उम्र सीमा खत्म करो, परिवार के प्रत्येक सदस्य को दें 25 लाख
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बसे 8 गांवों के ग्रामीणों की मांग, ग्रामीणों के चेहरों पर छलका विस्थापन का दर्द
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बसे 8 गांवों का विस्थापन किया जाना है। इस कड़ी में सबसे पहले गुलखेड़ी गांव को विस्थापित किया जाएगा। जिसका सर्वे हो चुका है। दैनिक नवज्योति टीम ने ग्रामीणों के बीच पहुंच हाल जानने की कोशिश की तो विस्थापन का दर्द छलक पड़ा।
कोटा। आसमां तो वो ही रहेगा, पर रंग बदल जाएंगें, अपनी माटी की खुशबू सांसों से कहां ले पाएंगे। बचपन खेला, जवानी बीती जिन राहों से गुजरा दिल, बूढ़ी होती ठंडी आंखें अब कहां होगी बंद। एक-एक ईंटों में बसी पुरखों की यादें, अब न जाने कितने टुकड़ों में बंट जाएगी। बाप-दादा की निशानियां, जमीदोंज होती धूल में मिट जाएंगी। विस्थापन की काली छाया, विरासत से दूर कर जाएगी। ये पंक्तियां सटीक बैठ रही हैं रामगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच बसे गांव जावरा की झौपड़ियां व हरिपुरा की झौपड़ियां के बाशिंदों पर। इन दिनों ग्रामीण विस्थापन के डर के साए में दिन काट रहे हैं। दोपहर से रात तक विस्थापन पर चर्चा आम हो गई। जहां भी दो लोग मिले वहीं मुआवजे को लेकर बहर छिड़ जाती है। दैनिक नवज्योति टीम ने ग्रामीणों के बीच पहुंच हाल जानने की कोशिश की तो विस्थापन का दर्द छलक पड़ा। पेश है, लाइव रिपोर्ट...
पापा हमें गांव से निकालने आ गए:
गांवों में अब विस्थापन की चर्चा स्कूलों से लेकर खेत खलियानों तक हो रही। बच्चों के बीच विस्थापन के अलग-अलग रंग दिख रहे हैं। नवज्योति टीम को गांव में देख पांच वर्षीय बालक राहूल पिता से बोला, हमें निकालने वाले आ गए..., मासूम के शब्द से ग्रामीणों के चेहरों के हाव-भाव बदल गए। जिन्हें देख ऐसा लगा मानो, शब्द नहीं, धनुष से निकला तीर हो, जो दिल जख्मी कर गया।
किसी ने 3 तो किसी ने 5 लाख का कर्ज लेकर बनाया मकान
जावरा की झौंपड़ियां गांव में कई परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान का काम तो शुरू किया लेकिन पूरा करने के लिए कर्ज के तले दब गए। गांव के ही हेमराज गुर्जर ने 3 लाख का कर्ज लेकर अधूरा निर्माण पूरा करवाया। वहीं, सूरतराज मीणा ने साहूकारों से ब्याज पर 6 लाख लेकर मकान बनाया। अब सरकार विस्थापन करना चाहती है, जिसके लिए उन्हें जो मुआवजा राशि दी जाएगी उसमें से कर्ज चुकाने के बाद जो राशि बेचगी उससे तो प्लॉट भी नहीं मिल पाएगा। प्रहलाद मीणा व पप्पूलाल ने कहा, दूसरी जगह बसने के लिए प्लॉट, कृषि भूमि और पशुपालन के लिए बाड़ा खरीद सकें, इतना तो मुआवजा मिलना चाहिए।
हम आदिवासी, पहाड़ों पर रहने का अधिकार
जावरा की झौपड़ियां निवासी लटूर प्रजापित व प्रहलाद मीणा कहते हैं, हमारे पूर्वज 500 सालों से यहां रहते आए हैं। हम आदीवासी हैं, हमें पहाड़ों पर रहने का अधिकार है। घरों की एक-एक ईंटों में पुरखों की यादें बसी हैं। उस माटी को कैसे भूला दें, जहां जन्म लिया और खेले-बडे हुए। कुछ महीने पहले पास के गुलखेड़ी गांव में सरकारी हाकम आए थे और कहा था, आपको यह गांव छोड़ना पड़ेगा। बात बूंदी के विकास की है, तो मिट्टी से दूर हो जाएंगे लेकिन मुआवजा तो इतना मिले कि बच्चों का पेट पाल सकें। प्रत्येक परिवार को मुआवजा के रूप में 15 लाख रुपए देने की बात कह रहे हैं, जबकि हमारी जमीन, घर, खेत-खलियान व बाड़े की कीमत ही इससे कहीं अधिक है।
विस्थापन का जिक्र होते ही छलक पड़ी आंखें...
