओ.पी. बुनकर, जिला कलक्टर

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