परेशानी की पुलिया, हो सकता है बड़ा हादसा
सीढ़ियों तक जाने के लिए फांदनी पड़ती है दीवार
लोगों की सुविधा के लिए बनी पुलिया दुविधा बनी हुई है।
कोटा। शहर के रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भदाना की तरफ कई कॉलोनियां बसी हुई है। जहां पर बड़ी संख्या में लोग बरसों से निवास कर रहे हैं। यहां पर पूर्व में एक रेलवे फाटक था। जो ट्रेन के आने-जाने के समय बंद रहता था। ऐसे में यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। उनकी समस्या का समाधान करने के लिए यहां पर एक पुलिया का निर्माण कराया गया, लेकिन वह परेशानी का सबब बना हुआ है। एक तो पुलिया बहुत ही संकरी है, जिससे दोनों तरफ एक साथ चौपहिया वाहन आने पर आपस में टकराने जैसी स्थिति बन जाती है। वहीं दूसरी और गंभीर समस्या यह है कि यहां पर आसपास की कॉलोनियों में जाने के लिए पुलिया के दोनों तरफ सीढ़ियां तो बनाई गई है, लेकिन उन तक जाने के लिए गेट नहीं बनाया गया है। लोगों को दीवार कूदकर सीढ़ियों तक जाना पड़ता है। ऐसे में कभी किसी महिला की साड़ी या दुपट्टा फंसने से बड़ा हादसा हो सकता है, यहां तक की जान भी जा सकती है। इतना ही नहीं आमने-सामने से चौपहिया वाहन एक साथ गुजरने पर पैदल राहगीर के टकराने तक की स्थिति बन जाती है।
चौड़ाई भी बहुत है कम
इस नई पुलिया की चौड़ाई भी बहुत कम है। यहां पर एक साथ दो चौपहिया वाहन निकलने में बहुत दिक्कत होती है। यहां तक की दोनों तरफ के वाहनों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो एक-दूसरे से टकराने जैसी स्थिति बन जाती है। जबकि यहां पर बड़ी संख्या में कॉलोनियां बसी हुई है और यहां की जनसंख्या में भी लाखों से कम नहीं है। वहीं यहां रहने वाले लोगों के पास वाहनों भी बहुतायत संख्या में है। आसपास बड़ा अस्पताल नहीं होने के कारण प्रसव के समय महिलाओं व गंभीर स्थिति में परिजनों को लेकर शहर की तरफ लेकर जाना पड़ता है।
दोनों तरफ सीढ़ियां तो बनाई, मगर नहीं दिए रास्ते
पुलिया के दोनों तरफ बस्तियां बसी हुई है। ऐसे में पुलिया पर से लोगों को पैदल अपनी कॉलोनियों में जाने के लिए सीढ़ियां तो बनाई गई है, लेकिन वहां तक जाने के लिए रास्ता नहीं दिया है। ऐसे में सीढ़ियों से उतरकर जाने वाले लोगों को पुलिया की दीवार कूदकर सीढ़ियों तक जाना पड़ता है। इतना ही नहीं दीवार भी एकदम सीधी होने से उस पर चढ़ना ही मुसीबत से कम नहीं है। ऐसे में उस पर चढ़कर दूसरी तरफ उतरना और सीढ़ियों तक जाना किसी संघर्ष से कम नहीं है। इससे ऐसा लगता है कि मानो यह लोगों की सुविधा के लिए बनी पुलिया दुविधा बनी हुई है।
लोगों का कहना
सीढ़ियों तक जाने के लिए पुलिया की दीवार पर चढ़ना पड़ता है। ऐसे में कपड़े गंदे होने की पूरी संभावना रहती है। वहीं दीवार ज्यादा ऊंची होने के कारण पहले उस पर हाथ टेक कर चढ़ना पड़ता है और दूसरी तरफ उतरना पड़ता है। जो कि बहुत खतरे वाली स्थिति है।
- विमल शर्मा,
पुलिया पर से सीढ़ियों तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। पुलिया की दीवार पर चढ़कर दूसरी तरफ उतरना पड़ता है। जहां की जगह बहुत ही छोटी है और बीच में एक खाली जगह भी है। जिससे थोड़ी सी चूक होने पर सीधा नीचे गिरने का डर रहता है।
- विजय
मेरे पैरों में दर्द रहता है, चढ़ना टेढ़ी खीर
मेरी उम्र हो चुकी है। कभी कभार आॅटो में आते समय यहीं पर उतरकर कॉलोनियों में जाते हैं। मेरे पैरों में दर्द रहता है। ऐसे में इतनी ऊंची दीवार चढ़ना टेढ़ी खीर है। रास्ता तो यहां पर निकलना ही चाहिए था।
- गीता देवी
रास्ता तो देना ही चाहिए था
पुलिया और सीढ़ियों के बीच जो फुटपाथ दे रखा है। वहां पर एक छोटा सा रास्ता देना चाहिए। ताकि यहां से सीढ़ियों तक जाने में परेशान नहीं होना पड़े। पुलिया पर बस्तियों में जाने के लिए जब सीढ़ियां बनाई तभी रास्ता छोड़ना चाहिए था।
- जयकिशन
समस्या का कराएंगे समाधान
पुलिया पर से सीढ़ियों तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है। कभी ध्यान नहीं दिया। अब मौके पर जाकर देखेंगे और संबंधित से चर्चा कर लोगों की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
- मंजू मेहरा, मेयर, कोटा उत्तर
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