चालकों को आ रहा साइलेंट अटैक, बूढ़ा हो रहा रोडवेज का बेड़ा
50 साल के 126 चालकों के भरोसे कोटा डिपो
कोटा डिपो में बस चालक को नहीं मिल रहा अवकाश।
कोटा। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों के चालकों को लंबे समय से अवकाश नहीं देने से उनके स्वास्थ्य पर वितरित प्रभाव पड़ रहा है। वहीं ऐसे में यात्रियों की जान हमेंशा जोखिम में रहती है। 28 मई को भी बस चलाने के दौरान चालक मोहम्मद रियाज साइलेट अटैक आ चुका है। उल्लेखनीय है कि रोडवेज में लंबे समय से चालकों की भर्ती नहीं होने से अधिकांश बसे 50 से 55 साल की उम्र वाले चालक चला रहे है। अधेड उम्र के इन चालकों पर काम का भार अधिक होने से लंबे समय से अवकाश नहीं मिलने से यह अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना वाहन चला रहे है। अधिक कार्य और थकान से इनका स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा है उसके बाद भी रोडवेज की ओर से ना तो नई भर्ती की गई ना ही इनका नियमित स्वास्थ जांचा जा रहा है। ना ही इसको साप्ताहिक अवकाश दिया जा रहा है। ऐसे में रोडवेज में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान को हर समय खतरा रहता है। बस चलाकों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण नहीं होने से यात्रियों की जान सामत में रहती है। पिछले साल पूर्व दो ड्राइवर बस चलाते हुए अटैक आने से अपनी जान गंवा चुके है। वहीं इस सीजन में दो ड्राइवर आॅन ड्यटी जान गंवा चुके है। अब तक कुल 5 लोग को वाहन चलाने के दौरान हार्ट अटैक आ चुका है। जनवरी में रोडवेज ने आनन फानन में शिविर लगाकर जांच कराई थी लेकिन उसके बाद कोई जांच शिविर नहीं लगा है। कई चालकों को आंखो की समस्या तो किसी को मोटा चश्मा लगा हुआ है। ऐसे में कभी दुर्घटना का अंदेशा रहता है।
126 चालकों के भरोसे कोटा डिपो
कोटा डिपो में वर्तमान में 126 चालक कार्यरत है। जिसमें नियमित चालकों की संख्या 104 है। हर माह एक से दो चालक सेवा निर्वत हो रहे है। वर्तमान में करीब 100 के आसपास ही स्थाई चालक है। वहीं 22 चालक एजेंसी के द्वारा अपनी सेवाएं दे रहे है। नियमित 104 चालक 50 साल से ज्यादा की उम्र के इनको कोई ना कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। लेकिन पर्याप्त नया स्टॉफ नहीं होने से रिटार्यडमेंट के करीब होने के बावजूद लंबी दूरी की बसे चला रहे है। ऐसे में चालक के साथ यात्रियों की जान को भी खतरा रहता है।
नियमित जांच जरूरी
डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के चालकों की नियमित स्वास्थ्य जांच करनी चाहिए। खासकर वाहन चालकों की आंखों की समय-समय पर जांच कराना जरुरी है। ड्राइवर को शहर के ट्रैफिक व सिग्नल के बीच से बस चलानी होती है। इसलिए आंखों की जांच जरुरी है। इसके अलावा उम्र दराज चालकों को अपने स्वास्थ की हर माह जांच करानी चाहिए। 50 साल के बाद बीपी, शुगर और हार्ट संबंधी जांचे नियमित करानी होती है।
डेढ साल में चार चालक गंवा चुके जान
कोटा डिपो की बसो की पिछले डेढ साल में दो दर्जन से अधिक छोटी बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी है। नियमित स्वास्थ की जांच नहीं होने से 6 जुलाई 23 को कोटा से उदयपुर मांग पर वाहन चालक राजेंद्र गोचर को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वो बस चलाने के दौरान ही बेहोश हो गए और बाद उनकी मौत हो गई। वहीं सितंबर 23 में भी एक और चालक की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। वहीं जनवरी से अब तक दो चालक जान गंवा चुके वहीं एक साइलेट अटैक आ चुका है।
जिनके हाथों में जान माल की जिम्मेदारी वहीं बीमार
रोडवेज प्रतिदिन हजारों यात्री रोडवेज से यात्रा करते हैं उन सभी की जान-माल की जिम्मेदारी वास्तव में ड्राइवरों की है। इसलिए उन्हें मजबूत और स्वस्थ रहना जरूरी है। लेकिन इन्हीं के स्वास्थ्य के साथ खिलावाड़ हो रहा है। उनको समय पर अवकाश नहीं दिया जा रहा है। जिससे उनकी सेहत बिगड़ रही है। काम के बोझ से अटैक तक आ रहे है।
चालकों के स्वास्थ्य की समय समय पर कैंप लगाकरजांच कराई जाती है। स्टाफ की कमी के कारण सभी 77 शिड्यूल को चालकों की कई बार अतिरिक्त ड्यटी भी लगाना पड़ती है।
- अजय मीणा, मुख्य आगार प्रबंधक कोटा
बस चालक की कमी से ओवर टाइम करना पड़ता
रोडवेज में नहीं भर्ती नहीं होने से पुराने चालकों को यात्री भार बढने पर ओवर टाइम करना पड़ता है। उनकी नियमित जांच नहीं होने से हर समय थकान में रहते है। स्वास्थ्य शिविर लगाकर हर माह जांच होनी चाहिए। सात माह पूर्व शिविर लगाकर सभी जांच हुई उसके बाद कोई जांच नहीं हुई।
- मोहम्मद रियाज, बस चालक
रोडवेज में नई बसों, नई चालक, परिचालक और मैकेनिक की भर्ती के अलावा नियमित स्वास्थ जांच के लिए लगातार रोडवेज के विभिन्न संगठनों को की ओर से आंदोलन किए जा रहे है। नियमित स्वास्थ जांच नहीं होने और चालकों को पर्याप्त आराम नहीं मिलने के चलते लगभग चार से पांच चालक आॅन ड्यूटी जान गंवा चुके है। कई चालक लंबे समय कई बीमारियों से ग्रसित है। उसके बावजूद बसों का संचालन कर रहे है। चालकों की आंखो और शुगर, हार्ट, बीपी की नियमित जांच होनी चाहिए। नियमित साप्ताहिक अवकाश देना मिलना चाहिए।
- राजूलाल सिंधी, प्रदेश सचिव एटक कोटा
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