वायु प्रदूषण : धुएं-धूल की मार, आंखें हुई लाचार, एलर्जी जैसी समस्याएं, सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के कण हवा में

शहर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है

वायु प्रदूषण : धुएं-धूल की मार, आंखें हुई लाचार, एलर्जी जैसी समस्याएं, सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के कण हवा में

बच्चों और बुजुर्गो को सर्द मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

कोटा ।  शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण ने आमजन की सेहत पर गंभीर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। पिछले एक सप्ताह में विशेष तौर पर आंखों से जुड़े मरीजों की संख्या में 20-30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी नेत्र चिकित्सालयों तक रोजाना ऐसे दर्जनों मरीज पहुंच रहे हैं, जिन्हें आंखों में जलन, लालिमा, लगातार पानी बहना, सूखापन और एलर्जी जैसी समस्याएं हो रही हैं। दिवाली के बाद से ही शहर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के कण हवा में तैरते रहते हैं। जिससे वायु दिनभर प्रदूषित बनी रहती है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों के अनुसार शहर में शुक्रवार को एक्यूआई यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक 176 दर्ज किया गया है। यानी यहां की हवा जहरीली हो चुकी है। 

प्रदूषण आंखों पर ऐसे डालता है असर
नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार सर्दी के मौसम में हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे छोटे कण बहुत खतरनाक होते हैं। यह कण इतने छोटे होते हैं कि सीधे आंखों की सतह तक पहुंचकर कंजंक्टिवा और कॉर्निया पर जमा हो जाते हैं। इससे सूजन, खुजली, जलन और पानी आने जैसे समस्या शुरू हो जाती है। वहीं लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहने से ड्राई आई सिंड्रोम, एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस और यहां तक की आंखों के इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों और बुजुर्गों में यह असर ज्यादा दिखाई देता है, क्योंकि उनकी आंखें ज्यादा संवेदनशील होती है। इन दिनों बुजुर्ग और बच्चे आंखों की समस्या लेकर अस्पतालों में अधिक आ रहे हैं। इनकी संख्या में रोजाना इजाफा होता जा रहा है।

धूल-धुएं की अधिक मात्रा बनी परेशानी
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा सामान्य स्तर से अधिक दर्ज की जा रही है। ट्रैफिक का बढ़ता दबाव, निर्माण कार्यों की धूल और मौसम में बदलाव के चलते हवा में धूलकणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह महीन कण सीधे आंखों की ऊपरी परत को प्रभावित करते हैं, जिससे संक्रमण और कॉर्निया को नुकसान तक हो सकता है। इस माहौल में जहां लोगों में सांस संबंधी समस्याएं भी बढ़ जाती है, वहीं बड़ी संख्या में लोग आंखों में जलन, चुभन और पानी आने जैसी दिक्कतों से भी जूझने लगते है। इस कारण बच्चों और बुजुर्गो को सर्द मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

आंखों को हेल्दी रखने के लिए अपनाएं यह उपाय
- प्रदूषण में जब भी आप बाहर निकले अपनी आंखों को धूल और धुएं से बचाए। इसके लिए सनग्लासेस या बड़े साइज के काले चश्मे यूज करें। जिससे हवा सीधे आंखों में न जाए और एलर्जी और जलन से बचाव हो।
- बाहर फैली प्रदूषित हवा आंखों की नमी को कम कर देती है। जिससे आंखों में जलन और खुजली जैसी समस्याएं हो जाती है। इससे बचने के लिए आप दिन में 2 से 3 बार लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप आंखों में डालें।
- अगर पॉल्यूशन के समय में आपको भी आंखों में जलन और सूजन महसूस हो तो आपको आंखों को दिन में दो बार ठंडे पानी से धोना चाहिए. इसके अलावा आप आंखों पर आईस पैक सिकाई भी कर सकते हैं। 
- कई बार ज्यादा धुएं की वजह से आंखों में जलन बढ़ जाती है और चुभन की भी शिकायत रहती है। ऐसे में लोग आंखों को रगड़ने लगते हैं। ऐसे में कोशिश करें कि आंखों को रगड़े नहीं बल्कि उन्हें पानी से धो लें।

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एक्यूआई यह देता है संकेत
अच्छा यानि कोई दिक्कत नहीं - 0-50 
संतोषजनक  -  51-100
बाहर जाने से बचें - 101-200
श्वसन के मरीजों को तकलीफ - 201-300
लम्बे बीमार रोगियों को दिक्कत - 301-400
बाहर बिलकुल नहीं निकलें - 401-500

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प्रशासन निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव करवाएं, धूल नियंत्रण के नियमों का पालन सुनिश्चित करें और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कड़ी कार्रवाई करें। तभी शहर की हवा और आंखों की सेहत दोनों सुधर पाएंगी। 
- राजू कुमार, पर्यावरणविद

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बच्चों और बुजुर्गों में आंखों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। धूल और प्रदूषित हवा के लगातार संपर्क में रहने से इन वर्गों में आंखों की समस्या तेजी से बढ़ रही है। बाहर निकलते समय चश्मे का उपयोग करें, आंखों को बार-बार धोएं और संक्रमण बढ़ने पर तुरंत चिकित्सा लें।
- डॉ. सुधीर गुप्ता, नेत्र रोग विशेषज्ञ  

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