बजट होते हुए भी खर्च नहीं कर पा रहे महाविद्यालय

संभाग के अधिकतर सरकारी कॉलेजों में सहायक लेखाधिकारियों के पद रिक्त

बजट होते हुए भी खर्च नहीं कर पा रहे महाविद्यालय

कॉलेज विकास के लिए छोटी से बड़ी चीज तक खरीद के लिए दूसरों के भरोसे रहता महाविद्यालय प्रशासन।

कोटा। हाड़ौती के अधिकतर सरकारी कॉलेजों में सहायक लेखाधिकारी की पोस्ट लंबे समय से रिक्त है। जिसकी वजह से महाविद्यालय प्रशासन को वित्तिय संबंधित कार्यों के लिए परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। सहायक लेखाधिकारी न होने से महाविद्यालय आवश्यक साधन-संसाधनों की खरीद नहीं कर पा रहे। जिसकी वजह से कॉलेजों में शैक्षणिक व्यवस्थाएं समुचित रूप से सुचारू नहीं हो पा रही। शिक्षाविदें का कहना है, 10 हजार रुपए से अधिक की वस्तु खरीद के लिए महाविद्यालय प्रशासन को टेंडर प्रक्रिया करनी होती है, जो सहायक लेखाधिकारी के अभाव में संभव नहीं हो पाती। चाहे वो फर्नीचर, टेबल-कुर्सियां, कम्प्यूटर क्रय करना हो या फिर विद्या संबल पर लगे शिक्षकों के मानदेय भुगतान बिल, डे-टू-डे कैश बुक मेंटेंन, नोटशीट टिप्पणी, ट्रेजरी संबंधित बिलों सहित अन्य कार्यों के लिए सहायक लेखाधिकारी की आवश्यकता होती है। क्योंकि, इसमें  टेक्निकल आसपेक्ट व उकाउंट्स संबंधी नियमों की समझ शिक्षकों को प्रोपर रूप से नहीं होती। जिसकी वजह से जरूरी संसाधनों का क्रय समय पर नहीं हो पाता। इसका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से असर विद्यार्थियों की सुविधाओं पर पड़ता है। 

कोटा के 11 में से 4 कॉलेजों में ही डबल एओ कार्यरत
कोटा जिले के 11 राजकीय महाविद्यालयों में से मात्र 4 में ही सहायक लेखाधिकारी के पद भरे हैं। यहां एक-एक डबल एओ कार्यरत हैं। इनमें गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज,  गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, जेडीबी आर्ट्स कॉलेज व गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज शामिल हैं। वहीं, राजकीय कन्या वाणिज्य व जेडीबी साइंस कॉलेज में संविधा पर रिटायर्ड  लेखाधिकारी रखे हैं। इसके अलावा 7 महाविद्यालयों में पद खाली हैं। 

600 स्टूडेंट्स पर 100 टेबल-कुर्सी
कनवास कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ. ललित नामा ने बताया कि महाविद्यालय में सहायक लेखाधिकारी की बहुत आवश्यकता है। इनके अभाव में फाइनेंस से संबंधित  छोटे-छोटे कार्यों के लिए दूसरे कॉलेजों पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां कुल 600 विद्यार्थी हैं, जिनके मुकाबले टेबल-कुर्सियां मात्र 100 ही हैं।  इधर, सांगोद कॉलेज की प्राचार्य प्रो. अनिता वर्मा का कहना है, हमारा महाविद्यालय परीक्षा सेंटर है। सेमेस्टर एग्जाम चल रहे हैं, तो अन्य कक्षों में क्लासें भी लगती हैं। ऐसे में टेबल-कुर्सियों की कमी है। जिसकी खरीद प्रक्रिया  के लिए सहायक लेखाधिकारी की जरूरत होती है, जो नहीं होने से वित्तिय संबंधित कार्य प्रभावित होते हैं। 

