देवी पार्वती का स्वरूप मानी जाती हैं बूंदी की चौथ माता, बूंदी राजपरिवार कुलदेवी के रूप में करते है पूजा

आस्था और पर्यटक स्थल बन गया है बूंदी का चौथ माता मंदिर

देवी पार्वती का स्वरूप मानी जाती हैं बूंदी की चौथ माता, बूंदी राजपरिवार कुलदेवी के रूप में करते है पूजा

बूंदी में बाणगंगा पहाड़ी पर चौथ माता का मंदिर स्थापित है।

नमाना रोड़। चौथ माता का मंदिर देवी पार्वती के एक स्वरूप, चौथ माता को समर्पित है। माना जाता है कि देवी चौथ माता का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था और वे एक शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। कहा जाता है कि एक बार मणि नामक असुर ने देवी को पराजित कर दिया था, लेकिन चौथ माता ने अपनी शक्तियों से उसे हराया। कहा जाता है कि बूंदी के हाड़ा राजा, सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा स्थित चौथ माता मंदिर में दर्शन के लिए जाते थे,जब राजा वृद्ध हो गए और मंदिर तक पहुंचने का साहस नहीं जुटा पाए, तो उस समय राजा चौथ का बरवाड़ा की चौथ माता की प्रतिकृति बूंदी लेकर आए और बूंदी में बाणगंगा पहाड़ी पर चौथ माता का मंदिर स्थापित किया। आज भी चौथ माता की पूजा बूंदी के राजपरिवार में कुलदेवी के रूप में करते है।

महापर्व नवरात्रि के पहले दिन से ही बूंदी मेंं भक्ति और आस्था का माहौल चरम पर होता है। बूंदी शहर से 5 किलोमीटर दूर अलोद रोड पर रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व में स्थित बाणगंगा पहाड़ी (चौथ माता पहाड़ी) पर स्थित चौथ माता के मंदिर स्थित है, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है सुबह से ही श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए 700 के लगभग सीढ़ियां चढ़कर माता के दरबार में पहुंचते हैं। हर श्रद्धालु के चेहरे पर माता के प्रति गहरी आस्था और मनोकामनाएं पूरी होने की उम्मीद नजर आती है। चौथ माता के आने का एकमात्र सड़क मार्ग है, जो बूंदी शहर से 5 किलोमीटर दूर अलोद रोड पर बाणगंगा में मंदिर स्थिति हैं टेम्पो और बस से श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं मंदिर पर जाने के लिए सीसी सड़क और सीढ़ियां चढ़ कर मंदिर पर पहुंचते हैं।

विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान
नवरात्रि के इन नौ दिनों में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। सुबह से शाम तक होने वाली आरती और धार्मिक अनुष्ठान भक्तों को आकर्षित करते हैं। कई भक्त दंडवत प्रणाम करते हुए माता के दरबार में पहुंचते हैं, जो उनकी गहन आस्था का प्रतीक है।

अरावली पर्वत श्रृंखला की बाणगंगा पहाड़ी पर स्थित मंदिर
 शहर के भीड़-भाड़ से दूर, बाणगंगा पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर शांत और पवित्र वातावरण प्रदान करता है, नवरात्रि के दौरान मंदिर का शांत माहौल भक्तों के जयकारों और उत्साह से जीवंत हो उठता है। हजारों श्रद्धालु पैदल चलकर माता के दर्शन के लिए आते हैं, जिससे मंदिर पहुंचने वाला रास्ता भक्तिमय हो जाता है।

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पर्यटक स्थल बन रहा
नवरात्रि के दौरान यह मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि एक पर्यटन स्थल भी हैं रास्ते में जैतसागर झील और मन्दिर के सामने शंभू सागर झील का प्राकृतिक सौन्दर्य, मंदिर के ऊपर से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की सुरम्य वादियां, जैतसागर झील, शंभुसागर झील, और ठीकरदा तालाब एक साथ नजर आते हैं जो मंदिर की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देते हैं। आसपास के क्षेत्रों से लोग मेले जैसे माहौल का आनंद लेने और माता के दर्शन करने आते हैं। रंग-बिरंगी चुनरियां और फूलों से सजे मंदिर का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।

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