चम्बल की पुलिया हो या बूंदी मेन रोड पीडब्ल्यूडी की सड़कें बारिश से जार जार

शहर में पीडब्ल्यूडी की 35 सहित 1170 किमी सड़कें हुई गड्ढ़ों में तब्दील

चम्बल की पुलिया हो या बूंदी मेन रोड पीडब्ल्यूडी की सड़कें बारिश से जार जार

जिले में सड़कों की मरम्मत पर खर्च होंगे 10 करोड़ रुपए ।

कोटा। केस 1 - नयापुरा स्थित चम्बल की पुरानी बड़ी पुलिया जो नयापुरा से नदी पार कुन्हाड़ी जाने के काम आ रही है। उस पुलिया पर बरसात में काफी गड्ढ़े हो गए हैं। हाइवे होने से यहां से तेज गति से वाहन निकल रहे हैं। जिनसे हादसों का खतरा बना हुआ है। 

केस 2 - नयापुरा स्थित राजभवन रोड। इस रोड पर सार्वजनिक निर्माण विभाग का कार्यालय है।  कार्यालय से कलक्ट्रेट चौराहे तक की सड़क इतनी अधिक खराब हो रही है। उस पर  वाहन बिना हिचकोले खाए निकल ही नहीं पा रहे हैं।  सरकारी विभाग व अदालतें होने से यहां भीड़ भाड़ अधिक रहती है। ऐसे में खराब सड़कें लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। 

केस 3 - के. पाटन रोड से बूंदी की तरफ जाने वाले डामर की सड़क पर काफी बड़े-बड़े गड्ढ़े हो रहे हैं।  जिससे यहां से निकलने वाले वाहन चालकों को हादसों का खतरा बना हुआ है। हालांकि कई साल पहले इस सड़क को नया बनाया गया था लेकिन यह अधिक समय तक नहीं चली।

ये तो उदाहरण मात्र हैं शहर की सड़कों की खराब हालत बताने के लिए।  वैसे शहर की कोई सड़क ऐसी नहीं है जिस पर बरसात में गड्ढ़े नहीं हुए हो। वह भी इतने बड़े-बड़े कि  उनसे हादसों का खतरा बना हुआ है। खास तौर से सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से बनाई गई सड़के। विभाग की ओर से बनाई गई सड़कों में से  बरसात में जिले की करीब 1170 कि.मी. सड़कें गड्ढ़ों में तब्दील हो गई है। जिनमें से कोटा शहर की मात्र 35 कि.मी. सड़कें शामिल हैं। इनकी मरम्मत पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं लेकिन अभी तक भी आपदा प्रबंधन से इसकी स्वीकृति नहीं मिली है। 

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औसत से अधिक बरसात ने बिगाड़ी हालत
शहर में मानसून की एंट्री जून के अंतिम सप्ताह में हो गई थी। इस बार औसत से अधिक बरसात होने से सड़कों को नुकसान भी अधिक हुआ है। खास तौर से डामर की बनी सड़कों की हालत अधिक खराब हुई है। शहर की सड़कों से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों को नुकसान हुआ है। जिससे उन सड़कोंÞ से तो गुजरना ही जान जोखिम में डालने से कम नहीं है। 

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निगम-न्यास बना रहा अधिक सड़कें
सड़कें बनाने का काम पहले जहां सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा ही किया जाता था। वहीं शहर में अब यह काम कोटा विकास प्राधिकरण व नगर निगम द्वारा अधिक किया जा रहा है। लेकिन सड़कों की हालत यह है कि बनने के कुछ समय बाद ही उनकी हालत इतनी अधिक खराब हो रही है कि उन पर चलना जान जोखिम में डालना है। खास तौर से बरसात के समय में अधिकतर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई है। फिर चाहे वह शहर के बीच की सड़क हो या ग्रामीण क्षेत्र की।  वैसे सार्वजनिक निर्माण विभाग की अधिकतर सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में ही है। शहर में बहुत कम सड़के हैं जो विभाग के अधीन है। जबकि अधिकतर सड़कें केडीए व नगर निगम के अधीन है। 

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इन क्षेत्रों में हैं पीडब्ल्यूडी की सड़कें
कोटा शहर में जवाहर नगर मेन रोड, न्यू कॉलोनी गुमानपुरा, कैथूनीपोल थाने के सामने, आर्य समाज रोड, खाई रोड, केशवपुरा से तीन बत्ती रोड व नयापुरा और भदाना की तरफ की सड़कें ही सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीन है। वह भी टुकड़ों में है। अधिकतर सड़कें गली मौहल्लों  की है। नयापुरा स्थित चम्बल की पुरानी बड़ी पुलिया सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीन है। 

विभाग ने करवाया सर्वे
बरसात के दौरान क्षतिग्रस्त हुई सड़कों का शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से सर्वे कराया गया। सर्वे में कोटा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 35 कि.मी.  समेत जिले के सांगोद, सुल्तानपुरा, रामगंजमंडी, लाड़पुरा का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां सड़कें खराब नहीं हुई है।  सर्वे में जिले की कुल 1170 कि.मी. सड़कें क्षतिग्रस्त मिली है। जिनकी मरम्मत करवाया जाना है। 

सड़कें ऐसी बनें जो बार-बार नहीं टूटे
लोगों का कहना है कि सड़के ऐसी बनें जो टिकाऊ हो और लम्बे समय तक चले। बार-बार टूटने वाली सड़कें नहीं बने। ऐसी सड़कें बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। महावीर नगर निवासी विकास जैन ने कहा कि विभाग चाहे सार्वजनिक निर्माण हो या केडीए। अधिकािरयों को चाहिए कि उनके इंजीनियरों की निगरानी में सड़कें बने। ताकि संवेदक गड़बडी नहीं कर सके। गड़बड़ी करने वाले या कम समय में टूटने वाली सड़के बनाने वालों को दोबारा काम नहीं दिया जाए। बजरंग नगर निवासी  लालचंद महावर ने बताया  कि हर साल जनता की मेहनत के  करोड़ों रुपए सड़कें बनाने में खर्च किए जाते हैं। लेकिन उसके बाद भी वर्तमान में शहर की किसी भी सड़क पर चलना आसान नहीं है। हर सड़क पर गड्ढ़े हो रहे हैं। एसे सड़क बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई  की जानी चाहिए। 

बरसात से हर साल डामर की सड़कों को नुकसान होता ही है। इस बार करवाए गए सर्वे  में कुल 1170 कि.मी. खराब होना पाया गया। जिनमें से शहर की करीब 35 कि.मी. सड़के हैं। शहर में विभाग के अधीन वैसे भी बहुत कम और टुकड़ों में सड़क है। अधिकतर मेन रोड केडीए के पास है। इन सड़कों की मरम्मत के  लिए करीब 10 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा हुआ है। लेकिन अभी तक आपदा प्रबंधन से इनकी मरम्मत के लिए बजट की स्वीकृति नहीं मिली है। यदि वहां से शीघ्र ही स्वीकृति नहीं मिली तो विभाग के बजट से सड़कों की मरम्मत का काम बरसात का दौर थमने के बाद शुरु करवा दिया जाएगा। 
- आर.के. सोनी, अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग 

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