बसें राजस्थान की, रजिस्ट्रेशन अरूणचाल प्रदेश में

राज्य सरकार को लग रहा लाखों का फटका

बसें राजस्थान की, रजिस्ट्रेशन अरूणचाल प्रदेश में

राजस्थान में आॅल इण्डिया परमिट पर रजिस्ट्रर्ड बसें, राजस्थान को छोडकर अरूणचाल प्रदेश में रजिस्ट्रर्ड हो रही हैं। बस आपरेटरों के इस कदम ने परिवहन अधिकारियों के होश उडा दिए हैं।

कोटा। राजस्थान में परिवहन विभाग के सामने नया संकट खडा हो गया है। लेकिन विभाग अब तक इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाया है। यदि समय रहते उपाए नहीं किए गए तो राजस्थान सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो सकता है। मामला ऑल इण्डिया परमिट बसों से जुडा हुआ है। राजस्थान में ऑल इण्डिया परमिट पर रजिस्ट्रर्ड बसें, राजस्थान को छोडकर अरूणचाल प्रदेश में रजिस्ट्रर्ड हो रही हैं। बस आपरेटरों के इस कदम ने परिवहन अधिकारियों के होश उडा दिए हैं। दरअसल राजस्थान में ऑल इण्डिया परमिट पर चलने वाली बसों को ऑल इण्डिया परमिट की फीस और हर माह स्टेट टैक्स भरना पड़ता है। स्टेट टैक्स की राशि प्रति बस 4 लाख 80 हजार सालाना है।  राजस्थान में लगभग 30 हजार बसें हैं। बसों से परिवहन विभाग को काफी राजस्व प्राप्त होता है। परन्तु अरूणाचल प्रदेश में स्टेट टैक्स काफी कम है। वहां साल के मात्र 14 हजार रुपए स्टेट टैक्स के रूप में देने हैं। ऐसे में टैक्स कम होने के कारण राजस्थान के बस आपरेटर अपनी बसें अरूणाचल प्रदेश में पंजीकृत करा रहे हैं। राजस्थान से अब तक सैकडों बसें अरूणाचल प्रदेश में पंजीकृत हो चुकी हैं। राजस्थान से बसों का पलायन लगातार जारी है। कोटा से अब तक लगभग 500 से जयादा बसें अरूणाचल प्रदेश में रजिस्ट्रर्ड हो चुकी हैं। शेष 1500 बसें बची हैं, जो यहां से जाने की तैयारी में है।

यह भी है कारण
राजस्थान मे बसों की मॉडल कंडिशन 8 साल निर्धारित है। प्रथम पंजीयन के 8 साल बाद बस का पुन: पंजीयन नहीं कराया जा सकता है। बस कबाड मान ली जाती है। जबकि अरूणाचल प्रदेश में मॉडल कंडिशन 12 साल है। यानी वही बस 12 साल चल सकती है। वहां पंजीकृत होने वाली बसों पर वहीं के नियम लागू होंगे। ऐसे में यह भी मुख्य कारण है कि बसें राजस्थान से अरूणाचल प्रदेश में पंजीकृत हो रही है। वहीं राजस्थान में बसों का किराया 85 पैसे प्रतिकिलोमीटर तय है। यह किराया 2014 में तय किया गया था, जब डीजल की दर 50 रुपए लीटर थी। जबकि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में बस किराया 1.50 प्रति किलोमीटर किराया निर्धारित है। बस आपरेटर लम्बे समय से बस किराए में संशोधन की मांग कर रहे हैं। परन्तु सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

राजस्थान में काफी ज्यादा स्टेट टैक्स है। ऐसे में बस मालिक अपनी बसें अरूणाचल प्रदेश में पंजीकृत करा रहे हैं। बस आपरेटर स्टेट टैक्स कम करने के संबध में लगातार सरकार से बातचीत कर रहे हैं।  सरकार कुंभकरण की निद्रा में है। मजबूरी में बसें अरूणाचल जा रही है। यदि सरकार ने समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो भारी नुकसान उठाना पडेÞगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
-सत्यनारायण साहू, अध्यक्ष ,बस मालिक संघ कोटा

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