सड़कों पर घूमने को मजबूर निराश्रित गौंवश, आश्रय देने को नहीं कोई तैयार

पंचायत समितियों में अब तक नहीं खुल सकी नंदीशाला

सड़कों पर घूमने को मजबूर निराश्रित गौंवश, आश्रय देने को नहीं कोई तैयार

जिले में निराश्रित गोवंश और नंदी को रखने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। इसके कारण वह सड़कों पर भटकने को मजबूर है

कोटा। जिले में निराश्रित गोवंश और नंदी को रखने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। इसके कारण वह सड़कों पर भटकने को मजबूर है। राज्य सरकार ने पंचायत समिति स्तर पर नंदीशाला खोलने की घोषणा की थी। कोटा जिले में इसके लिए अब तक दो बार टैंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं, लेकिन किसी गौशाला और संस्था ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इस कारण अभी तक नंदीशाला कागजों से बाहर निकल कर धरातल पर नहीं आ सकी। नंदीशाला के अभाव में निराश्रित गौवंशों को कहीं भी सहारा नहीं मिल रहा है और न ही उनके लिए चारे-पानी की व्यवस्था हो रही है।

दो बार टैंडर आमंत्रित, कोई नहीं आया
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने गत वर्ष बजट घोषणा में प्रदेश में प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर नंदी गौशाला खोलने की घोषणा की थी। कोटा जिले की पांच पंचायत समितियों में भी सरकार की घोषणा के अनुसार नंदी गौशाला खोलनी थी। इसके लिए अब तक पशुपालन विभाग दो बार टैंडर आमंत्रित कर चुका है, लेकिन किसी भी गौशाला और संस्था ने इसमें भाग नहीं लिया। पशुपालन विभाग की ओर पिछले साल ई-टेण्डर आमंत्रित किए गए, लेकिन इसमें किसी ने रूचि नहीं दिखाई। इसके पश्चात दूसरी बार फिर टेण्डर आमंत्रित किए गए थे। इसके लिए भी किसी ने आवेदन नहीं किया। ऐसे में नंदीशाला खोलने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

फैक्ट फाइल
05 पंचायत समितियों में खुलेगी नंदीशाला
90 फीसदी अनुदान देगी राज्य सरकार
10 फीसदी संस्था को करना होगा वहन
02 बार कर चुके टैंडर आमंत्रित
90 फीसदी अनुदान, फिर भी नहीं रुझान

पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पंचायत समिति स्तर पर  नंदीशाला निर्माण के लिए 1.57 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 90 फीसदी राशि राज्य सरकार वहन करेगी। मात्र 10 फीसदी राशि नंदी गौशाला का संचालन करने वाली संबंधित संस्था को खर्च करना होगा। सरकार की ओर से 90 फीसदी अनुदान की व्यवस्था करने के बाद भी कोई भी संस्था इसके लिए आगे नहीं आ रही है। संस्थाएं 10 फीसदी राशि खर्च करने से भी पीछे हट रही हैं। नंदी गौशाला में निराश्रित गौवंशों व  नंदी को आश्रय दिया जाना प्रस्तावित है। सरकार का उद्देश्य था कि नंदीशाला खुलने से सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को आश्रय मिल सकेगा और इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। साथ ही किसानों की फसलों का भी बचाव होगा। 

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दस बीघा जमीन पर फंसा पेंच
जानकारी के अनुसार नंदीशाला खोलने के लिए गौशाला या संस्था के पास दस बीघा जमीन होना जरूरी है। दस बीघा जमीन होने वाली संस्थाएं इसके लिए पात्र मानी गई थी। ऐसे में अधिकांश गौशालाओं और संस्थाओं ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। कोटा जिले में अधिकांश गौशालाओं के पास दस बीघा से कम जमीन हैं। जमीन की व्यवस्था नहीं होने से नंदीशाला की योजना धरातल पर उतर नहीं पाई। अधिकारियों के अनुसार चयनित संस्था को आधारभूत संरचना निर्माण के लिए 90 फीसदी राशि गौपालन विभाग की ओर से अनुदान के रूप में दी जाएगी। 

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इनका कहना
पंचायत समिति में नंदी शाला खोलने के लिए दस बीघा जमीन होना अनिवार्य किया गया है। जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अधिकांश गौशालाओं के पास इतनी जमीन नहीं है। इस कारण आवेदन नहीं किया है। सरकार को जमीन की मात्रा को घटाना चाहिए।
- हरिमोहन नागर, गौशाला संचालक

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जिले की पंचायत समितियों में नंदीशाला खोलने के लिए अब तक दो बार टैंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं, लेकिन किसी भी गौशाला और संस्था ने इसमें भाग नहीं लिया है। दस बीघा से कम जमीन करने का मामला सरकार के स्तर पर हो सकता है।
- डॉ. ओ. पी. मीणा, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग कोटा

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