किसान को मिल रहे पांच रुपए, बाजार में प्याज 25 रुपए किलो

कम दाम मिलने से प्याज उत्पादक किसानों को नुकसान

किसान को मिल रहे पांच रुपए, बाजार में प्याज 25 रुपए किलो

प्याज के दाम काफी ऊंचे जाने की संभावना के चलते केन्द्र सरकार ने गत 17 अगस्त को प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी।

कोटा। केस 1 - झालावाड़ जिले के बकानी निवासी घनश्याम कोटा की थोक सब्जीमंडी में प्याज की उपज लेकर पहुंचा था। यहां जब प्याज की कीमत सुनी तो चौंक गया। मंडी में किसान का प्याज 5 से 8 रुपए किलो तक खरीदा जा रहा था। दाम सुनकर किसान चिंतित हो गया। घनश्याम ने बताया कि मंडी में वर्तमान में जो दाम मिल रहे हैं, उससे तो आधी लागत भी नहीं निकल पा रही है।  कोई चारा नहीं होने के कारण उसे कम दाम में प्याज बेचना पड़ा।

केस 2 - भवानीमंडी निवासी दूलीचंद मीणा थोक सब्जीमंडी में 10 क्विंटल प्याज लेकर आया था। उसका प्याज अच्छी किस्म का था। इसके बावजूद केवल 8 रुपए किलो के भाव से बोली लग पाई। भाव कम होने से लागत भी नहीं निकल पा रही है। मीणा ने बताया कि एक किलो प्याज को मंडी में लाने तक की लागत 12 से 15 रुपए लग जाती है। इसके बावजूद दाम कम मिल रहे हैं। यहां लाने के बाद माल को वापस नहीं ले जा सकते हैं। इसलिए घाटा उठाना पड़ता है।

प्याज की खेती करने वाले किसानों के यह केस तो बानगी भर हैं। हाड़ौती के ऐसे सैंकड़ों प्याज उत्पादक किसान हैं जो प्याज की खेती करने के बाद नुकसान का दंश झेल रहे हैं। हर साल प्याज की खेती अधिकांश किसानोंं के लिए घाटे का सौदा साबित होती जा रही है। इस साल भी प्याज की खेती करने वाले किसानों को राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही है। पिछले कुछ सालों से लगातार प्याज का किसानों को कम रेट मिल रहा है। किसानों का कहना है कि कुछ दिन पहले प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन इसका सभी किसानों को फायदा नहीं हुआ। जिन किसानों के पास ज्यादा स्टॉक था उन्हें ही थोड़ी राहत मिली हैं। 

फैक्ट फाइल
5000 - क्विंटल कुल प्याज की आवक कोटा थोक सब्जीमंडी में 
2500 - क्विंटल आवक झालावाड़ से 
2500 - क्विंटल आवक महाराष्टÑ से
5-8 - रुपए किलो खरीद का दाम मिल रहा किसानों को
12-15 - रुपए किलो थोक भाव 
20-25 - रुपए किलो  खुदरा भाव

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झालावाड़ जिला प्याज उत्पादन में अग्रणी
हाड़ौती में सबसे ज्यादा प्याज की खेती झालावाड़ जिले और उससे सटे क्षेत्रों में होती है। कोटा की थोक सब्जीमंडी में इस समय झालावाड़ जिले के किसान प्याज लेकर आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से झालावाड़ जिले के रायपुर, भवानीमंडी, बकानी, अकलेरा सहित अन्य क्षेत्रों से प्रतिदिन काफी संख्या में किसान प्याज बेचने के लिए कोटा आ रहे हैं। कई किसान स्वयं के वाहन तो कई किराए का वाहन कर मंडी में प्याज बेचने आ रहे हैं, लेकिन यहां पर प्याज के कम दाम सुनकर उनकी मुनाफे की उम्मीद टूट जाती है। 

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मुनाफे के खेल में किसान फेल
किसान अपनी कृषि जिंसें मंडियों के माध्यम से ही बेचते हैं। इसके अलावा उनके पास कोई अन्य माध्यम नहीं हैं। मंडियों में थोक व्यापारी माल की क्वालिटी देखकर उसका भाव लगाते हैं। उसके आधार पर किसान का माल खरीदा जाता है। नीलामी में कई बार प्याज की गुणवत्ता कमजोर होने से काफी कम दाम तक लग जाते हैं। जिससे किसानों को मुनाफा तो दूर लागत भी नहीं निकल पाती है। जैसे कि किसान से 5 से 8 रुपए किलो में प्याज खरीदा जाता है। उसके बाद मंडी आढ़तिया अपनी कमीशन जोड़कर प्याज को सब्जी व्यापारियों को बेचता है। इसके बाद सब्जी विक्रेता अपना मुनाफा देखकर बाजार में इसकी बिक्री करता है। जिससे ग्राहक तक पहुंंचते-पहुंचते प्याज के भाव 20 से 25 रुपए किलो तक हो जाते हैं। जिससे ग्राहक को भी महंगाई का सामना करना पड़ता है। 

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पहले बढ़े फिर टूटे भाव
किसान नेता उमाशंकर मालव ने बताया कि विदेशों में प्याज का निर्यात होने से प्याज के दाम में उछाल आ गया था। इससे किसानों को भी फायदा होने लगा था। प्याज के दाम काफी ऊंचे जाने की संभावना के चलते केन्द्र सरकार ने गत 17 अगस्त को प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी। प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगने के बाद किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। इस फैसले के बाद प्याज के दाम में भारी गिरावट हुई है। इससे पिछले दो साल में हुए घाटे की भरपाई करने की किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अब जब दाम बढ़ने लगा था तो सरकार ने 17 अगस्त को 40 फीसदी एक्सपोर्ट डयूटी लगाकर उनकी कमाई की उम्मीदें तोड़ दी।

एक्सपर्ट व्यू
इस वक्त प्याज की उत्पादन लागत 15 रुपए किलो है। ऐसे में कम से कम 20 से 25 रुपए किलो का दाम मिलेगा तब किसान फायदे में रहेगा। पिछले दो साल से किसानों को लागत से भी कम भाव मिल रहा है। यदि घाटे की वजह से किसान प्याज उत्पादन बंद कर देंगे तो लोगों को महंगा प्याज मिलेगा। प्याज के गिरते दामों से किसान परेशान हैं। इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और सीधे ही किसानों से प्याज खरीदना चाहिए। ताकि मंडी व बाजार के बीच का मुनाफा भी किसान को मिल सके। 
- डॉ. आशुतोष गुप्ता, कृषि विशेषज्ञ

मंडी में आने वाले प्याज की बोली गुणवत्ता हिसाब के लगाई जाती है। झालावाड़ जिले से आने वाला प्याज मध्यम गुणवत्ता वाला होता है। इस कारण भाव बदलते रहते हैं। किसानों से प्याज की क्वालिटी के हिसाब से खरीद की जाती है। इसके बाद आढ़तिया, व्यापारी व सब्जी विक्रेता अपना मुनाफा बनाकर प्याज की बिक्री करते हैं। बीच में प्याज के दाम बढ़े थे, लेकिन सरकार द्वारा प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने किसानों को नुकसान हुआ है।
- शब्बीर वारसी, महासचिव, आदर्श थोक फल सब्जीमंडी यूनियन कोटा

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