असर खबर का - 6 माह से मगरमच्छ की दहशत, अब जागा वन्यजीव विभाग

सीवी गार्डन के तालाब में मगरमच्छ, फिर भी बोटिंग, खतरे में बच्चों की जान, डॉ. उपाध्याय के संघर्ष से खुली विभाग क ी आंख

असर खबर का -  6 माह से मगरमच्छ की दहशत, अब जागा वन्यजीव विभाग

शिकार की तलाश में मगरमच्छ के पिंजरे में आने के दौरान ट्रैप होने की संभावना है।

कोटा। नयापुरा सीवी गार्डन के तालाब में 6 महीने से भारी-भरकम मगरमच्छ ने डेरा डाल रखा है। शिकायतों के बावजूद वन्यजीव विभाग के अफसरों ने आंखें मूंदी रखी। जबकि, तालाब में शाम के वक्त बोटिंग करवाई जाती है। ऐसे में पर्यटकों व राहगीरों की जान खतरा रहता है।  समाजसेवी डॉ. सुधीर उपाध्याय के 6 माह के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार, जिम्मेदार वन अधिकारी कुंभकरर्णीय नींद से जागे और शुक्रवार को सीवी गार्डन में मगरमच्छ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगवाया। 

मगरमच्छ पकड़ने को लगाया पिंजरा, बांधा शिकार
वन्यजीव विभाग की टीम शुक्रवार दोपहर को सीवी गार्डन पहुंची और मगरमच्छ को पकड़ने के लिए 6 से 8 फीट लंबा पिंजरा लगाया। इस दौरान पिंजरे में शिकार भी बांधा गया। शिकार की तलाश में मगरमच्छ के पिंजरे में आने के दौरान ट्रैप होने की संभावना है।  

सुनवाई नहीं हुई तो सम्पर्क पोर्टल पर की शिकायत 
मॉर्निंग वॉकर डॉ. उपाध्याय ने बताया कि गत 6 माह से करीब 8 फीट लंबा मगरमच्छ सीवी गार्डन के तालाब में डेरा जमाए हुआ है। जिसकी पूर्व में प्रशासनिक व वन अधिकारियों से शिकायत भी की। लेकिन, सुनवाई नहीं हुई। जबकि, मॉर्निंग व इवनिंग वॉक पर प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में शहरवासी व पर्यटक आते हैं। मगरमच्छ कभी पानी में तो कभी जमीन पर झाड़-झंकाड़ों के बीच छिपा रहता है। ऐसे में राहगीरों व बच्चों पर मगरमच्छ के हमले का खतरा बना रहता है। इसके बाद मुख्यमंत्री सम्पर्क पोर्टल पर भी शिकायत की। इसके बाद विभाग को मगरमच्छ पकड़ने की याद आई। 

गणेश मंदिर के पास रहता है मूवमेंट
राहगीरों ने बताया कि सीवी गार्डन में तालाब किनारे गणेश मंदिर बना हुआ है। जहां बोटिंग के लिए टिकट विंडो है। यहां बड़ी संख्या में बच्चे खेलते हैं। वहीं, श्रद्धालु दर्शन को जाते हैं। ऐसे में मगरमच्छ द्वारा हमला करने का डर लगा रहता है। मगरमच्छ के फोटो-वीडियो पूर्व में वन्यजीव विभाग के डीएफओ को भेजकर रेस्क्यू का आग्रह किया था। 

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तालाब किनारे चिल्लाती 40 बतखें 
डॉ. गुप्ता ने बताया कि गार्डन में करीब 40 बतखें हैं, जो मगरमच्छ के डर के मारे पिछले कई महीनों से पानी में नहीं उतरी। तालाब किनारे बतखों का समूत चिल्लाती हुई वॉर्निंग कॉल देती है।  ऐसे में उनके भोजन का संकट हो गया। तालाब किनारे छोटे बड़े पौधे व झाड़ियां उगी हुई हैं। जहां मगरमच्छ पानी से निकल घात लगाकर छिपा रहता है।

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तालाब में बोटिंग व किनारे पर जॉय ट्रेन
राहगीरों का कहना है, तालाब में केडीए की ओर से बोटिंग करवाई जाती है। बोटिंग के दौरान पानी के बीच में बच्चे व बड़े अनजाने खतरे के साय में रहते हैं। वहीं, तालाब किनारे जॉय ट्रेन की टिकट विंडो है। जहां बच्चों की भीड़ लगी रहती है। वन विभाग की लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है। 

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