अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क : बब्बर शेर, टाइगर जैसे बड़े वन्यजीव नहीं होने से पर्यटकों का मोह हुआ भंग

सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को अखर रहा टिकट का पैसा , बजट की कमी और गर्मी की मार से गिरा रुपए का पारा

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क : बब्बर शेर, टाइगर जैसे बड़े वन्यजीव नहीं होने से पर्यटकों का मोह हुआ भंग

देश-विदेश के पयर्टकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क अपनी चमक खोता जा रहा है। पर्यटकों से गुलजार रहने वाला राजस्थान का सबसे बड़ा पार्क अब वीरान सा नजर आने लगा है।

कोटा।  देश-विदेश के पयर्टकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क अपनी चमक खोता जा रहा है। पर्यटकों से गुलजार रहने वाला राजस्थान का सबसे बड़ा पार्क अब वीरान सा नजर आने लगा है। जहां कद्रदानों की महफिलें सजा करती थी वहां आज सन्नाटा पसरा है। जिम्मेदारों की अनदेखी, सैलानियों की बेरुखी बन गई। जिसका असर, राजस्व में भारी गिरावट के रूप देखने को मिला। नतीजन, पांच महीने में ही कमाई के सारे रिकॉर्ड अर्श से फर्श पर पहुंच गए। दरअसल, 143 हैक्टेयर में फैला कोटा बायोलॉजिकल पार्क 1 जनवरी 2022 से शहरवासियों के लिए खोला गया था। पहले ही दिन हजारों पयर्टक पार्क का दीदार करने पहुंचे थे। जिनसे लाखों का राजस्व प्राप्त हुआ। कमाई का यह सिलसिला पूरे माह बदस्तूर जारी रहा। जनवरी माह में बायोलॉजिकल पार्क देखने के लिए 20 हजार 682 दर्शक पहुंचे थे, जिनसे 10 लाख रुपए की कमाई हुई थी। बजट के अभाव में यहां र्प्याप्त सुविधाएं नहीं होने से सैलानियों का रूझान महीने दर महीने कम होता गया, जिससे बायोलॉजिकल पार्क को होने वाली आय में भारी गिरावट दर्ज होती गई। हालात यह हो गए, मई में 1801 पयर्टक ही यहां घूमने आए जिनसे 81 हजार 980 राजस्व ही प्राप्त हो सका। पांच महीने में ही राजस्व लाखों से हजारों पर पहुंच गया।

मौसम सुहावना तो पांच हजार का हुआ इजाफा
बायोलॉजिकल पार्क के लिए मई का महीना थोड़ा राहतभरा रहा। अप्रेल के मुकाबले इस माह में 78 पर्यटक ज्यादा आए। वहीं, कमाई के आंकड़े में भी 5 हजार 320 रुपए की बढ़ोतरी हुई। दरअसल, इस माह के कुछ दिनों तक मौसम सुहावना बना रहा। जिससे पर्यटकों के कदम बायोलॉजिकल पार्क की ओर बढ़े। लोग परिवार के संग यहां घूमने आए। मई माह में 81 हजार 980 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।

अप्रैल में निचले पायदान पर पहुंचा कमाई का आंकड़ा
143 हैक्टेयर में फैला प्रदेश का सबसे बड़े अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में कैफेटेरिया, वन्यजीवों की कमी सहित अन्य सुविधाओं के अभाव से पर्यटकों का रूझान कम होता गया। नतीजन, पांच माह के सफर में बायोलॉजिकल पार्क को अप्रेल में सबसे कम राजस्व मिला। इन 30 दिनों में यहां कुल 1 हजार 723 पर्यटक ही पहुंचे, जिनसे 76 हजार 660 रुपए की ही कमाई हो सकी। यह अब तक का सबसे कम राजस्व है।

31 दिन में हुई थी 10 लाख की कमाई
बायोलॉजिकल पार्क से मिले आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी माह में सर्वाधिक राजस्व प्राप्त हुआ हुआ था। पार्क ने 31 दिनों में ही 10 लाख की कमाई की थी। इस माह कुल 20 हजार 682 पर्यटक घूमने आए थे।
शनिवार-रविवार छुटटी के दिन सैलानियों की जबरदस्त भीड़ रही। ऐसे में शाम 4 बजे तक पार्क में प्रवेश दिया गया। माह के अंत तक बायोलॉजिकल पार्क कुल 9 लाख 99 हजार 880 रूपए की कमाई कर चुका था। लेकिन, कमाई का यह आंकड़ा फरवरी से मई तक लगातार गिरता गया।

यूं घटता गया राजस्व
माह     पर्यटक    राजस्व
जनवरी    20682    9,99,880
फरवरी    9839    4,68,260
मार्च    4730    2,22,380
अप्रेल    1723    76,660
मई    1801    81,980

पर्यटकों को अखर रहा टिकट का पैसा
वर्तमान में बायोलॉजिकल पार्क में कुल 64 वन्यजीव हैं, जिनमें 10 मांसाहारी और 54 शाकाहारी हैं। यहां आने वाले पर्यटक 50 रुपए खर्च करने के बावजूद बब्बर शेर, टाइगर, मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर सहित अन्य बडेÞ वन्यजीवों का दीदार नहीं कर पाने से निराश होकर लौट रहे हैं। वहीं, इलेक्ट्रिकल व्हीकल नहीं होने से लंबे ट्रैक पर पैदल घूमना पर्यटकों के लिए मुश्किल हो रहा है। कैफेटेरिया नहीं होने से लोगों को चाय-नाश्ते के लिए परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा पर्यटकों के बैठने के लिए छायादार शेड व वाटरकूलर भी पर्याप्त नहीं है। पानी के लिए भी भटकना पड़ता है। 

वन्यजीवों व बजट की कमी बनी वजह
बायोलॉजिकल पार्क में पर्यटकों से होने वाली आय में गिरावट का मुख्य कारण बड़े वन्यजीवों की कमी है। इसके अलावा 25 करोड़ का बजट नहीं मिलना भी एक वजह है। बजट के अभाव में 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, इंटरपिटेक्शन सेंटर, आॅडिटोरियम हॉल, छांव के लिए शेड, कुछ जगहों पर पथ-वे सहित अन्य कार्य अटके पड़े हैं। पर्याप्त एनक्लोजर नहीं होने से चिड़ियाघर से वन्यजीवों को बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं कर पा रहे। हालांकि, राजस्व के उतार-चढ़ाव में मौसम का भी दखल होता है। गर्मी में पर्यटकों की संख्या कम ही रहती है लेकिन मौसम सुहावना होता है तो यह संख्या बढ़ जाती है।
- डॉ. आलोक गुप्ता, डीएफओ वन्यजीव विभाग कोटा

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