विस्थापन का जिक्र होते ही नंदलाल व पृथ्वीराज की आंखें छलक उठी। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को घर-जमीन छोड़ने के बदले सरकार प्रत्येक परिवार को जो मुआवजा दे रही है, जो पर्याप्त नहीं है। वन विभाग के अफसर कह रहे हैं, जिन घरों में 21 साल के बच्चे होंगे, उन्हें भी 15 लाख मिलेंगे। लेकिन, गांव के अधिकतर परिवारों में बच्चे 21 से कम उम्र के हैं, ऐसे में इन परिवारों को भारी नुकसान होगा। सरकार मुआवजे में उम्र की सीमा खत्म कर प्रत्येक परिवार के सदस्य को को 25 लाख रुपए मुआवजा दे, ताकि हम अच्छी जिंदगी बसर कर सकें। उचित मुआवजा नहीं मिला तो किसी भी सूरत में घर-जमीन नहीं छोड़ेंगे।
30 करोड़ से विस्थापित होगा गुलखेड़ी
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बसे 8 गांवों का विस्थापन किया जाना है। इस कड़ी में सबसे पहले गुलखेड़ी गांव को विस्थापित किया जाएगा। जिसका सर्वे हो चुका है। इसके लिए विभाग को बजट भी आवंटित हो चुका है। गांव का सर्वे पूरा होने के बाद आपत्तियां मांगी गई है। जिसके निस्तारण के बाद गांव को विस्थापित किया जाएगा। विभाग दिसम्बर तक गांव को विस्थापित करने की तैयारी में जुटा है।
4 गांवों को जोड़ने वाले रास्ते पर पत्थरों का ढेर
जावर गांव से आगे 4 गांवों को जोड़ने वाली रामझर नाले की पुलिया दो साल पहले आई बाढ़ से टूट गई थी। रास्ते में पत्थरों का ढेर लगा है। जिससे वाहनों का यहां से गुजना मुश्किल हो गया। जैसे-तैसे दुपहिया वाहन तो निकल जाते हैं लेकिन चार पहिया वाहन नहीं निकल पाते। खटकड़ पंचायत समिति ने रास्ता बहाल कर पुलिया का निर्माण करवाने का प्रयास किया लेकिन वन विभाग के अडंगे के कारण काम नहीं हो सका। वहीं, टाइगर रिजर्व की घोषणा के बाद से गांवों में विकास कार्य भी अवरूद्ध हो गए।
नहीं डलवा पा रहे छत, वसूल रहे 50 हजार का जुर्माना
हरिपुरा की झौंपड़ियां निवासी पप्पु लाल, शंकर व लटूर लाल ने बताया कि गांव में एक दर्जन से अधिक मकानों की छत डलना बाकी है। खटकड़ से निर्माण सामग्री लेकर गांव में आती ट्रैक्टर-ट्रॉली को वन नाके पर ही रोक लिया जाता हैं और वनकर्मी निर्माण सामग्री पर पाबंदी का हवाला देते हुए 50 हजार का जुमार्ना लगा रहे हैं। अब तक 10 से ज्यादा ट्रैक्टर चालकों पर जुमार्ना किया जा चुका है। इसी डर से कोई भी ट्रैक्टर चालक गांव में निर्माण सामग्री लाने को तैयार नहीं है। विरोध जताने पर वनकर्मी झगड़े पर उतारू हो जाते हैं।
खत्म हो उम्र की बाधा, प्रत्येक सदस्य को मिले 25 लाख
प्रहलाद गुर्जर व देवराज ने बताया कि वन विभाग द्वारा पति-पत्नी को एक यूनिट मानकर 15 लाख रुपए मुआवजा देने की बात कही जा रही है। जबकि, घर, जमीन जायदाद की कीमत इससे कहीं ज्यादा है। डीएलसी रेट भी नहीं दी जा रही। वहीं, परिवार में बच्चों की उम्र 21 वर्ष होने पर ही उन्हें अलग से 15 लाख रुपए दिए जाएंगे लेकिन जिनके बच्चे निर्धारित उम्र से कम के हों तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। गांव में अधिकांश परिवार ऐसे हैं जिनके बच्चे 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में ग्रामीणों को नुकसान हैं। मुआवजा राशि में उम्र की सीमा न रखे और समान रूप से मुआवजा दें।
एक नजर: जावरा की झौपड़ियां
- आबादी: 550
- घर: 105
- वोटर: 400
- पंचायत: खटकड़
- विधानसभा: बूंदी
एक नजर: हरिपुरा की झौपड़ियां
- आबादी: 600
- घर: 150
- वोटर: 350
- पंचायत: खटकड़
- विधानसभा: बूंदी
गुलखेड़ी गांव के विस्थापन के लिए आरपैक योजना के तहत 30 करोड़ का बजट आवंटित हो चुका है। मुआवजे के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। मुआवजा राशी तीन किश्तों में दी जाएगी। पहली किश्त ग्रामीण द्वारा अपने मकान, जमीन, बाड़े, खेत का कब्जा तहसीलदार को सौंपने पर, दूसरी किश्त मकान, बाड़ा तोड़ने पर तथा तीसरी किश्त कहीं बाहर मकान खरीदने के बाद सबूत पेश करने पर मिलेगा। वहीं, 50 हजार का जुर्माना उन ट्रैक्टर चालकों पर लगाया है जो सेंचूरी एरिया में अवैध खनन कर पत्थर, मिट्टी खोदकर ले जा रहे थे। मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए रिजर्व एरिया में बसे गांवों में निर्माण कार्य पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई है। ग्रामीणों द्वारा अधूरे निर्माण कार्य पूरा करा सकते हैं। जिसके लिए बाहर से निर्माण सामग्री मंगवा सकते हैं। वर्ष 2021 से अक्टूबर 20222 तक वनकर्मी द्वारा किसी भी ग्रामीण के साथ मारपीट का कोई मामला सामने नहीं आया है और न ही थाने में किसी के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज हुई है। ग्रामीणों द्वारा मारपीट का आरोप लगाना बेबुनियाद है।
- तरुण मेहरा, एसीएफ रामगढ़ टाइगर रिजर्व

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