इन समस्याओं से जूझ रहे कॉलेज प्रशासन  
शिक्षकों का कहना है, महाविद्यालयों में फर्नीचर, कम्प्यूटर, इनवर्टर, कूलर-पंखें, टेबल-कुर्सियां खरीद, विद्या संबल व संविदा पर लगे शिक्षकों का वेतन संबंधित,  विद्यार्थियों का फीस स्ट्रेक्चर, स्टेशनरी क्रय, एडमिशन के दौरान आने वाली फीस को विभिन्न मदों में विभाजित करना, कक्षा-कक्ष मेंटिनेंस, अनुमानित बजट बनाना, लाइब्रेरी का सेटअप तैयार करना व किताबें खरीदने सहित सम्पूर्ण वित्तीय कार्य सहायक लेखाधिकारी द्वारा किए जाते हैं। जिनके अभाव में महाविद्यालय प्रशासन आवश्यक साधन-संसाधनों की खरीद नहीं कर पाते।  संभाग में कई महाविद्यालय ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में टेबल-कुर्सियां आधी भी नहीं है। 

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क्या कहते हैं प्राचार्य
5 लाख का बजट हो गया लैप्स
गत वर्ष फर्नीचर खरीद के लिए सरकार ने 5 लाख का बजट जारी किया था। लेकिन, महाविद्यालय में लंबे समय से सहायक लेखाधिकारी का पद रिक्त है। जिसकी वजह से समय पर टैंडर नहीं हो पाए और नतीजन बजट लैप्स हो गया। वर्तमान में यहां करीब 800 स्टूडेंट्स अध्ययनरत हैं, जिनके मुकाबले टेबल-कुर्सियां आधी भी नहीं है। हर कॉलेज में एक सहायक लेखाधिकारी होना चाहिए। इनके अभाव में वित्तिय संबंधित कई कार्यों में परेशानी होती है। 
- डॉ. रामदेव मीणा, प्राचार्य राजकीय इटावा महाविद्यालय\

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विद्यार्थियों की सुविधाओं पर पड़ता असर
कॉलेज में छात्रहित में आवश्यक साधन-संसाधनों की खरीद आवश्यक होता है। लेकिन लेखाधिकारी के नहीं होने से खरीद नहीं पाते। जिसका असर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थियों पर पड़ता है। गत वर्ष फर्नीचर खरीद के लिए 3 लाख का बजट मिला था, लेकिन यहां सहायक लेखाधिकारी का पद रिक्त होने से सयम पर टैंडर नहीं हो पाए और वह बजट भी लैप्स हो गया। फिलहाल अभी नया बजट नहीं मिला। 
- डॉ. अरविंद सिंह प्रताप, कार्यवाहक प्राचार्य, राजकीय छबड़ा महाविद्यालय

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4 लाख रुपए शिक्षकों का मानदेय अटका
सहायक लेखाधिकारी के पद रिक्त होने से फाइनेंस संबंधित कार्यों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मार्च में विद्या संबल पर 6 शिक्षक लगे थे, जिनका तब से आज तक का करीब 4 लाख रुपए मानदेय नहीं मिला। उनका बिल पास नहीं हो रहा। इसके अलावा 25 से 30 हजार रुपए के स्टेशनरी, स्पोट्स सामग्री, बैनर फलेक्स के बिल भी फरवरी से अटके हुए हैं।  
- बीके शर्मा, प्राचार्य, राजकीय तालेड़ा महाविद्यालय

डबल एओ बिना कैसे खरीदें फर्नीचर
फर्नीचर के लिए 5.50 लाख का बजट मिला है। जिसकी खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया की जानी है, जो सहायक लेखाधिकारी के बिना संभव नहीं है। कॉलेज में डबल एओ का पद रिक्त है। हालांकि, नोडल कॉलेज को टैंडर प्रक्रिया करवाने के लिए सहायक लेखाधिकारी की व्यवस्था करवाने की मांग की है। पिछले साल भी बजट मिला था, जो डबल एओ के अभाव में टैंडर प्रक्रिया समय पर नहीं हो पाने से लैप्स हो गया। वित्तिय संबंधी कार्यों के लिए काफी परेशानी होती है। 
- डॉ. बुद्धिप्रकाश मीणा, कार्यवाहक प्राचार्य, राजकीय अटरू महाविद्यालय

लेखा नियमों की जानकारी की दृष्टि से महाविद्यालयों में सहायक लेखाधिकारी का होना हितकारी है। बड़े कॉलेजों में डबल एओ हैं। संबंधित कॉलेज के प्राचार्यों द्वारा मांग करने पर दूसरे महाविद्यालयों से व्यवस्था की जाती है। 
- प्रो. गीताराम शर्मा, क्षेत्रिय सहायक निदेशक आयुक्तालय कोटा

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