लोडिंग वाहनों में उलझ कर टूट रहे बिजली के तार, हादसों का खतरा
शहर के विभिन्न इलाकों में नीचे तक झूल रहे तार
एक तरफ करंटसे हादसों का डर तो दूसरी ओर बिजली गुल होने से परेशानी
कोटा। शहर के अंदरुनी इलाकों में बिजली के खंभों पर तार झूल रहे हैं, जो आए दिन लोडिंग वाहनों में उलझकर टूट रहे हैं। जिससे करंट का खतरा बना रहता है। दिन की अपेक्षा रात को सड़कों पर पड़े टूटे बिजली के तारों से राहगीरों की जान खतरे में रहती है। हालात यह हैं, विज्ञान नगर, संजय नगर, सब्जीमंडी, पाटनपोल, डीसीएम क्षेत्र सहित कई इलाकों के सर्विस रोड पर बिजली के खंभें तारों के जंजाल से अटे पड़े हैं। इनमें विद्युत के साथ डिश टीवी, वाइफाई सहित अन्य केबलों का जाल बिछा हुआ है। जिम्मेदारों की लापरवाही से क्षेत्रवासियों को दोहरी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है, रात-देर रात बड़े वाहनों में विद्युत तार उलझकर टूट जाते हैं, जिससे इलाके की बिजली गुल होने से अंधेरा पसर जाता है, जिसकी वजह से सड़क पर पड़े तार एकाएक राहगीरों को दिखाई नहीं देने से गंभीर हादसे का खतरा बना रहता है। निजी बिजली कम्पनी व जेवीवीएनएल से शिकायत करने के बावजूद समाधान नहीं हो रहा।
6 से 7 फीट नीचे झूक रहे तार
विज्ञान नगर छत्रपुरा तालाब, संजय नगर, प्रेमनगर, डीसीएम, सकतपुरा, सब्जीमंडी, इंद्रामार्केट के पास सहित विभिन्न इलाकों में लगे बिजली के खंभों पर विद्युत तारों के अलावा अन्य कम्पनियों के अवैध रूप से केबलें डाल रखी है, जिनकी ऊंचाई जमीन से 6 से 7 फीट तक है, ऐसे में लोडिंग वाहनों के आवागमन के दौरान तार उलझकर टूट जाते हैं। इनमें बिजली के तार भी टूट कर सड़कों पर गिर जाते हैं। जिससे बिजली गुल होने व करंट का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, शिकायत पर निजी बिजली कम्पनी के कर्मचारी मौके पर पहुंच तार जोड़ जाते हैं लेकिन ऊंचा नहीं करते। वहीं, अवैध रूप से लगे अन्य कम्पनियों के तारों को नहीं हटाते।
लोगों का कहना समस्या का नहीं हो रहा समाधान
संजय नगर निवासी तेजपाल गुप्ता, धीरेंद्र सिंह, अशफाक हुसैन, राजेश सेन ने बताया कि खंभों पर बिजली के तारों का गुच्छा बना हुआ है, तार काफी नीचे की ओर लटके हुए हैं। बड़े वाहनों के गुजरने के दौरान अक्सर तार टूट जाते हैं, जिससे इलाके की बिजली गुल हो जाती है। सबसे ज्यादा परेशानी रात को आती है। बिजली कम्पनियों से शिकायत करने पर तार जोड़ जाते लेकिन ऊंचा नहीं करते। जिससे समस्या जस की तस बनी रहती है।
व्यापारी नंद कुमार मेहता बताते हैं, इंद्रा मार्केट शहर का शहर का सबसे बड़ा कपड़ा मार्केट है। जहां हर दिन बड़ी संख्या खरीदारों की मौजूदगी रहती। जगह जगह बिजली के तार नीचे की ओर झूके हुए हैं, जो आए दिन लोडिंग वाहनों के गुजरने के दौरान टूट जाने से हादसे का खतरा बना रहता है। ट्रांसफार्मर में तेज धमाका होने से लोगों में हड़कम्प मच जाता है। हालात यह है, गंधीजी की पुलिया, श्रीपुरा, दो चोंच के बालाजी, सर्राफा बाजार, लखारा पाड़ा, सुंदर धर्मशाला इलाकों में तार टूटने के बाद घंटों तक बिजली बंद रहती है। वहीं, जिन केबलों को अंडरग्राउंड किए हैं उनके पैनल खुले पड़े हैं। जिससे हादसे का खतरा बना रहता है।
डीसीएम निवासी शिक्षक जमनाशंकर प्रजापति ने बताया कि विद्युत विभाग और बिजली कम्पनी सिर्फ अपना मुनाफा देखती है, मेंटिनेंस पर बिलकुल भी ध्यान नहीं है। जबकि, इलाके के खंभों पर तारों का जंजाल हो रहा है। जिनकी जमीन से ऊंचाई भी 6 से 7 फीट है। वाहनों में उलझकर तार टूटने की घटनाएं रात के समय ज्यादा रहती है। क्योंकि, भामाशाह मंडी से बड़े वाहनों का इधर से गुजरना अधिक रहता है। तार टूटने पर शिकायत करते हैं तो बिजली कर्मचारी काफी देरी से पहुंचते हैं, कई बार तो पूरी रात अंधेरे में गुजारनी पड़ती है। बिजली कम्पनी जब बिल वसूल रही है तो झूलते तारों को ऊंचा कर मेंटिनेंस भी करना चाहिए।
लोडिंग वाहन में फंसकर टूटा तार
संजय नगर निवासी फरीद अहमद, ईरशाद कुरैशी, आसिफ का कहना है, इलाके के मुख्य मार्ग पर बिजली के खंभों पर विभिन्न तरह के तार लटक रहे हैं। जबकि, यह सर्विस रोड है, जहां कई दुकानें व डेयरी हैं, जिन पर माल सप्लाई करने के लिए लोडिंग वाहनों का गुजरना होता है। ऐसे में आए दिन इन वाहनों के गुजरने के दौरान तार उलझकर टूट जाते हैं। दिन में तो टूटे तार दिख जाते हैं लेकिन रात को सड़क पर पड़े तार दिखाई नहीं देते, जिससे हादसों का खतरा बना रहता है। अभी डेढ़ सप्ताह पहले ही लोडिंग वाहनों में तार उलझकर टूट गए थे, स्पार्किंग होने बलास्ट की जोर से आवाज आने पर लोग सहम गए थे। बिजली कम्पनी को तार ऊंचे करवाना चाहिए। मोहर्रम के दौरान भी काफी परेशानी होती है।
मामला संज्ञान में आया है। कहीं ऐसे हालात हैं तो टीम भेजकर दिखवाएं और समाधान करवाएंगे।
- शिवचरण सिंह, एसई जेवीवीएनएल
जिन इलाकों में तार झुके हुए हैं, वहां हम ऊंचे कर रहे हैं।
-अनोमित्रो डोली, तकनीकी हैड केईडीएल
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