तोलने में भारी झोल, फिर भी पूरा ले रहे मोल

उपभोक्ता मामलात विभाग : कहीं सब्जी कहीं दाल तो कहीं कम दे रहे तेल और शक्कर

तोलने में भारी झोल, फिर भी पूरा ले रहे मोल

शहर में त्योहारी सीजन चल रहा है और खरीदार दुकानों से कई प्रकार के खाद्य लेते है और इन दुकानों पर डिब्बे के साथ ही खाद्य पदार्थों को तोला जा रहा है।

कोटा। उपभोक्ता मामला विभाग द्वारा शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत माप तोल को लेकर जांच व कार्रवाईकी जाती है जिसके अन्दर विक्रेताओं या दुकानदारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले बांट और इलेक्ट्रिक कांटों के माप को सत्यापित किया जाता है लेकिन शहर में जगह जगह पत्थरों के बने हुए बांटों अनियमित बांटों व इलेक्ट्रिक कांटों का उपयोग किया जा रहा है और शुद्ध के लिए युद्ध महज एक नारा बनकर रह गया है। 

ऐसे करते हैं गड़बड़ी
शहर में आज भी कई इलाकों में असत्यापित बांटों व पत्थरों के बांटों का उपयोग किया जा रहा है जिसमें दुकानदार व्यापारी बांटों में से मानक वाला जिप्सम निकाल लेते हैं जिससे उसका भार कम हो जाता है। वहीं इसके साथ ही विक्रेता बड़े बांटों में तो लौहे के बांटों का उपयोग करते हैं लेकिन छोटे बांटों में लौहे कि जगह पत्थर से बने बांटों का उपयोग करते हैं जो तय भार से कम होते हैं। इसी तरह इलेक्ट्रिक कांटों में भी सही मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है, इलेक्ट्रिक कांटों में भी दुकानदार मिस्त्री द्वारा मीटर को सेट करवा लेते हैं जो भी सामान कि चोरी को आसान बनाता है।  शहर में त्योहारी सीजन चल रहा है और खरीदार दुकानों से कई प्रकार के खाद्य लेते है और इन दुकानों पर डिब्बे के साथ ही खाद्य पदार्थों को तोला जा रहा है जो नियमत: गलत है। इसे लेकर भी विभाग से जानकारी ली तो किसी प्रकार कि कारवाई नहीं होना पाया गया। 

कौन करता है जांच 
इन सभी अनियमितताओं कि जांच का जिम्मा विधिक माप विज्ञान विभाग की है। जिसके द्वारा साल में एक बार व शिकायत मिलने पर इन सभी नियमितताओं कि जांच की जाती है।  अगर कहीं पर अनियमितता पाई जाती है तो उसके उपकरणों को जब्त कर उसके खिलाफ कारवाई की जाती है व चालान बनाया जाता है।  लेकिन नवज्योति ने इस मामाले को लेकर पता किया तो पाया कि इस साल उपभोक्ता मामलात के अंतर्गत आने वाले विधिक माप विज्ञान विभाग द्वारा जांच किए गए मामलों में सिर्फ चार मामलों में ही चालान बनाया गया है। शहर में जांच नियमित रूप से की जा रही है या नहीं इसे लेकर भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। विभाग के अनुसार शिकायत मिलने पर इन दुकानदारों व विक्रेताओं पर विभाग कारवाई करता है लेकिन विभाग के पास इन शिकायतों का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है, कब कितनी शिकायत आई कितनी शिकायत पर कारवाई की गई इसे लेकर भी विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। जो विभागीय कारवाई पर सवाल उठाता है। 

उपभोक्ता का नुकसान विक्रेता का फायदा
दुकानदार विक्रेता इन बांटों व इलेक्ट्रिक कांटों में हेराफेरी कर खरीदारों को चूना लगाकर सामानों कि मात्रा कम करके उन्हें खरीदारों को बेचते हैं। खरीदारों को कभी कभी इस बारे में पता भी नहीं होता है कि जिस बांट या कांटे से उनके लिए सामान तोला जा रहा है वो विभाग द्वारा निर्धारित मानकों का भी पालन नहीं करते हैं। शहर में करीब 10 हजार से ज्यादा रेड़ीयां, 50 हजार से ज्यादा दुकानें, फल विक्रता, कई सब्जी मंडीयां हैं जिनमें अधिकर जगहों, रेहडियों और दुकानों पर ये अनिमितताएं आसानी से मिल जाएंगी। और इन सभी दुकानों, रेहड़ियों व मंडियों से शहर कि लगभग आधी आबादी जुड़ी हुई है। 

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स्टाफ की कमी से नहीं कर पा रहे कार्रवाई
जनवरी में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत कैम्प का आयोजन किया गया था जिसमें इलेक्ट्रिक कांटों के साथ बांटों को वेरीफाई किया गया था। वहीं इस वर्ष 4 लोगों के चालान भी बनाए गए हैं अब स्टॉफ कि कमी होने के कारण सभी इलाकों में रेगुलर कारवाई नहीं कर पाते हैं अगर शिकायत है तो दोषियों पर कारवाई करेंगे। 
- लोकेश कुमार मीणा, विधिक माप विज्ञान अधिकारी कोटा

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उपभोक्ता कहिन
 दुकानदारों से पत्थरों के बांटों कि तो शिकायत कर देते हैं लेकिन बांटों और इलेक्ट्रिक कांटों के बारे में इतना नहीं जानने के कारण सामान ले लेते हैं। अगर ऐसा है तो विभाग कि गल्ती है कि वो कारवाई नहीं कर रहा है।
- अजय शर्मा, विज्ञान नगर 

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हम सामान लेते हैं तो दुकानदार कांटों के बिल्कुल सही होने का भरोसा दिलाते हैं और इसी कारण किसी का विरोध नहीं करते। इन बातों पर कभी गौर नहीं किया तो शिकायत कैसे करें।
- योगेश तंवर, छावनी

पता तो है कि हेरा फेरी करते हैं पर कहां कहां विरोध करें अब दुकानदारों पर भरोसा करके सामान ले लेते हैं ये तो विभाग कि जिम्मेदारी है नियमों के पालन कि आम आदमी को नियम थोड़े पता होते हैं।
- कन्हैयालाल सालवी, प्रेमनगर

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