पांच बीघा से अधिक जमीन पर गोबर का कब्जा
जगह की कमी से जूझ रही गौशाला में नहीं हो रही गोबर की नीलामी
गौशाला में करीब ढाई हजार से अधिक गौवंश है जिनसे रोजाना करीब 4 से 5 ट्रॉली गोबर निकल रहा है।
कोटा । नगर निगम की बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में एक तरफ तो गोवंश को रखने की जगह तक नहीं है। वहीं दूसरी तरफ गौशाला में करीब 5 बीघा से अधिक जमीन पर गोबर का कब्जा हो रहा है। जिससे उस जगह का उपयोग ही नहीं हो पा रहा। निगम की गौशाला में शहर की सड़कों पर लावारिस हालत में घूमने वाली गायों, बछड़ों व सांड को लाकर रखा जा रहा है। गौशाला में गौवंश की संख्या इतनी अधिक हो गई थी कि उन्हें रखने की पर्याप्त जगह तक नहीं है। ऐसे में निगम की ओर से घेरा डालकर गौवंश को पकड़ना ही बंद कर दिया। साथ ही गौशाला से बड़ी संख्या में गायों को निजी गौशालाओं में शिफ्ट किया गया। उसके बाद भी वर्तमान में करीब 25 सौ से अधिक गौवंश गौशाला में है।
रोजाना निकल रहा कई ट्रॉली गोबर
गौशाला में करीब ढाई हजार से अधिक गौवंश है। जिनसे रोजाना करीब 4 से 5 ट्रॉली गोबर निकल रहा है। उस गोबर को गौशाला में ही खाली जमीन पर डाला जा रहा है। जिससे गौशाला की जमीन पर गोबर के ढेर और ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरे के पहाड़ की तरह यहां गोबर के पहाड़ खड़े हो गए हैं। उसके बाद भी निगम अधिकारी उस गोबर को न तो नीलाम कर पा रहे हैं और न ही बेच पा रहे हैं। जिससे पहले से ही जगह की कमी से जूझ रही गौशाला में गोबर के ढेर से जगह रूकी हुई है।
बरसात में होगी अधिक परेशानी
नगर निगम कोटा दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि गौशाला में पहले से ही 5 बीघा से अधिक जमीन पर गोबर पड़ा हुआ है। अब खाली पड़ी करीब 25 बीघा जमीन पर भी गोबर डाला जा रहा है। बरसात आने से वह गोबर फेल जाएगा। ऐसे में गौवंश के फिसलने का खतरा बना हुआ है। साथ ही वह गोबर बरसात के पानी में पास हे निकल रहे नाले में भी बहने का खतरा बना हुआ है। इस गोबर को बेचने के लिए अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है लेकिन उनकीओर से प्रयास ही नहीं किए जा रहे।
बायो गैस के लिए ताजा व शुद्ध गोबर चाहिए
अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि पूर्व में देव नारायण आासीय योजना में लगे बायो गैस प्लांट में गैस बनाने के लिए यहां से गोबर बेचने का प्रयास किया था। लेकिन प्लांट संचालकों का कहना था कि बायो गैस के लिए ताजा व शुद्ध गोबर की जरूरत होती है। ऐसे में गौशाला के गोबर का उपयोग गैस बनाने में नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह गोबर 40 रुपए क्विंटल में भी कोई नहीं ले रहा है।
पुराना व भूसा मिला होने से नहीं बिक रहा
समिति अध्यक्ष सिंह ने बताया कि गौशाला में एक तो लम्बे समय से पड़ा गोबर पुराना होने से सूख चुका है। दूसरा यहां गोबर में मिट्टी व भूसा मिला हुआ है। जिससे कोई भी इस गोबर को नहीं खरीद रहा है। पूर्व में इस गोबर की नीलामी के लिए 65 रुपए क्विंटल की दर तय की गई थी। लेकिन उस रेट में कोई गोबर लेने को तैयार नहीं हुआ। इस पर गौशाला समिति की बैठक में इसकी दर को संशोधित कर 40 रुपए क्विंटल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
दो लाख का गोबर बिका फिर लगाई रोक
सिंह ने बताया कि पूर्व में 40 रुपए क्विंटल की रेट तय करने के बाद करीब 2 लाख रुपए का गोबर रामगंजमंडी की एक संस्था ने खरीदा था। वह राशि निगम में जमा करवा दी है। लेकिन बाद में आयुक्त ने उसकी बिक्री पर रोक लगवा दी। रेट कम होने का हवाला देकर गोबर नहीं बेचने दिया। ऐसे में गोबर के ढेर लग रहे हैं। बरसात में यह अधिक कष्ट दायक बनने वाले हैं।
इनका कहना है
गौशाला में रोजाना बड़ी मात्रा में गोबर निकल रहा है। पूर्व में यहां के गोबर को बेचा भी गया है। उसकी रेट को लेकर कोई इश्यू है। प्रयास किए जा रहे हैं कि शीघ्र ही गोबर की नीलामी की जा सके या उसे कहीं बेचा जा सके। जिससे जमीन खाली होने पर उसका उपयोग किया जा सके।
महावीर सिंह सिसोदिया, उपायुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण
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