चम्बल पुलिया : पग-पग मौत का सामना

दोनों तरफ गहरे गड्ढे बन रहे हादसों का कारण

चम्बल पुलिया : पग-पग मौत का सामना

बरसात के सीजन में हर साल डामर सड़कों की हालत खराब हो जाती है। डामर उखड़ने से जहां पूरी सड़कों पर गिट्टी ही गिट्टी फेल जाती है। वहीं पानी भरने से बड़े-बड़े गड्ढ़े हो जाते हैं।

कोटा । शहर में इस बार अच्छी बरसात होने से किसानों से लेकर आमजन तक के चेहरे तो खिल गए। लेकिन सड़कों की हालत बद से बदतर हो गई।  जिससे हादसों का खतरा बना हुआ है। शहरी सड़कों के साथ ही हाईवे की चम्बल पुलियाओं पर तो इतने गहरे गड्ढ़े है कि वाहन चालकों को पग-पग पर मौत का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के सीजन में हर साल डामर सड़कों की हालत खराब हो जाती है। डामर उखड़ने से जहां पूरी सड़कों पर गिट्टी ही गिट्टी फेल जाती है। वहीं पानी भरने से बड़े-बड़े गड्ढ़े हो जाते हैं। इन दिनों नयापुरा स्थित चम्बल की दोनों तरफ की नई और पुरानी पुलियाओं की हालत इतनी बदतर हो रही है कि वहां बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। शुरुआत में यह गड्ढ़े काफी छोटे थे लेकिन धीरे-धीरे ये इतनेी बड़े व गहरे हो गए हैं कि उनमें दो पहिया वाहन  ही नहीं चार पहिया वाहनों तक के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है। 

एक तरफ सरिए, तो दूसरी तरफ गहरे गड्ढ़े
चम्बल की दोनों तरफ की पुलियाओं से निकलना इन दिनों मौत का सामना करने से कम नहीं है। नयापुरा से कुन्हाड़ी की तरफ जाने वाली पुलिया पर जहां जगह-जगह से डामर पूरा उखड़ चुका है। जिससे वहां नीचे के सरिये तक नजर आ रहे हैं। ऐसे में हाइवे होने से यहां तेजी से वाहन निकलते हैं तो वे हिचकोले खाते हुए जाते हैं। जिससे वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ  है।  वहीं दूसरी तरफ कुन्हाड़ी से नयापुरा की तरफ आने वाली पुलिया पर जरा सी दूरी में ही इतने अधिक गड्ढ़े हैं कि वहां से वाहन निकलना मतलब मौत का सामना करना है। गड्ढ़े भी पास-पास हैं और एक आढ़े तिरछे हैं। जिससे एक तरफ से बचने के लिए दूसरी तरफ वाहन लेकर जाने पर कुछ दूर जाने पर दूसरी तरफ गड्ढ़े हैं। ऐसे में गड्ढ़ों से बचकर वाहन चलाना आसान नहीं है। 

नदी देखने के चक्कर में गड्ढ़ों से सामना
बरसात के समय में पुुलिया से निकलने वाले वाहन चालक विशेष रूप से बाहर से आने वाले जब चम्बल नदी की तरफ देखने लगते हैं तो दूसरी तरफ गड्ढ़ों में वाहनों के अचानक जाने से हादसे हो रहे हैं। ऐसा पिछले कई दिन में कई वाहन चालकों के साथ हो चुका है।  वहीं नदी में पानी देखने के लिए पुुलिया पर लोगों का जमावड़ा लगा होने से वहां वाहन खड़े होने से भी जगह की कमी होने पर हादसे हो रहे हैं। 

लोकसभा अध्यक्ष के लिए  भरे गड्ढ़े
लोगों का कहना है कि शहर में एक तरफ सड़कों से लेकर पुुलियाओं तक पर बड़े-बड़े गड्ढ़े हो रहे हैं। जिससे आए दिन लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। बूंदी रोड स्थित संजय नगर आरओबी पर भी कई दिन से दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढ़े हो रहे थे जिस पर प्रशासन का ध्यान नहीं था। लेकिन शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष को उस रास्ते से सांगोद जाना था। ऐसे में प्रशासन ने रातो-रात उन गड्ढ़ों को सीसी से पेचवर्क कर भर दिया। जिससे उन्हें दचके नहीं लगे। लोगों का कहना है कि जब उनके  लिए गड्ढ़े भरे जा सकते हैं तो आमजन का क्या कसूर है। 

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जान हथेली पर लेकर निकलना पड़ रहा
चम्बल की दोनों बड़ी पुलियाओं की हालत काफी खराब हो रही है। उन पुलियाओं पर इतने अधिक बड़े व गहरे गड्ढ़े हैं कि बरसात व रात के समय तो उनमें पानी भरने पर नजर ही नहीं आते। जिससे रात में निकलना ही बंद कर दिया है। प्रशासन की लापरवाही से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। 
-एडवोकेट प्रेम सिंह, कमला उद्यान 

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नदी पार से शहर में जाने का प्रमुख रास्ता है चम्बल की दोनों बड़ी पुलियाएं। लेकिन बरसात में दोनों तरफ की पुलियाओं पर बड़े व गहरे गड्ढ़ों के कारण हादसों का खतरा बना हुआ है। ऐसे में उन पुलियाओं से निकलना मतलब जान हथेली पर लेकर जाना है। बैराज की समानांतर पुलिया से जाने पर वह भी खराब हो रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह इन्हें सही करवाए  वरना कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। 
-विभेष कुमार, चंचल विहार

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बड़गांव गुरुद्वारा जाने व आने के लिए चम्बल की इसी पुुलिया से होकर आना-जाना पड़ रहा है। लेकिन उन पुलियाओं की हालत इन दिनों इतनी अधिक खराब हो रही है कि स्कूटर पर तो जाना मतलब जान जोखिम में डालना है। कार से जाने पर भी अचानक गड्ढ़े आने से कई बार बाल-बाल बचे हैं। अभी बरसात रूकी हुई है। इस समय में गड्ढ़े सही किए जा सकते हैं। 
-मंगल सिंह, दादाबाड़ी

बरसात में अक्सर सड़कों पर गड्ढ़े हो जाते हैं। खास तौर से डामर की सड़कों पर गड्ढ़े होते हैं। बरसात में उन्हें भरना मुश्किल होता है। गड्ढ़ों में पानी भरने से डामर नहीं टिकता। अभी बरसात रूकी हुई है। ऐेसे में जहां अधिक समस्या है वहां सीसी का पेचवर्क कराया जा सकता है। 
-कुशल कोठारी, सचिव, कोटा विकास प्राधिकरण

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